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सरकार को प्लान-2 लाना होगा

कोविड-19 का संकट अब आर्थिक चुनौतियां भी लेकर आ रहा है। आशंका है कि दुनिया महामंदी की ओर जा रही है। ऐसे में...
सरकार को प्लान-2 लाना होगा

कोविड-19 का संकट अब आर्थिक चुनौतियां भी लेकर आ रहा है। आशंका है कि दुनिया महामंदी की ओर जा रही है। ऐसे में भारत इस चुनौती से कैसे निपटे और उसे क्या कदम उठाने चाहिए, इस पर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने कई अहम सुझाव दिए हैं। पेश हैं प्रशांत श्रीवास्तव द्वारा चिदंबरम से पूछे गए सवालों का जवाब

कोरोना से लड़ाई लॉकडाउन तक पहुंच गई है, क्या हम महामंदी की ओर हैं?

इस समय आर्थिक मंदी की बात करना जल्दबाजी होगी। लेकिन हमें स्लोडाउन के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि पहले ही अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी 4.7 फीसदी के स्तर पर आ चुकी है। 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2 फीसदी की गिरावट की आशंका है। ऐसे में आर्थिक रिकवरी दूर की कौड़ी है। हमें तुरंत और मझोले स्तर की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होना होगा।

सरकार को राहत के लिए किस तरह के बड़े कदम उठाने चाहिए?

मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को 10 पॉइंट एक्शन प्लान पर काम करना चाहिए। जिसके आधार पर मेरे कुछ सुझाव हैं- 1. पीएम किसान योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली 6,000 रुपये की राशि को डबल कर 12,000 रुपये कर देनी चाहिए। 2. राज्यों के सहयोग से ठेके पर काम करने वाले किसानों को भी पीएम किसान योजना के तहत लाना चाहिए और उन्हें भी 12,000 रुपये की रकम दी जाए। 3.मनरेगा के तहत पंजीकृत लोगों के बैंक खाते में तुरंत 3,000 रुपये डाले जाएं। 4. जनधन खातों के खाताधारकों के खाते में तुरंत 6,000 रुपये की राशि जमा करनी चाहिए। 5. सभी राशन कार्डधारकों को चावल या गेहूं कम से कम 10 किलो मुफ्त देना चाहिए। 6. सभी पंजीकृत नियोक्ताओं को वेतन की गारंटी देनी चाहिए जिससे वह अपने कर्मचारियों को नहीं निकालें और उनके वेतन में कटौती नहीं करें।

7. सरकार को हर ब्लॉक और पंचायत पर ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए जिन्हें सहायता राशि नहीं मिली है। ऐसे लोगों को 3,000 रुपये की मदद बैंक खाते में देनी चाहिए। 8. किसी भी तरह की टैक्स देनदारी की अवधि को 30 जून तक बढ़ा देना चाहिए। 9. जरूरी वस्तुओं और सेवाओं और बड़ी मात्रा में खपत होने वाले उत्पादों पर जीएसटी रेट घटाकर 5 फीसदी कर देना चाहिए। 10. बैंकों को ईएमआई पर 30 जून तक छूट देनी चाहिए।

सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है, क्या कहना है?

सरकार ने जो आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान किया है उसका मैं कुछ अन्य चिंताओं के साथ स्वागत करता हूं। खुशी है कि मेरे द्वारा पेश किए गए 10 पॉइंट एक्शन प्लान में से कुछ चीजें शामिल की गई हैं। लेकिन मुझे लगता है कि सरकार को कुछ दिनों में एहसास होगा कि उसे बहुत कुछ करना बाकी है। पैकेज में गरीबों के लिए जो 3 महीने तक राशन की व्यवस्था की गई है वह अच्छा कदम है। लेकिन इसमें गरीब को जो नकद राशि देने की योजना है वह पूरी तरह से पर्याप्त नहीं है। इसकी वजह से कई लोग यह लाभ पाने से छूट जाएंगे। ठेके पर काम करने वाले किसान और निजी क्षेत्र में काम करने वाले बहुत से लोग हैं, उनके रोजगार को कोई चोट न पहुंचे उसके लिए इसमें कोई ठोस योजना नहीं दिखती है। जीएसटी रेट में भी कटौती नहीं की है, उम्मीद है कि सरकार जल्द ही प्लान-2 लेकर आएगी।

आरबीआइ के कदम कैसे हैं?

आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती करना निश्चित तौर पर नगदी को बढ़ाएगा। लेकिन आरबीआइ ने ईएमआइ पर जो राहत दी है वह अधूरे मन से दी है। इसे ऑटोमेटिक रूप से टल जाना चाहिए था लेकिन बैंकों के भरोसे छोड़ दिया गया है। साथ ही ईएमआइ पर 30 जून तक छूट मिलनी चाहिए थी, जिसका ख्याल नहीं रखा गया है।

लंबी अवधि की क्या रणनीति होनी चाहिए?

एक बात और हमें समझनी होगी कि कोविड-19 का असर लंबी अवधि के लिए होगा। ऐसे में हमें आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज्यादा फोकस करना होगा। इसके तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर, हेल्थ एजुकेशन, प्रशिक्षण, सफाई, शहरों में ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने, कचरा प्रबंधन, साफ पानी और साफ हवा के लिए रणनीति बनानी होगी। इस चुनौती को भी हमें राष्ट्रीय सुरक्षा जैसा महत्व देना होगा। तभी जाकर हम इस तरह की आपदा से अपने को संभाल सकेंगे।

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