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अटकाना-लटकाना नहीं समाधान है सरकार की नीति

“आज जब हम चुनौतियों से आंखें मिला रहे हैं तब मोदी सरकार के पिछले एक साल को अलग नजरिए से देखने की जरूरत...
अटकाना-लटकाना नहीं समाधान है सरकार की नीति

“आज जब हम चुनौतियों से आंखें मिला रहे हैं तब मोदी सरकार के पिछले एक साल को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है”

26 मई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हुआ है। अपने पहले कार्यकाल के पांच वर्षों में मोदी सरकार ने कई मोर्चों पर सफलतापूर्वक काम किया है। गरीबों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने, कानूनी तथा आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाने, व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में तकनीक के उपयोग और वैश्विक मंचों पर भारत की साख ऊंची करने में मोदी सरकार कामयाब रही है। यही कारण था कि 2019 के आम चुनावों में आए जनादेश में जनता का भरोसा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर मजबूती के साथ कायम रहा।

अब सरकार के दूसरे कार्यकाल का भी एक साल पूरा हो गया है। इस वक्त देश कोरोना जैसे कठिन वायरस से उपजी चुनौतियों से दो-दो हाथ कर रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि साफ नीयत, स्पष्ट नीति और कुशल नेतृत्व के साथ देश इस वैश्विक महामारी की चुनौतियों से अच्छे से निपट रहा है और विकास की गति की निरंतरता भी बनाए हुए है। यह ऐसी समस्या है, जिससे आज पूरा विश्व जूझ रहा है। भारत ने भी इससे लड़ने के लिए बेहतर से बेहतर तौर-तरीकों को अपनाया है।

सही समय पर सही निर्णय के कारण भारत ने अब तक खुद को इस विभीषिका से बचाए रखा है। ऐसा हम तब कर पा रहे हैं, जब दुनिया के अनेक शक्ति संपन्न देश इससे हार मान चुके हैं। पिछले छह सालों में मोदी सरकार ने शासन की रीति-नीति में जो बदलाव किए हैं, उसका लाभ इस कठिन परिस्थिति से लड़ने में देश को मिल रहा है। भारत ने कोविड के खिलाफ लड़ाई के कई मोर्चे खोल रखे हैं। भारत अन्य मोर्चों पर भी पूरी मजबूती से लड़ रहा है।

स्वास्थ्य संरचना को वर्तमान चुनौती के अनुरूप तैयार करने में भारत ने जो तेजी दिखाई, वह आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है। जनसांख्यिकी उथल-पुथल का दबाव तथा आर्थिक मोर्चे पर आसन्न चुनौतियों के बीच जन विश्वास के साथ सरकार आगे बढ़ रही है। लोगों को नकदी का संकट न हो उसके लिए डीबीटी के माध्यम से विविध योजनाओं के तहत लोगों को आर्थिक सहायता देने के लिए सरकार आगे आई है। सरकार की दृष्टि भविष्य की चुनौतियों के लिहाज से भी सजग है।

कोरोना के मामले बढ़ने के संकेत मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना देर किए मानव जीवन को तरजीह देते हुए संपूर्ण लॉक डाउन की घोषणा की। भारत की तुलना में कम घनत्व वाले देशों ने लॉकडाउन पर ठोस निर्णय नहीं लिया और आज वहां वायरस का प्रसार अनियंत्रित है। वहां स्वास्थ्य सुविधाएं जरूरत के हिसाब से तैयार नहीं हैं, वहीं भारत ने चरणबद्ध लॉकडाउन कर वायरस के प्रसार को धीमा करने में बड़ी सफलता अर्जित की है। लॉकडाउन के निर्णय का एक लाभ यह भी हुआ कि वर्तमान चुनौतियों से जूझने के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने का समय मिला और भविष्य में कोरोना से भी बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए देश काफी हद तक तैयार हो कर आत्मनिर्भर बना। हमारे यहां टेस्टिंग की संख्या बढ़ी है। साथ ही, हमें टेस्टिंग किट बनाने में भी सफलता मिली है।

मोदी सरकार वर्तमान चुनौतियों से संतोषजनक ढंग से लड़ रही है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत पहले कार्यकाल के जनहितकारी विषयों की निरंतरता के साथ हुई। इसके अलावा सरकार ने घोषणापत्र के उन बिंदुओं को भी प्राथमिकता दी, जो दशकों से लंबित थे। आम जनमानस में इन विषयों को लेकर ऐसी धारणा बन चुकी थी कि ये समस्याएं लाइलाज हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इस धारणा को गलत साबित किया। 

