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मॉडर्न सैंटा क्लॉज को शक्ल देने वाला कार्टूनिस्ट, जिसने एक बाहुबली को घुटनों पर ला दिया

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मॉडर्न सैंटा क्लॉज को शक्ल देने वाला कार्टूनिस्ट, जिसने एक बाहुबली को घुटनों पर ला दिया

सैंटा क्लॉज इज कमिंग टू टाउन

ही इज मेकिंग अ लिस्ट एंड चेकिंग इट ट्वाइस

गोइंग टू फाइंड आउट हू इज नॉटी एंड नाइस

सैंटा क्लॉज इज कमिंग टू टाउन

ईसाई धर्म की लोक-कथा का एक नायक। सुर्ख लाल कपड़ों में चश्मे के ऊपर से झांकता हुआ एक बूढ़ा, जिसकी दाढ़ी एल्बस डम्बलडोर सरीखी है। वो अपनी लिस्ट बना रहा है और पता कर रहा है कि कौन सा बच्चा शैतान है, कौन सा अच्छा है। क्रिसमस ईव पर उसे इसी हिसाब से बच्चों को गिफ्ट देने हैं। वो नॉर्थ पोल के अपने घर से ‘हो-हो-हो’ करता हुआ कस्बे में आने वाला है, झोले में छिपे खिलौने, मोजे और अपनी दाढ़ी-मूंछ में छिपी मुस्कान के साथ।

सैंटा क्लॉज कहीं हो या ना हो, हमारे लोक मानस में ज़रूर है बशर्ते उसे भी सिर्फ धार्मिक पहचान के आधार पर सीमित ना कर दिया जाए, जिसका ख़तरा आजकल ज्यादा है।

कहां से आया आज वाला सैंटा?

संत निकोलस, ब्रिटेन के फादर क्रिसमस और डच किरदार सिंटरक्लास का मिला-जुला मॉडर्न अमेरिकन रूप है सैंटा क्लॉज। सैंटा की इमेज के बारे में 19वीं सदी में कल्पना की गई, जो यूनाइटेड स्टेट्स और कनाडा में प्रचलित हुई। सैंटा कैसा दिखता है, इसका पहला जिक्र 1821 की किताब ‘अ न्यू ईयर गिफ्ट’ की एक कविता में मिलता है, लेकिन इसे लिखने वाले का नाम नहीं था। इस कविता में रेनडियर के साथ सैंटा क्लॉज का एक चित्र भी छपा था लेकिन ये सैंटा क्लॉज आज के सैंटा से काफी अलग दिखता था। इस कविता और चित्र पर बाद में क्लीमेंट सी मूर ने दावा किया था लेकिन यह विवादित है कि सैंटा की पहली शक्ल किसने बनाई।

आज जिस सैंटा क्लॉज को हम देखते हैं, उसे प्रचलित हुलिये के हिसाब से शक्ल देने और लोकप्रिय बनाने का काम किया थॉमस नैस्ट ने। थॉमस नैस्ट अमेरिका के दिग्गज पॉलिटिकल कार्टूनिस्ट थे। उन्हें ‘फादर ऑफ मॉडर्न पॉलिटिकल कार्टून’ भी कहा जाता है। थॉमस नैस्ट हार्पर्स वीकली मैगजीन के लिए कार्टून बनाते थे। 3 जनवरी, 1863 को पहली बार उनका बनाया सैंटा मैगजीन में छपा, जो धीरे-धीरे कल्ट बन गया। इस कार्टून में सैंटा ने अमेरिकन ड्रेस पहन रखी थी। आज सैंटा के बहाने उसे शक्ल देने वाले थॉमस नैस्ट पर बात करेंगे।

3 जनवरी, 1863 को हार्पर वीकली में छपी सैंटा की तस्वीर

जब लिंकन ने कहा-  हमारा बेस्ट रिक्रूटिंग सार्जेंट

थॉमस नैस्ट की पैदाइश जर्मनी की थी लेकिन पढ़ाई-लिखाई अमेरिका में हुई। 19 मार्च, 1859 को पुलिस करप्शन के बारे में उनका पहला कार्टून हार्पर्स वीकली मैगजीन में छपा। उस समय नैस्ट की उम्र 19 साल थी। 1860 से 61 एक साल तक इंग्लैण्ड और इटली के कई अखबारों के लिए काम किया और अमेरिका लौट आए। 1862 में हार्पर्स वीकली से जुड़ गए।

