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कवयित्री कमला दास को गूगल ने दी डूडल सम्मान के साथ श्रद्घांजलि

 आज गूगल का डूडल कमला दास के नाम है. कमला दास भारत की नामचीन कवयित्री और मलयालम लेखिका थीं. दास ने...
कवयित्री कमला दास को गूगल ने दी डूडल सम्मान के साथ श्रद्घांजलि

 आज गूगल का डूडल कमला दास के नाम है. कमला दास भारत की नामचीन कवयित्री और मलयालम लेखिका थीं. दास ने महिलाओं की सेक्सुअल जिंदगी और शादी-ब्याह से जुड़ी परेशानियों को अपनी रचनाओं में उकेरा। भारत के इतिहास में दास शायद पहली लेखिका थीं जिन्होंने नारी विमर्श पर खुलकर बहुत कुछ लिखा।

मीडिया खबरों के मुताबिक, 31 मार्च 1934 को केरल के त्रिचूर जिले में जन्मी कमला दास पैदा तो हिंदू परिवार में हुईं लेकिन 68 साल की उम्र में इस्लाम कबूल किया और तब से इन्हें कमला सुरैया के नाम से जाना जाने लगा।

मशहूर अखबार मातृभूमि के कार्यकारी संपादक वीएम नायर और नालापत बलमानी अम्मा के घर में इनका जन्म हुआ। बलमानी अम्मा खुद भी मलयाली कवयित्री थीं। दास का बचपन कलकत्ता में गुजरा जहां इनके पिता वाकफोर्ड ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे। दास ने भी अपनी मां की तरह लिखना शुरू किया। इनके चाचा नालापत नारायण मेनन भी प्रसिद्ध लेखक थे जिनका असर कमला दास की जिंदगी पर पड़ा। कविता के प्रति दास का आकर्षण इतना बढ़ा कि बहुत कम उम्र से ही उन्होंने लिखने-पढ़ने का काम शुरू कर दिया। 15 साल की उम्र में कमला की शादी माधव दास से हुई जो कि पेशे से बैंकर थे। उनके पति ने लिखने के लिए प्रेरित किया और आगे चलकर उनकी रचनाएं अंग्रेजी और मलयालम दोनों भाषाओं में छपने लगीं। सन 1976 में कमला दास की आत्मकथा-माई स्टोरी छपी। दास की रचनाओं और जिंदगी दोनों में एक खास तरह की दिलेरी दिखती है। नारीवादी लेखकों में अपना अलग मुकाम हासिल करने वाली कमला दास की कई पुस्तकें ऐसी हैं जिनमें उन्होंने महिलाओं की समस्याओं को केंद्र में रखा। कविता की दुनिया में दास के योगदान को देखते हुए देश ने उन्हें 'मदर ऑफ मॉडर्न इंडियन इंग्लिश पोएट्री' से नवाजा। दास की रचनाएं आज भी महिलाओं के लिए आदर्श साबित हो रही हैं। उनका ‌निध्‍ान उम्र के 75वें साल में 31 मई 2009 को  हुअा।  

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