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लिंगभेद को लेकर समाज की विचारधारा को सही दिशा में प्रभावित कर सकते हैं कलाकार: आमिर

यौन उत्पीड़न के तमाम बड़े मामलों के बीच हिन्दी फिल्मों के अभिनेता आमिर खान ने कहा कि लिंगभेद संबंधी...
लिंगभेद को लेकर समाज की विचारधारा को सही दिशा में प्रभावित कर सकते हैं कलाकार: आमिर

यौन उत्पीड़न के तमाम बड़े मामलों के बीच हिन्दी फिल्मों के अभिनेता आमिर खान ने कहा कि लिंगभेद संबंधी सामाजिक दिक्कतों को दूर करने के लिए कलाकार और रचनात्मक क्षेत्र के लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आमिर का मानना है कि कलाकार और रचनात्मक क्षेत्र से जुड़े लोग समाज के लोगों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

महिला सशक्तिकरण को अपनी फिल्मों ‘दंगल’ और ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ का विषयवस्तु बनाने वाले आमिर खान का मानना है कि यह सारा मसला सीधे तौर पर पितृसत्ता से जुड़ा हुआ है। हार्वी वेंस्टिन वाले मामले के संबंध में सवाल करने पर अभिनेता ने कहा, मुझे लगता है कि, आपका लिंग चाहे कोई भी हो, यौन उत्पीड़न किसी के साथ होने वाली बहुत दुखद घटना है। यौन उत्पीड़न गलत है। उनका कहना है कि ऐसे मामले ना सिर्फ फिल्म जगत में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी हो रहे हैं।

फिल्हाल थाईलैंड में ‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान’ की शूटिंग कर रहे आमिर ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के साथ टेलीफोन साक्षात्कार में कहा, मुझे लगता है कि लोग जिसके साथ चाहें, रोमांटिक संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन आप किसी को अपने साथ शारिरीक संबंध बनाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। ऐसा सिर्फ फिल्मों में नहीं होता है, यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होता है।  

आमिर खान का कहना है कि यौन उत्पीड़न को सिर्फ किसी अलग-थलग मुद्दे के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि यह समाज की रूपरेखा तय करने वाली लिंगात्मक भूमिकाओं से जुड़ा है। अभिनेता का मानना है कि रचानात्मक लोग ऐसे दृष्टिकोण में बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने कहा, यह बड़े मुद्दे से जुड़ा हुआ है। ना सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, यह पितृसत्तात्मक सोच कि पुरूष ज्यादा शक्तिशाली हैं और ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, यह चीजों को कई ओर ले जाती है। यौन उत्पीड़न उनमें से एक है।

अभिनेता-सह-निर्माता का मानना है कि कलाकार लोगों के विचार बनाने/बदलने में मददगार हो सकते हैं। आमिर का कहना है, रचनात्मक लोगों की भूमिका ऐसी है कि वह पुरूषों और महिलाओं को इस रूप में पेश करें कि लोग इससे सही दिशा में प्रभावित हों। मुझे लगता है कि इसमें हमारी भी जिम्मेदारी बनती है। 

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