थॉमस नैस्ट का सेल्फ-कैरिकेचर

शुरुआती दौर में वह मानवीय संबंधों और संवेदनाओं के चित्र बनाते थे। धीरे-धीरे अमेरिकन सिविल वॉर का उन पर प्रभाव पड़ा। उन्होंने युद्ध में लड़ रहे सैनिकों की तकलीफें दिखायीं। 1864 का उनका कार्टून ‘कॉम्प्रोमाइज विद द साउथ’ चर्चित रहा। प्रेसिडेंट अब्राहम लिंकन ने उनकी तारीफ की। उन्होंने नैस्ट को ‘हमारा बेस्ट रिक्रूटिंग सार्जेंट’ कहा।

कॉम्प्रोमाइज विद द साउथ

धीरे-धीरे नैस्ट के कार्टून के थीम बदलते गए। इनमें राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक विषय आने लगे। कैथोलिक चर्च के खिलाफ उन्होंने आवाज़ उठानी शुरू कर दी। ‘द अमेरिकन रिवर गैंग्स’ नाम के एक तीखे कार्टून में बिशप को उन्होंने मगरमच्छ की तरह दिखाया, जो स्कूलों की तरफ बढ़ रहे हैं। शिक्षा में धर्म के प्रवेश को नैस्ट लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ मानते थे।

 

‘द अमेरिकन रिवर गैंग्स

न्यूयॉर्क का बॉस, जिसकी सत्ता को पेंसिल की लकीरों ने चुनौती दी

सत्ता, पैसा और दबंगई का कॉम्बिनेशन हमारे यहां जिसके पास हो, उसे बाहुबली नेता कहा जाता है लेकिन ये शब्द बड़ा वैश्विक है। ऐसा ही एक बाहुबली हुआ न्यूयॉर्क में। नाम था विलियम एम ट्वीड, जिसे सब ‘बॉस’ ट्वीड कहते थे। डेमोक्रेटिक पार्टी का भ्रष्ट नेता, जिसने 19वीं सदी में न्यूयॉर्क की राजनीति को प्रभावित किया। अपने उरूज पर न्यूयॉर्क में वह तीसरा आदमी था, जिसके पास सबसे ज़्यादा ज़मीन थी। कई अहम जगहों पर उसका कब्जा था। वह एरी रेलरोड, दसवें नेशनल बैंक, न्यूयॉर्क प्रिंटिंग कंपनी का डायरेक्टर और मेट्रोपॉलिटन होटल का मालिक था।

विलियम एम ट्वीड

1852 में उसे हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के लिए चुना गया। धीरे-धीरे वह टैमनी हॉल की राजनीति को कंट्रोल करने लगा। औद्योगिक क्रांति नयी-नयी हुई थी और शहर अभी भी डेवलप ही कर रहा था। नये बन रहे शहर में माफिया टाइप के लोगों के लिए काफी स्कोप होता है। बड़े-बड़े प्रोजेक्ट अपने रसूख और पॉवर के दम पर ट्वीड ने हथिया लिए थे। लोगों को रोजगार देने का वादा कर वह सबका मसीहा भी बना हुआ था। उसने कानून की कभी पढ़ाई नहीं की थी लेकिन उसने एक लॉ ऑफिस भी खोल रखा था।

नैस्ट के कार्टून में बॉस ट्वीड

ट्वीड अपने गले में एक हीरे का लॉकेट पहनता था, जिसे लेकर थॉमस नैस्ट ने ट्वीड पर शुरुआती कार्टून बनाए। 1869 के चुनाव के बाद ट्वीड का न्यूयॉर्क पर पूरी तरह शासन हो गया था। ट्वीड और उससे जुड़े लोगों को 'ट्वीड रिंग' कहा गया। इधर, नैस्ट ने ट्वीड रिंग पर कार्टून बनाना जारी रखा। उन्होंने टैमनी टाइगर से ट्वीड के समय के भ्रष्ट माहौल को दिखाना शुरू किया।

द टैमनी टाइगर लूज

ट्वीड एरा में गिरावट 1871 में आनी शुरू हुई। इस दौरान आयरिश प्रोटेस्टेंट लोग कैथोलिक लोगों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। दंगे भी हुए। टैमनी हॉल का ज्यादातर वोटर आयरिश शरणार्थी था। सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए उन्हें कंट्रोल करना जरूरी था, लेकिन जुलाई के दंगों के बाद स्थिति बिगड़ गई।

