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योगी मंत्रिमंडल विस्तार में चुनावी गणित को तरजीह, दागियों पर चुप्पी से उठे सवाल

यूपी भाजपा ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में सर्जरी कर 2022 की जमीन तैयार की...
योगी मंत्रिमंडल विस्तार में चुनावी गणित को तरजीह, दागियों पर चुप्पी से उठे सवाल

यूपी भाजपा ने 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रिमंडल में सर्जरी कर 2022 की जमीन तैयार की है। हालांकि कैबिनेट विस्तार के नाम पर जिस प्रकार से भ्रष्टाचार आदि की शिकायतों पर चार मंत्रियों के इस्तीफे लिए गए हैं और बाकी दागी मंत्रियों के खिलाफ शिकायतों के बावजूद कार्यवाही नहीं की गई है, उससे साफ पता चलता है कि कार्रवाई दिखावे के लिए की गई है।

केवल छोटो पर गाज

‘बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार’ के नारे से सत्ता में आई भाजपा सरकार भले ही दावे करे कि वह भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है, लेकिन कथनी और करनी में अंतर दिख ही जाता है। हाल ही में स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, स्वास्थ्य विभाग में पैरामेडिकल से लेकर सीएमओ तक के तबादले में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायत पर मुख्यमंत्री ने खुद रोक लगाई थी। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी में कुंभ में भ्रष्टाचार और तबादलों पर भी सवालिया निशान लगे। मंडी परिषद में भ्रष्टाचार और सहकारिता विभाग में एक जाति के लोगों को नौकरियां देने के आरोप लगे थे। तमाम मामलों में मुख्यमंत्री से सीधे शिकायत की गई थी और उनके संज्ञान में भी मामले थे। इसके अलावा संगठन की ओर से भी मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया था, लेकिन सिर्फ चार मंत्रियों से इस्तीफे लिए जाने से भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी दबी जुबान इसे समझ से परे बता रहे हैं। साथ ही मंत्री मंडल के लिए चयन पर भी सवालिया निशान उठा रहे हैं।उम्मीद यह लगाई जा रही थी कि योगी मंत्रिमंडल से चार नहीं, कम से कम आठ मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाए जाने की चर्चा थी, उसमें मंत्री स्वाति सिंह, नंद गोपाल नंदी, सिद्धार्थनाथ सिंह और मुकुट बिहारी लाल शामिल थे।

कैबिनेट विस्तार कर ध्यान बांटना चाहती है भाजपा: अखिलेश

कैबिनेट विस्तार पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि हर मोर्चे पर असफल होती प्रदेश सरकार अपनी नाकामी से ध्यान हटाने के लिए एक तरफ अधिकारियों के ट्रांसफर कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेना चाहती है, तो दूसरी तरफ कैबिनेट का विस्तार कर जनता का ध्यान बांटना चाहती है। भाजपा की गुमराह करने वाली राजनीति से जनता त्रस्त है। भाजपा की राज्य सरकार बने तो ढाई वर्ष हो गए, अब जाकर मुख्यमंत्री को और भाजपा नेतृत्व को पता चला कि उनके साथ अकर्मण्य, नानपरफार्मर मंत्री भी हैं, जिनसे इस्तीफा लिया गया। इस बीच कितनी ही समस्याएं बढ़ गईं। बेकारी, महंगाई की मार से नौजवान, किसान, गरीब सभी परेशान हैं। कानून व्यवस्था मजाक बनकर रह गई है।

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