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हिंदू राष्ट्रवाद की वजह से छिड़ सकती है भारत-चीन में जंग: चीनी मीडिया

चीनी मीडिया का कहना है कि भारत को चेतावनी दिए जाने के बावजूद वह चीन को उकसा रहा है।
हिंदू राष्ट्रवाद की वजह से छिड़ सकती है भारत-चीन में जंग: चीनी मीडिया

भारत-चीन के संबंध दिन-ब-दिन तल्ख होते जा रहे हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे, चीन की बेल्ट और रोड योजना से लेकर डोकलाम पठार तक भारत-चीन में पहले से ही ठनी हुई है। अब चीन का मीडिया भी इसमें कूद पड़ा है।

चीन के सरकारी अखबार ग्लाेबल टाइम्स में छपे यू निंग के संपादकीय के मुताबिक, ‘’नरेन्द्र मोदी के चुनाव ने देश में राष्ट्रवाद को हवा दे दी है। मोदी ने सत्ता में आने के लिए बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद का फायदा उठाया है। इससे देश में कट्टरपंथियों का प्रभाव बढ़ा है। भारत को युद्ध से बचने के लिए धार्मिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। भारत में मांग उठ रही है कि पाकिस्तान और चीन के खिलाफ सख्ती से पेश आया जाए। सीमा विवाद इसी का एक हिस्सा है जो धार्मिक राष्ट्रवादियों की मांग पर खरा उतरता है।‘’

लेख में आगे कहा गया है, ‘’राष्ट्र-शक्ति के मामले में भारत, चीन से कमजोर है। भारत के रणनीतिकारों और नेताओं की वजह से उसकी चीन संबंधी नीतियां धार्मिक राष्ट्रवाद के चंगुल में फंस गई हैं। इससे भारत के हितों को ही खतरा है। भारत को इस बारे में सचेत रहना चाहिए और दोनों देशों को युद्ध में धकेलने के लिए धार्मिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।‘’

इस लेख में 1962 के युद्ध, डोकलाम विवाद और चीन की महात्वाकांक्षी परियोजना ‘बेल्ट एंड रोड’ का भी जिक्र किया गया है। खासकर डोकलाम विवाद के बाद से लगातार चीनी मीडिया भारत को लेकर मुखर है।

क्या है डोकलाम विवाद?

यह विवाद पिछले लगभग एक महीने से बढ़ गया है। डोकलाम पठार भारत-चीन-भूटान की त्रिकोण सीमा में चुंबी घाटी के पास पड़ता है इसलिए भूटान इसमें तीसरा पक्ष है। भारत भूटान के पक्ष में है। जून में भूटान की सेना ने ये मुद्दा उठाया था कि चीन इस इलाके की तरफ एक सड़क बना रहा है।  

पीटीआई के हवाले से कहा गया था कि 2012 में चीन की सेना ने भारत से यहां बने दो बंकर हटाने को कहा था। ये बंकर भारतीय सेना ने बैक-अप के लिए बनाए थे। गत छह जून को चीन के बुलडोजरों ने इन दोनों बंकरों को नष्ट कर दिया था और दावा किया कि इस इलाके में न तो भारत का अधिकार है न ही भूटान का। तब से ये विवाद बढ़ता ही जा रहा है। चीन इस इलाके को डोंगलांग कहता है।

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