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आम्रपाली में एक रुपये की दर से बुक किए गए बेनामी फ्लैट्स, फॉरेंसिक ऑडिटर्स का सुप्रीम कोर्ट में खुलासा

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त ऑडिटर्स की फॉरेंसिक जांच में आम्रपाली समूह के घपलों में नया खुलासा...
आम्रपाली में एक रुपये की दर से बुक किए गए बेनामी फ्लैट्स, फॉरेंसिक ऑडिटर्स का सुप्रीम कोर्ट में खुलासा

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त ऑडिटर्स की फॉरेंसिक जांच में आम्रपाली समूह के घपलों में नया खुलासा सामने आया है। ऑडिटर्स ने कोर्ट को बताया कि कंपनी ने 500 से ज्यादा फ्लैट्स केवल एक रुपये प्रति वर्ग फुट की दर पर बुक किए। वहीं, चपरासी और वॉर्ड ब्वॉय के नाम पर कंपनियां बनाकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।

फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की पीठ के समक्ष अंतरिम रिपोर्ट पेश की। ऑडिटर पवन कुमार अग्रवाल  ने पीठ को बताया कि आम्रपाली ने 23 कंपनी ऑफिस ब्वॉय, चपरासी और ड्राइवर के नाम खोली और बायर्स के पैसे ट्रांसफर किए। करीब 500 लोगों को केवल एक रुपये, पांच रुपये और 11 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से पॉश फ्लैट बुक किए गए। इन बेनामी फ्लैट के मामले में 655  लोगों के नाम नोटिस जारी किए गए लेकिन बुकिंग में बताए गए ऐसे 122 जगहों पर कोई नहीं मिला।

अज्ञात लोगों के नाम ट्रांसफर किया गया पैसा

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर चंदर वाधवा ने 4.75 करोड़ रुपये अज्ञात लोगों के नाम पर ट्रांसफर किए हैं। ऐसा उन्होंने पिछले साल 26 अक्टूबर को कोर्ट में पेशी से महज तीन दिन पहले किया। फॉरेंसिक ऑडिटर ने बताया कि वाधवा के खाते में मार्च, 2018 तक 12 करोड़ रुपये थे। उसके बाद उन्होंने एक करोड़ रुपये पत्नी के खाते में ट्रांसफर किए हैं।

पीठ ने कोर्ट में मौजूद वाधवा को फटकारने के बाद कहा कि आपको पता था कि कोर्ट सवाल पूछेगा, इसलिए रकम ट्रांसफर कर दी। 23 अक्टूबर, 2018 को पैसा खाते से ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं थी। हमें ट्रांसफर की गई पूरी रकम सात दिनों में वापस चाहिए। आपने न्याय प्रक्रिया को बाधित किया है और हम आप पर अदालत की अवमानना का मामला चला सकते हैं।

कोर्ट ने फॉरेंसिक ऑडिटरों से कहा है कि वह आम्रपाली समूह के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा से एक करोड़ रुपये और डायरेक्टर शिव प्रिया से एक करोड़ रुपये वसूलें। वर्ष 2013-14 में आयकर विभाग की छापेमारी में मिले 200 करोड़ रुपये के रॉ मेटीरियल के फर्जी बिल और बाउचर के विभाग के आर्डर को पेश करें।

मांगा एक सप्ताह में जवाब

अन्य फॉरेंसिक ऑडिटर रवि भाटिया ने कोर्ट को बताया कि आम्रपाली समूह ने आइटी आर्डर के खिलाफ अपील की है। फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने जेपी मार्गन रियल एस्टेट फंड और आम्रपाली समूह के कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन पर भी ध्यान खींचा।  कोर्ट ने आम्रपाली से निवेशको के पैसों शेयर के जरिए दूसरी कंपनी जेपी मॉर्गन को भेजने के विषय मे जानकारी भी मांगी है। जेपी मॉर्गन को एक हफ्ते में जवाब देना है। 2010 में मॉर्गन ने नियमों के विपरीत 85 करोड़ रुपये में आम्रपाली के शेयर खरीदे, फिर 140 करोड़ रुपये में नीलकंठ और रुद्राश नामक कंपनियों को बेच दिया। यह कंपनियां आम्रपाली के स्थायी ऑडिटर रहे चंदन मित्तल और विवेक मित्तल की थीं।

आम्रपाली के विभिन्न प्रोजेक्ट में बिना रजिस्ट्री रह रहे करीब एक लाख से ज्यादा खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। कोर्ट ने इन खरीदारों को अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने को लेकर विभिन्न पक्षों से साथ ही नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कानूनी सुझाव मांगे हैं।

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