Advertisement

सरकारी अस्पतालों के 40 फीसदी डॉक्टर-नर्स अधूरी तैयारियों से परेशान, संक्रमण से बढ़ा खतरा

कोविड-19 महामारी के खतरे से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं और वे पर्याप्त सावधानियां भी बरत रहे हैं, लेकिन बहुत...
सरकारी अस्पतालों के 40 फीसदी डॉक्टर-नर्स अधूरी तैयारियों से परेशान, संक्रमण से बढ़ा खतरा

कोविड-19 महामारी के खतरे से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं और वे पर्याप्त सावधानियां भी बरत रहे हैं, लेकिन बहुत से राज्यों में चिकित्सा सुविधाओं के साथ-साथ चिकित्सा कर्मियों के लिए जरूरी पर्सनल प्रोटक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) की कमी है। जम्मू कश्मीर, बिहार, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में पीपीई की कमी देखने को मिली। इस तथ्य का खुलासा 'कोविड-19 नेशनल प्रिपेयर्डनेस सर्वे 2020' में हुआ है। यह सर्वे प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग की तरफ से 410 जिला कलेक्टरों और आईएएस अफसरों के बीच 25 से 30 मार्च के दौरान कराया गया।

सिर्फ 40 फ़ीसदी अधिकारियों ने सरकारी अस्पतालों की तैयारियों को पर्याप्त बताया

सरकारी अस्पतालों की तैयारियों के बारे में पूछने पर 40 फ़ीसदी अधिकारियों ने ही उन्हें पर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि जिला और उप जिला अस्पतालों में मास्क और ग्लव्स जैसे पीपीई की कमी चिंता का विषय है। अरुणाचल प्रदेश में पीपीई के अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं, सैंपल कलेक्शन किट, टेस्टिंग फैसिलिटी, आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी है। असम में भी स्वास्थ्य कर्मी पीपीई की कमी से जूझ रहे हैं। बिहार में पीपीई के अलावा बुनियादी चिकित्सा उपकरणों, मास्क और सैनिटाइजर की कमी की बात भी सामने आई। छत्तीसगढ़ में पीपीई और चिकित्सा सुविधाओं के साथ चिकित्सा कर्मियों की भी कमी है। दिल्ली में प्रमुख चुनौती पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट की है। हरियाणा में भी पीपीई और वेंटिलेटर की कमी पर चिंता जताई गई। मध्य प्रदेश के जिलों में निजी अस्पताल या डॉक्टर न होने की वजह से सारा दबाव सरकारी अस्पतालों पर है। यहां वेंटिलेटर की भी कमी है। महाराष्ट्र में पीपीई, सैनिटाइजर, वेंटिलेटर की कमी तो है ही, प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों का अभाव भी एक समस्या है।

लोग कोविड-19 के खतरे से वाकिफ़, इससे बचने के उपाय भी कर रहे हैं

कोविड-19 को लेकर लोगों में काफी जागरूकता है। सर्वे में शामिल 92 फ़ीसदी अधिकारियों ने कहा कि लोग इसके खतरे से भलीभांति वाकिफ हैं और 75 फ़ीसदी ने यह भी कहा कि लोग इससे बचने के लिए पर्याप्त उपाय कर रहे हैं। 69 फ़ीसदी का मत था कि ज्यादातर लोग लॉकडाउन का शांतिपूर्वक पालन कर रहे हैं। हालांकि 31 फ़ीसदी की राय थी कि लोग चिंतित और घबराए हुए हैं। जिला और उप जिला अस्पतालों में पर्याप्त आइसोलेशन बेड हैं या नहीं, इस सवाल पर 50 फ़ीसदी अधिकारियों ने कहा कि पर्याप्त संख्या में बेड हैं, हालांकि 28 फ़ीसदी ने इससे असहमति भी जताई।

92 फ़ीसदी अधिकारियों ने कहा, लोगों को जरूरी चीजें पर्याप्त मात्रा में मिल रही हैं

95 फ़ीसदी अधिकारियों ने कहा कि सरकारी मशीनरी लोगों तक पहुंच रही है और उन्हें सोशल डिस्टेसिंग आदि के बारे में बता रही है। 82 फ़ीसदी जिला कलेक्टर और अधिकारियों ने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार की तैयारियां पर्याप्त हैं, 85 फ़ीसदी अधिकारियों ने राज्य सरकार की तैयारियों को भी पर्याप्त बताया। 92 फ़ीसदी ने कहा कि आवश्यक वस्तु एवं सेवाएं लोगों को पर्याप्त मिल रही हैं। इनकी सप्लाई या उपलब्धता में कोई दिक्कत नहीं है। 91 फ़ीसदी ने माना कि प्रधानमंत्री की जनता कर्फ्यू की अपील से लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बताने में मदद मिली।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement