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इंटरव्यू : भारत की कहानियों को हिन्दी सिनेमा में मिल रही तरजीह, बोले अभिनेता करण टैकर

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इन दिनों राजनीति, अपराध पर आधारित वेब सीरीज और फिल्मों की धूम है। उत्तर भारत की...
इंटरव्यू : भारत की कहानियों को हिन्दी सिनेमा में मिल रही तरजीह, बोले अभिनेता करण टैकर

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर इन दिनों राजनीति, अपराध पर आधारित वेब सीरीज और फिल्मों की धूम है। उत्तर भारत की राजनीति, अपराध, पुलिस व्यवस्था को बहुत सुंदर तरीके से सिनेमाई पर्दे पर उकेरा जा रहा है। इसी कड़ी में सफल निर्देशक नीरज पाण्डेय बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित एक वेब सीरीज लेकर आ रहे हैं, जिसका नाम है ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’। यह वेब सीरीज 25 नवम्बर 2022 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। वेब सीरीज में अभिनेता करण टैकर ने पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई है। यह करण टैकर के अभिनय सफर के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। करण टैकर से उनके अभिनय और वेब सीरीज के अनुभव के बारे में आउटलुक हिन्दी से मनीष पाण्डेय ने बातचीत की।

 

 

आपने निर्देशक नीरज पाण्डेय के साथ वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स के दो सीजन में काम किया है। आप एक बार फिर नीरज पाण्डेय के निर्देशन में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, क्या अनुभव रहे हैं आपके, इस सीरीज से क्या उम्मीदें हैं? 

 

चूंकि सिनेमा निर्देशक का माध्यम है इसलिए हर कलाकार का उद्देश्य होता है कि बेहतरीन निर्देशक के साथ काम करे। मेरे लिए नीरज पाण्डेय के निर्देशन में काम करना बेहद खास है। स्पेशल ऑप्स का दूसरा सीजन जब रिलीज हुआ, तब दुनिया कोरोना महामारी के आगोश में थी। इसलिए उस तरह का उत्साह नहीं महसूस हुआ, जिस शिद्दत से काम किया था। उसी समय मैंने ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ के लिए सहमति जताई थी। काम करने का मेरा तरीका कुछ ऐसा है कि मैं जब कोई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट करता हूं तो अपनी सारी ऊर्जा उसी पर केंद्रित करता हूं। यही कारण है कि पिछ्ले तीन वर्षों में मैंने ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ के अलावा कोई बड़ा काम नहीं साइन किया। इस तरह आप समझ सकते हैं कि यह शो मेरे अभिनय सफर के लिए कितना महत्वपूर्ण है। मैंने अपना सब कुछ सौंप दिया है। मैंने किरदार को समझने, जीने की भरपूर कोशिश की है। मैंने अपनी क्षमताओं से बाहर जाकर किरदार को जीवंत करने का प्रयास किया है। मेरा ऐसा मानना है कि यदि आप मेहनत और ईमानदारी से प्रयास करते हैं तो आपकी सच्चाई दर्शकों के दिलों तक ज़रूर पहुंचती है। इसलिए मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारा प्रयास दर्शकों को अवश्य आकर्षित करेगा।

 

 

 

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उत्तर भारत के अपराध, वहां की राजनीति पर आधारित कॉन्टेंट को लगातार परोसा जा रहा है, आपकी वेब सीरीज की क्या विशेषता है ? 

 

 

मुझे बेहद खुशी होती है, जब भारतीय कहानियों को भारतीय अंदाज में दर्शकों तक पहुंचाया जाता है। इसे दर्शकों का भरपूर प्यार मिलता है। दर्शक जुड़ाव महसूस करते हैं। हमारे पास अपनी कहानियां हैं। हमने कई वर्षों तक पाश्चात्य सभ्यता से प्रेरित होकर कहानियां कही हैं। अब धीमे धीमे ही सही लेकिन कहानियों के लिए हम अपने गांव, अपने कस्बे में लौटे हैं। यह बहुत सुखद एहसास है। मैं यहां यह बताना चाहता हूं ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ एक किताब ‘बिहार डायरीज’ पर आधारित है,जिसे आईपीएस अधिकारी अमित लोधा ने लिखा है। यानी वेब सीरीज कल्पना पर नहीं सत्य घटनाओं पर आधारित है। वेब सीरीज में पुलिस अधिकारी और गैंगस्टर को बहुत विशेष ढंग से प्रस्तुत किया गया है। आपको प्रत्येक किरदार की पूरी यात्रा नजर आएगी। सबसे खास बात यह है कि वेब सीरीज में एक्शन, ड्रामा, रोमांस, थ्रिल सब कुछ है। इसमें अपराध, राजनीति, व्यापार, प्रेम सभी कुछ मौजूद है। इसलिए आप इसे एक चश्मे से नहीं देख सकते। यह वेब सीरीज आपको बिहार के विस्तृत रूप से परिचित कराएगी।

 

 

हिन्दी सिनेमा के तकरीबन सभी बड़े कलाकारों ने अपने अभिनय सफर में पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया है और इससे उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। आपके लिए पुलिस अधिकारी का किरदार निभाना कितना रोमांच से भरा रहा, क्या चुनौतियां पेश आईं?

