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पीजीआई चंडीगढ़ में 10 से 20 लाख में बिक रही थी किडनी, गिरोह का पर्दाफाश

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले पीजीआई में फर्जी पति-पत्नी दिखाकर पैसे देकर...
पीजीआई चंडीगढ़ में 10 से 20 लाख में बिक रही थी किडनी, गिरोह का पर्दाफाश

किडनी ट्रांसप्लांट के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले पीजीआई में फर्जी पति-पत्नी दिखाकर पैसे देकर लाए लोगों की किडनियां ट्रांसप्लांट करने का मामला सामने आया है। इस रैकेट को मणिपुर के 4 लोग चला रहे थे। अब तक इस गैंग ने 5 किडनियां पीजीआई से ट्रांसप्लांट करवाई हैं। पुलिस ने इस मामले में ऑरगन ट्रांसप्लांट एक्ट के तहत केस दर्ज किया था। इसमें पहली गिरफ्तारी ईबोम नामक महिला की दिल्ली से की गई है। आरोपी महिला ने पुलिस पूछताछ में मान लिया है कि वह मणिपुर की महिला को किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए उसे पैसे और नौकरी का झांसा देकर यहां लाई थी। इस मामले में आरोपी महिला और शिकायतकर्ता मणिपुर निवासी महिला दोनों के पुलिस ने रविवार को बंद कमरे में सी.आर.पी.सी. की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने ट्रांसलेटर के जरिए बयान दर्ज भी करवाए हैं।

मणिपुर से चल रहा था किडनी स्कैम का रैकेट

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किडनी स्कैम का पूरा रैकेट मणिपुर से ही चल रहा था। रैकेट के सद्स्यों द्वारा न सिर्फ डोनर बल्कि पेशेंट तक को तलाशा जाता था। पुलिस को पूछताछ में गिरफ्तार की गई महिला ईबोम ने तीनों किंगपिन के नामों के खुलासे कर दिए हैं। इनमें टिथोम्बा किंगपिन है, जबकि सुरजीत और गुरूंग भी शामिल है। टिथोम्बा सारी डील करता था। आगे किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की पूरी जिम्मेदारी बाकी दोनों पर होती थी। ये ही मणिपुर से गरीब लोगों को किडनी डोनेट के लिए तैयार करने के साथ ही उनके मरीज से ब्लड रिलेशन के कागज बनवाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के साथ ही 10 से 20 लाख में सौदा करते थे।

टॉकचोम थोई देवी ने अस्पताल से भागकर बचाई अपनी किडनी

 पुलिस का सवाल है कि आखिर कैसे पी.जी.आई. में पति-पत्नी के रिलेशन को अच्छे से वेरिफाई किए बगैर किडनी ट्रांसप्लांट कर दी जाती थी। जिस मणिपुर निवासी महिला टॉकचोम थोई देवी ने भागकर अपनी किडनी डोनेट होने से बचाई और पूरे रैकेट का खुलासा किया, उसके भी पी.जी.आई. में करीब 20 से ज्यादा अलग-अलग टेस्ट हो चुके थे। अब बस किडनी ट्रांसप्लांट होनी बाकी थी। पुलिस तीनों आरोपियों को दबोचने के बाद पूछताछ करेगी कि आखिर झूठे पति-पत्नी दिखाकर आरोपी मणिपुर से पी.जी.आई. में ही किडनी ट्रांसप्लांट करवाने क्यों आते थे। इतनी दूर जगह चुनने की वजह क्या रही और इस पूरे रैकेट में क्या पी.जी.आई. का कोई कर्मी या अफसर भी शामिल है? सूत्रों की माने तो फरार आरोपियों की कॉल डिटेल में पी.जी.आई. के एक टे‌‌क्निकल स्टाफ-कर्मी का नंबर सामने आया है।

 विमल को डोनेट होनी थी किडनी 

 आरोपी महिला ईबोम 12 अगस्त को पीड़ित टॉकचोम थोई देवी को फ्लाइट से मणिपुर से चंडीगढ़ नौकरी का झांसा देकर लाई। महिला के पी.जी.आई. में 20 से ज्यादा टेस्ट करवाए। इस दौरान टॉकचोम को शक हुआ तो वह वहां से भागकर सखी संस्था के पास गई। इसके बाद मामला एस.एस.पी. निलांबरी विजय जगादले के पास पहुंचा। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। सामने आया है कि टॉकचोम की किडनी पेशेंट विमल को ट्रांसप्लांट की जानी थी। पी.जी.आई. के रिकॉर्ड में विमल को टॉकचोम का पति दिखाया गया था। पुलिस ने विमल को आरोपी बनाया है। उसकी बीमारी के चलते उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।

 

 

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