नैस्ट के कार्टून में ट्वीड रिंग

इस बीच हार्पर्स वीकली में थॉमस नैस्ट के कार्टून लगातार ट्वीड के खिलाफ छप रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्वीड बौखला गया था। उसने कहा था कि इन बेहूदी तस्वीरों को बंद करो। मेरे इलाके के लोग पढ़ना नहीं जानते लेकिन वो तस्वीरें देखने से खुद को नहीं रोक सकते।

हू स्टोल द पीपल्स मनी?

ट्वीड ने नैस्ट को 10,000 डॉलर की रिश्वत भी देनी चाही। नैस्ट ने यह कहते हुए इनकार किया, 'मैं नहीं समझता, मैं यह करूंगा। मैंने हाल ही में इनमें से कुछ लोगों को सलाखों के पीछे करने का मन बनाया है।'

नैस्ट के कैंपेन को लोगों का समर्थन मिलने लगा। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी ट्वीड को लेकर खुलासे किए। 7 नवंबर, 1871 को हुए चुनाव में ट्वीड रिंग सत्ता से बेदखल हो गया। 1873 में ट्वीड को धोखाधड़ी के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया गया। 1875 में ट्वीड ने देश से भागकर क्यूबा और फिर स्पेन जाने की भी कोशिश की। लेकिन विगो में अफसरों ने नैस्ट के कार्टून की वजह से ही उसे पहचान लिया।

डिफीटेड बॉस ट्वीड

1877 की एक कमेटी के मुताबिक, ट्वीड ने भ्रष्टाचार और टैक्स का पैसा चुराकर 25 मिलियन डॉलर से लेकर 45 मिलियन डॉलर तक की मोटी रकम बनायी थी। अप्रैल, 1878 में ट्वीड की मौत हो गई।

थॉमस नैस्ट विवादों में भी काफी रहे। उन पर आयरिश लोगों को लेकर रेसिस्ट और पूर्वाग्रही होने का आरोप लगा और ये बात कई बार उनके कार्टून में भी दिख जाती थी।

अंकल सैम

कई देश अपनी नेशनैल आइडेंटिटी को दिखाने के लिए कुछ प्रतीकों का इस्तेमाल करते हैं। नेशन स्टेट के कॉन्सेप्ट के बाद ये चीज ज्यादा प्रयोग में आयी। ऐसे ही यूनाइटेड स्टेट्स की नेशनैलिटी का प्रतीक है अंकल सैम। यह यूएस के निकनेम की तरह है। इससे पहले कोलंबिया को यूएस का प्रतीक माना जाता था। अंकल सैम एक दुबला पतला और लम्बा किरदार है, जो उंची हैट पहनता है।

अंकल सैम किरदार की शुरूआत कहां से हुई, ये ठीक-ठीक नहीं बताया जा सकता। कई लोग मानते हैं अंकल सैम के किरदार को भी नैस्ट ने ही गढ़ा था, जबकि ऐसा नहीं है। हालांकि, उन्होंने इस किरदार का इस्तेमाल अपने कार्टून में काफी किया।

थॉमस नैस्ट का अंकल सैम

1870 में थॉमस नैस्ट ने अंकल सैम की एक फोटो के साथ इस निकनेम को पॉपुलर किया। नैस्ट ने सफेद बकरा दाढ़ी, धारीदार पैंट और सूट पहने एक लम्बे आदमी की तस्‍वीर डिजाइन की। इससे पहले उन्होंने 'थैंक्सगिविंग डिनर' की एक तस्वीर 1869 में बनाई थी, जिसमें अंकल सैम शब्द का इस्तेमाल किया गया।

अंकल सैम्स थैंक्सगिविंग डिनर

अंकल सैम का इतिहास बताने वाली एक कहानी कहती है कि साल 1813 में अमेरिका को इसका नि‍कनेम मिला। इस नाम को न्‍यूयॉर्क के मीट पैकर सैम्युअल विल्सन के साथ जोड़ा जाता है।