 

मैं सच बोलूं तो मैंने बिलकुल दबाव महसूस नहीं किया। मेरी प्रक्रिया में दबाव महसूस करना शामिल नहीं है। इससे आप अपनी परफॉर्मेंस खराब ही करते हैं। मेरी कोशिश रहती है कि मैं कहानी को बारीकी से समझूं। उसमें खुद को उतार लूं। जिस क्षण मैं कहानी की सच्चाई को समझकर, उसे अपने अभिनय में अभिव्यक्त करूंगा, वह दर्शकों को छू जाएगा। इसलिए मेरा सारा ध्यान किरदार और कहानी को समझने में रहता है। मैं अन्य तरह का कोई स्ट्रेस नहीं लेता। मैं किसी से तुलना नहीं करता और न ही कॉपी करने की कोशिश करता हूं। मैं अपने जीवन के अनुभवों से कहानी को समझने की कोशिश करता हूं। इसलिए मेरे अभिनय में जो निकलकर आता है, उसमें मेरी छाप होती है। आप उसमें किसी अन्य अभिनेता को नहीं देख पाएंगे। मेरे लिए पुलिस अधिकारी का किरदार निभाना रोमांचक था। यूनिफॉर्म में अभिनय करना सभी को आकर्षित करता है। इसके साथ ही कहानी और किरदार इतने सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है कि अभिनय का मजा दोगुना हो गया। मुझे मेरे निर्देशक और लेखक ने हर कदम पर सहयोग किया, जिससे मैं किरदार के सुर पर टिका रहा। मेरे अब तक के अभिनय सफर में ‘खाकी: द बिहार चैप्टर’ में निभाया गया पुलिस कॉप का किरदार, मेरे दिल के सबसे करीब है। अब गेंद दर्शकों के पाले में है। मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को मेरा काम जरुर प्रभावित करेगा।

 

यह वेब सीरीज बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित है। आपने बिहार की भाषा, राजनीति, सामाजिक संरचना समझने के लिए क्या विशेष तैयारी की ? 

 

मेरा ऐसा मानना है कि जब भी आप किसी प्रांत की कहानी कहने की कोशिश करते हैं तो आपको वहां की सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक समझ होनी जरूरी है। तभी आपका अभिनय स्वाभाविक लगता है। उसमें नकलीपन नहीं लगता। दर्शक आपसे, आपकी कहानी से जुड़ाव महसूस करता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने किरदार के लिए मेहनत की। मेरी चाहत थी कि जब दर्शक मुझे स्क्रीन पर देखें तो उन्हें विश्वास हो जाए कि मैं बिहार की पृष्ठभूमि से परिचित हूं। तभी वेब सीरीज कामयाब होगी। मैंने बिहार को समझने के लिए स्थानीय भाषा की कविताएं पढ़ीं। कविताओं से मुझे बिहार की समस्याएं, मुद्दे, भावनाएं समझ आईं। इसी तरह मैंने अपने किरदार के रंग, रुप को समझने के लिए वर्कशॉप की। मेरा मानना है कि प्रोफेशनल एक्टर के रुप में तैयारी करना और किरदार के साथ न्याय करना हमारा कर्तव्य है। इसलिए इसका ज्यादा प्रचार ठीक नहीं। यह हमारी जिम्मेदारी है। वर्कशॉप और कविताओं से मुझे बिहार का सुर समझ में आया। फिर निर्देशक और लेखक ने हर सीन, हर संवाद को इस स्पष्टता से मुझे समझाया कि कहीं कोई द्वंद, कोई भ्रम नहीं रहा। इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरा किरदार मूल रूप से जयपुर का रहने वाला है, जो आईपीएस अधिकारी बनने के बाद बिहार पहुंचता है। इसलिए उस पर बिहारी रंग में डूबे होने का दबाव नहीं है। वह आहिस्ता आहिस्ता बिहार की पृष्ठभूमि को समझता है और फिर वहां की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता है। 

 

 

ओटीटी प्लेटफॉर्म आने के बाद नई किस्म की कहानियों को बड़ा मंच मिला है, आपका ओटीटी माध्यम का क्या अनुभव रहा है?

 

मेरा ऐसा मानना है कि हमारे देश में टीवी, सिनेमा, ओटीटी सभी माध्यमों से प्यार करने वाले दर्शक हैं। मुझे आज भी टीवी अभिनेता के रुप में पहचाना और प्यार किया जाता है। इसलिए यह सुखद एहसास है कि तीनों माध्यम एक साथ मौजूद हैं और आगे बढ़ रहे हैं। जहां तक बात ओटीटी प्लेटफॉर्म की है तो कोविड महामारी के दौरान ओटीटी प्लेटफॉर्म हमारे दर्शकों का सबसे करीबी रहा है। दर्शकों ने ओटीटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुनियाभर का बेहतरीन कॉन्टेंट देखा है। आज उनकी धारणा है कि यदि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कोई फिल्म या वेब सीरीज रिलीज हो रही है तो उसमें गुणवत्ता होगी। यह विश्वास जनता में ओटीटी प्लेटफॉर्म के प्रति है। ओटीटी प्लेटफॉर्म ने दर्शकों को एक विविधता दी है। आपको जिस रंग का, जिस सुर का कॉन्टेंट देखना है, आप ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कभी भी आसानी से देख सकते हैं। ऐसी सुविधा अन्य जगह इस सहजता से उपलब्ध नहीं है। आज कई ओटीटी प्लेटफॉर्म सक्रिय हैं, जिन पर सार्थक कार्य हो रहा है। इससे नए कहानीकार, निर्देशक, अभिनेता लाभान्वित हो रहे हैं। यह बहुत सुंदर स्थिति है।  

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