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टेलीकॉम कंपनियों के बकाए पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप

आदेश के बावजूद दूरसंचार विभाग द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से बकाया वसूलने में ढिलाई बरतने पर सुप्रीम...
टेलीकॉम कंपनियों के बकाए पर कांग्रेस ने सरकार को घेरा, अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप

आदेश के बावजूद दूरसंचार विभाग द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से बकाया वसूलने में ढिलाई बरतने पर सुप्रीम कोर्ट की खिंचाई के बाद कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने अदालत के आदेश के बावजूद बकाए भुगतान को स्थगित करके सरकार ने प्राइवेट कंपनियों के अनुचित फायदा पहुंचाया है।

सरकार बताए- असीम कृपा क्यों की?

कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोबाइल कंपनियों ने टैरिफ में 40 फीसदी की बढ़ोतरी करके उपभोक्ताओं से 35,561 करोड़ रुपये ठगे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि तीन कंपनियों से 1.02 लाख करोड़ रुपये की वसूली स्थगित करने के लिए तीन जनवरी 2020 को फैसला क्यों किया गया। कांग्रेस ने स्पेक्ट्रम नीलामी की किस्त के रूप में 2020-21 और 2021-22 के दौरान 42,000 करोड़ रुपये की वसूली भी स्थगित करने का आरोप लगाया। केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले साल 29 नवंबर को इसका फैसला किया था। सुरजेवाला ने पूछा, "यह कोई संयोग है या फिर प्रयोग? क्या भाजपा बताएगी कि इस असीम कृपा के पीछे क्या कारण है।"

विभाग भुगतान में देरी पर दंडात्मक कार्रवाई करेगा

उधर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी और कड़े निर्देश के बाद समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की बकाया राशि चुकाने में नाकाम रहने वाली टेलीकॉम कंपनियों पर दूरसंचार विभाग दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने बताया कि शनिवार होने के कारण अधिकांश कार्यालय बंद है। ऐसे में विभाग सोमवार तक भुगतान के लिए इंतजार करेगा। उसके बाद नोटिस भेजने और लाइसेंस की शर्तों के मुताबिक दंडात्मक कार्रवाई करने पर विचार करेगा। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनियों को पहले ही पांच नोटिस दिए जा चुके हैं। विभाग ने भुगतान के लिए कोई मोहलत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी और कड़े िनर्देश के बाद अब कंपनियां कह रही हैं कि वे सोमवार तक काफी भुगतान कर देंगी। लेकिन विभाग प्रत्येक बकाए भुगतान में देरी के लिए कार्रवाई करेगा।

मुद्दे सुलझाने को सरकार के पास पर्याप्त अधिकारः सीओएआइ

उधर, मोबाइल कंपनियों के संगठन सीओएआइ ने कहा है कि सरकार के पास टेलीकॉम कंपनियों की समस्याएं सुलझाने के लिए पर्याप्त अधिकार और  विकल्प है। सिर्फ दो टेलीकॉम ऑपरेटर होना देश और उपभोक्ताओं के हित में नहीं होगा।

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