पचास के दशक से ही न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए नासूर बनते जा रहे अनुच्छेद 370 और 35ए का उन्मूलन करना मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, यह भारतीय जनता पार्टी के लिए जनसंघ के दौर से वैचारिक प्रतिबद्धता का मसला रहा है, लेकिन इसका दूसरा पक्ष जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की जनता के बहुमुखी विकास से भी जुड़ा था। अनुच्छेद 370 और 35ए ने इस क्षेत्र को विकास की दौड़ में भारत के अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे धकेल दिया था। केंद्र सरकार की योजनाओं तथा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जनता के बीच अनुच्छेद 370 दीवार बन कर खड़ा था। इसके समाप्त होने तथा कानूनी तौर पर राज्य के पुनर्गठन से ऐसी अनेक योजनाओं तथा संविधान के अनुरूप दिए जाने वाले विशेष प्रावधानों का लाभ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को मिलेगा, जिससे उन्हें वंचित रहना पड़ता था। 

इसी तरह दशकों से लंबित ‘नागरिकता कानून’ का भी निदान हुआ। धार्मिक प्रताड़ना की वजह से पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान से आकर भारत में शरण लिए वहां के धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिक अधिकार हासिल नहीं थे। वे बुनियादी सुविधाओं से महरूम थे। जड़ हो चुकी इस समस्या को समाप्त करने की इच्छाशक्ति दिखाते हुए केंद्र सरकार ने ‘नागरिकता संशोधन (2019) कानून’ संसद के दोनों सदनों से पारित कराया। इस कानून ने 31 दिसंबर, 2014 तक बड़ी संख्या में भारत में शरण लिए ऐसे शरणार्थियों को बेहतर जीवन जीने का अवसर दिया है। मोदी सरकार के इस निर्णय को मानवीय दृष्टिकोण से परखा जाना चाहिए।

मोदी सरकार आने के बाद से देश समस्याओं को ‘अटकाने, लटकाने और भटकाने’ की नीति से निकलकर ‘टकराने और समाधान निकालने’ की नीति पर चला है। यही वजह है कि दशकों से लंबित रामजन्मभूमि का मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायसंगत ढंग से शांतिपूर्वक सुलझा लिया गया और केंद्र सरकार के प्रयास से एक न्यास के तहत राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सका है। दशकों से लंबित यह भी ऐसा मामला था, जिसके समाधान में अवरोध पैदा करने की कोशिश कांग्रेस पार्टी और उसकी पिछली सरकारों द्वारा लगातार की गई। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला वर्ष असाधारण दिखने वाली दशकों पुरानी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए लंबे समय तक याद किया जाएगा।

अगर पिछले एक साल की बात करें, तो संसद के कामकाज में बढ़ोतरी हुई है। देश के लिए यह सकारात्मक संदेश है। सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट सत्र में संसद में निर्धारित कार्य समय से अधिक कामकाज हुआ। इसका बड़ा लाभ हुआ कि नीतिगत मसलों पर ठोस निर्णय लिए गए और संसद में जनहित के अनुरूप कई महत्वपूर्ण कानूनी संशोधन पारित करने में सफलता मिली। दिल्ली की 1,731 अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने का कानून, मोटर व्हीकल (संशोधन) कानून 2019, बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए ‘पॉक्सो’ कानून में जरूरी संशोधन जैसे जनहित से जुड़े कई कानून सरकार द्वारा अमल में लाए गए। देश में कारोबार की  सुगमता को बढ़ावा देने वाला कंपनी एक्ट, अनरेगुलेटेड डिपॉजिट का विधेयक, दिवालिया (संशोधन) कानून 2019, उच्चतम न्यायालय के जजों की संख्या बढ़ाने का विधेयक जैसे आर्थिक और आधारभूत ढांचे में सुधार लाने वाले कार्यों को भी आगे बढ़ाया गया है।

आज जब हम चुनौतियों से आंखें मिला रहे हैं तब मोदी सरकार के पिछले एक साल को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है। यह देश को किसी भी परिस्थिति से उबारने, किसी भी समस्या से निकालने और किसी भी जटिलता से निजात दिलाने में सक्षम, सबल और सशक्त सरकार है। इस कठिन समय की चुनौतियों के बीच देश के छोटे, मध्यम तथा बड़े उद्योग जगत, कृषि क्षेत्र, बैंकिंग व्यवस्था सहित कठिन हालात से जूझ रहे विभिन्न क्षेत्रों के लिए बीस लाख करोड़ की आर्थिक सहायता देने का न सिर्फ सरकार ने साहस दिखाया बल्कि व्यवस्थित ढंग से उसका ब्योरा भी दिया है।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद हैं)

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कुशल नेतृत्व के साथ देश इस वक्त महामारी से लड़ते हुए विकास की गति की निरंतरता को भी बनाए हुए है। कठिन दौर में सरकार ने तेजी से निर्णय लिए हैं

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सरकार ने कई महत्वपूर्ण कानूनी संशोधन पारित करने में सफलता हासिल की। पिछले साल संसद के कामकाज में भी बढ़ोतरी हुई जो हर हाल में सकारात्मक संदेश है

 

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