भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (बिजनेस में सहूलियत) रैंकिंग सुधारने में मोदी सरकार के अभियान को एक झटका लगा है।
देश के 11 राज्य ऐसे हैं, जो वर्ल्ड बैंक और डीआईपीपी की ओर से तैयार की गई रियल टाइम रैकिंग में जीरो स्कोर पर हैं। इनमें यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश भी शामिल हैं जहां बीजेपी की सरकारें हैं।
इसका आसान सा मतलब है कि यहां निवेशक पैसा लगाने से बचेंगे क्योंकि बिजनेस के लिहाज से ये प्रदेश अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।
जीरो स्कोर उन राज्यों को दिया गया है, जिन्होंने रैंकिंग के लिए बनाए गए पैरामीटर की दिशा में कोई भी काम नहीं किया है। रियल टाइम रैंकिंग 14 अक्टूबर तक के अपडेट के आधार पर बनाई गई है।
किन राज्यों को मिला जीरो स्कोर?
ये हैं जीरो स्कोर वाले राज्य - मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार
11 राज्यों को क्यों मिला जीरो स्कोर?
असल में डीआईपीपी और वर्ल्ड बैंक ने मिलकर अप्रैल 2017 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया था।
इस प्लान में राज्यों में सुधार के लिए 405 सिफारिशें? की गई हैं। इसके आधार पर राज्य सरकारें अपने यहां एक्शन प्लान लागू करती हैं और उस दिशा में सुधार किए जाते हैं। राज्यों की रैंकिंग इन्ही रिफॉर्म के आधार पर दी जाती है। यानी जिस राज्य ने जितना ज्यादा सुधार किया उसे उतना ही स्कोर मिलता है। जीरो स्कोर स्कोर का मतलब कि संबंधित राज्यों ने उस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
रैंकिंग अच्छी होने से क्या फायदा?
रियल टाइम रैंकिंग होने से इन्वेस्टर्स के लिए किसी राज्य में निवेश करना आसान हो जाता है। जिन राज्यों की रैंकिंग अच्छी होगी वहां वहां पर निवेशक आसानी से इन्वेस्ट करेगा, जबकि जिन राज्यों की रैंकिंग खराब होगी, वहां निवेशक निवेश करने से बचेगा।
5 राज्यों का 20 से ज्यादा स्कोर, यानी अच्छी परफॉर्मेंस वाले राज्य
तेलंगाना- 37.37, हरियाणा- 34.41, वेस्ट बंगाल- 27.69, असम- 24.46, महाराष्ट्र- 22.58
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