सैम्युअल विल्सन 1812 में एक युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना को मीट के पैकेट सप्लाई किया करते थे। तब ठेकेदार और सप्लायर पैकेटों पर अपना नाम लिखा करते थे। विल्‍सन के मीट के पैकेटों पर 'E.A-U.S.' लिखा होता था। यह पूछने पर कि इसका मतलब क्या है, विल्सन के साथ काम करने वाले लोग कहते थे, एल्बर्ट एंडरसन (ठेकेदार) और अंकल सैम यानी सैम्युअल का छोटा रूप।

सैम्युअल विल्सन

इसी दौरान किसी लोकल न्‍यूज़-पेपर ने इस घटनाक्रम को छाप दिया। धीरे-धीरे 'अंकल सैम' नाम पॉपुलर हो गया। यह अमेरिकी सरकार का प्रतीक बन गया।

लेकिन अंकल सैम की आज जो तस्वीर ज्यादा चर्चित है, वह जेम्‍स मोंटगोम्‍री फ्लाग की बनायी हुई है। फ्लाग ने अंकल सैम को एक लंबे टॉप और नीले रंग की जैकेट में दिखाया था। पहले विश्व युद्ध के समय यह तस्‍वीर एक वाक्‍य के साथ काफी मशहूर हुई। इसमें अंकल सैम नौजवानों की तरफ इशारा कर रहा है और कह रहा है 'आई वांट यू फॉर यूएस आर्मी।'

जेम्‍स मोंटगोम्‍री फ्लाग का अंकल सैम

रिपब्लिकन एलीफैंट और डेमोक्रेटिक डंकी

रिपब्लिकन पार्टी के सिंबल ‘एलीफैंट’ और डेमोक्रेटिक पार्टी के ‘डंकी’ को पॉपुलर बनाने में भी नैस्ट का ही हाथ था। ध्यान रहे उन्होंने इन्हें गढ़ा नहीं था। डेमोक्रेटिक पार्टी डंकी को आधिकारिक तौर पर अपना सिंबल नहीं मानती है लेकिन उसके लिए यह सिंबल इस्तेमाल होता है जबकि रिपब्लिकन पार्टी एलीफैंट को अपना आधिकारिक सिंबल मानती है।

डेमोक्रेटिक डंकी के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। इसका आइडिया कहां से आया, इसके लिए साल 1828 में चलना होगा। अमेरिका में प्रेसिडेंट पद के लिए कैंपेन चल रहा था। तब एंड्रयू जैक्सन डेमोक्रेट उम्मीदवार थे। इस दौरान उनके विरोधियों ने उन्हें जैक-‘ऐस’ कहना शुरू कर दिया। ऐस यानी गधा। राजनीति में खुद पर की गई किसी टिप्पणी को ट्विस्ट करने का खेल पुराना है। हाल ही में अपने देश के चुनावी प्रचार में हमने ये खेल देख रखा है। खैर, जैक्सन ने इसे नकारात्मक तौर पर लेने की जगह हल्का सा ट्विस्ट कर दिया। उन्होंने गधे की तस्वीर अपने कैंपेन में इस्तेमाल करनी शुरू की। गाली की जगह उन्होंने इसे मेहनती और विनम्र होने से जोड़ दिया। बाद में जैक्सन ने अपने प्रतिद्वंदी जॉन क्विंसी एडम्स को हराया और अमेरिका के पहले डेमोक्रेट प्रेसिडेंट बने। इसके बाद ये सिंबल कई सालों के लिए गायब हो गया।

एंड्रयू जैक्सन

लेकिन 1870 के दशक में थॉमस नैस्ट ने इसे फिर से ज़िंदा कर दिया। वो अपने कार्टून में डेमोक्रेट्स के लिए ‘गधे’ का सिंबल इस्तेमाल करने लगे।

रिपब्लिकन पार्टी 1854 में बनी और इसके 6 साल बाद अब्राहम लिंकन व्हाइट हाउस के लिए इस पार्टी से चुने गए। सिविल वॉर के दौरान एक पॉलिटिकल कार्टून में रिपब्लिकन पार्टी के लिए हाथी का सिंबल दिखाया गया। इसे साहस और शौर्य का प्रतीक बताया गया। बाद में 1874 में नैस्ट ने इसे ‘द थर्ड टर्म पैनिक’ नाम के कार्टून में इसका प्रयोग किया। धीरे-धीरे दूसरे कार्टूनिस्ट भी रिपब्लिकन पार्टी के लिए इस सिंबल का इस्तेमाल करने लगे।

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