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जानें पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में जिससे लड़ते हुए हार गए मनोहर पर्रिकर, क्या हैं इसके लक्षण

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को लंबे समय से...
जानें पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में जिससे लड़ते हुए हार गए मनोहर पर्रिकर, क्या हैं इसके लक्षण

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को लंबे समय से अग्नाशय के कैंसर या पैन्क्रियाटिक कैंसर की बीमारी के चलते निधन हो गया। मेडिकल साइंस में इस बीमारी को 'मूक कैंसर' भी कहा जाता है। हालांकि उन्होंने इस बीमारी से लड़ते हुए गजब का साहस दिखाया और आखिरी समय तक सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे। तो आइए बताते हैं कि आखिर क्या यह बीमारी जिससे लड़ते हुए मनोहर पर्रिकर हार गए। क्या हैं इस बीमारी के लक्षण और इलाज।

यह बीमारी जानलेवा इसलिए भी है क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं। ज्यादातर मामलों में लक्षण दिखाई देना तब शुरू होते हैं जब या तो प्रभावित सेल्स बड़ा आकार ले लेते हैं या फिर पैंक्रियाज के बाहर फैल चुके होते हैं। अडवांस स्टेज में पैन्क्रियाटिक कैंसर के बारे में पता चलने पर उसका उपचार शुरू भी कर दिया जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की उम्मीद बहुत कम होती है।

कैसे होता है यह कैंसर

यह स्थिति तब होती है जब पैंक्रियाज के सेल काउंट में बहुत तेजी से वृद्धि होने लगती है। अनियंत्रित कोशिकाएं घातक ट्यूमर बनाती हैं जो ब्लड स्ट्रीम के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करता है, जिससे ऑर्गन फेलियर और मौत हो सकती है।

दो प्रकार का होता है पैन्क्रियाटिक कैंसर

पैंक्रियाज में ग्रंथियां मौजूद होती हैं जो शरीर के लिए पैन्क्रियाटिक जूस, हार्मोन और इंसुलिन बनाती हैं। कैंसर पैंक्रियाज के एक्सोक्राइन और एंडोक्राइन हिस्से में पनपता है। एक्सोक्राइन कैंसर पैन्क्रियाटिक ग्लैंड के अंदर होता है वहीं एंडोक्राइन ट्यूमर उस हिस्से में होता है जो शरीर के लिए हार्मोन प्रड्यूस करता है।

क्या हैं इस कैंसर के लक्षण

पैन्क्रियाटिक कैंसर का तब तक लक्षण नहीं दिखाता जब तक यह क्रिटिकल न बन जाए। इसके जो शुरुआती लक्षण दिखते भी हैं वे अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं ऐसे में ज्यादातर मामलों में मरीज उन अन्य बीमारियों का ही इलाज करवाने लगता है, जिससे पैन्क्रियाटिक कैंसर को शरीर में बढ़ने का मौका मिल जाता है।

ये हैं वो लक्षण जो शरीर में अचानक से दिखाई दें और लंबे समय तक बरकरार रहें तो व्यक्ति को एक बार पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए टेस्ट जरूर करवाना चाहिए

- पेट और पीठ में दर्द बने रहना

- अचानक वजन में कमी आ जाना

-  पाचन संबंधी समस्या

-  बार-बार बुखार आना

-  भूख न लगना

-  त्वचा का रूखापन बढ़ना

-  बेचैनी बने रहना या उल्टी होना

-  पीलिया

-  पेल या ग्रे मल

-  हाई ब्लड शुगर

इस कैंसर का रिस्क फैक्टर

पैन्क्रियाटिक कैंसर क्यों होता है इसकी सटीक वजह का अब तक पता नहीं लगाया जा सका है। हालांकि, कई तरह के फैक्टर्स व्यक्ति को इस प्रकार के कैंसर का मरीज बना सकते हैं इनमें स्मोकिंग, जेनेटिक्स, मोटापा, ज्यादा देर बैठे रहने की आदत, डायबीटीज आदि शामिल हैं।

इन तरीकों से इलाज

पैन्क्रियाटिक कैंसर का इलाज सर्जरी या कीमो के जरिए होता है।

-  विपल प्रसीजर (Whipple procedure): पैंक्रियाज, स्मॉल इंटेस्टाइन और गॉलब्लैडर के छोटे हिस्से को निकाल दिया जाता है।

- डिसटल पैंक्रियाटेक्टमी (Distal pancreatectomy): पैंक्रियाज के लंबे हिस्से जिसे टेल भी कहा जाता है उसे हटा दिया जाता है।

-  टोटल पैंक्रियाटेक्टमी (Total pancreatectomy): इस पद्धति का इस्तेमाल कम होता है। इसके तहत पैंक्रियाज के साथ ही स्प्लीन (ऐब्डमन का ऊपरी हिस्सा) को हाट दिया जाता है।

 

-    कीमोथेरपी (Chemotherapy): पैन्क्रियाटिक कैंसर के लिए कीमोथेरपी या इसके साथ रेडियोथेरपी का इस्तेमाल किया जाता है। इलाज की इस पद्धति में सर्जरी भी की जाती है।

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