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टेरीजा मे अविश्वास प्रस्ताव में जीतीं, ब्रेग्जिट डील फेल होने के बाद 19 वोटों ने बचाई सरकार

ब्रेग्जिट डील फेल होने के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा के खिलाफ बुधवार को संसद में लाया गया...
टेरीजा मे अविश्वास प्रस्ताव में जीतीं, ब्रेग्जिट डील फेल होने के बाद 19 वोटों ने बचाई सरकार

ब्रेग्जिट डील फेल होने के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा के खिलाफ बुधवार को संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। 19 वोटों ने उनकी सरकार को बरकरार रखा है। इससे एक दिन पहले यूरोपीय संघ के साथ ब्रेक्जिट समझौते को लेकर संसद में उनकी ऐतिहासिक हार हुई थी। अब 325 सांसदों ने उनकी सरकार का समर्थन किया जबकि 306 सांसदों ने संसद में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ब्रेग्जिट डील पर टेरीजा मे की हार के कुछ ही मिनटों बाद विपक्षी लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कोर्बिन ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी मे की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। कोर्बिन ने मे की इस हार को ‘विनाशकारी’ करार देते हुए कहा था कि ‘अधकचरे और नुकसान पहुंचाने वाला’ करार ब्रिटेन के लिए ‘अंधेरे में अंधी छलांग लगाना’ होगा।

मे के 118 सांसदों ने भी नहीं दिया था साथ

मंगलवार देर रात ब्रेग्जिट डील (यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने की टेरीजा मे की योजना) को संसद ने भारी बहुमत से खारिज कर दिया था। ब्रिटेन की संसद में किसी बिल या मसौदे पर ये किसी भी मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी हार थी। ब्रिटेन के 311 साल के संसदीय इतिहास में कभी भी कोई सरकार इतने बड़े फासले से नहीं हारी। जबकि टेरीजा ने खुद डील के समर्थन में सभी सांसदों से वोट की अपील की थी। ब्रेग्जिट डील के विरोध में 432 और पक्ष में सिर्फ 202 सांसदों ने वोट दिया था। यानी 230 मतों से सरकार की हार हुई। टेरीजा की कंजरवेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने भी डील के खिलाफ वोट किया।

अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद टेरीजा मे ने कहा कि ब्रिटेन की जनता से किए हुए वादे निभाएंगी और विपक्षी नेताओं से इस मसले पर आगे की रणनीति तय करने के लिए वार्ता करेंगी। हालांकि लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने थेरेसा की अपील को खारिज कर दिया।

ब्रेक्जिट डील के संसद से न पास होने का क्या प्रभाव पड़ेगा?

सरकार के पास ब्रेक्जिट को लेकर 29 मार्च, 2019 तक की समयसीमा है। यदि इस दौरान सरकार ब्रेक्जिट डील को संसद में पास कराने में असफल रहती है तो ब्रिटेन बिना किसी समझौते के यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा।मइ से यूरोपीय संघ के देशों से उसका व्यापार समाप्त हो जाएगा। इससे ब्रिटेन में सामानों की आपूर्ति पर भारी असर पड़ेगा, जिससे मंहगाई बढ़ जाने की संभावना में वृद्धि होगी। वहीं ब्रिटेन दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसमें अगर कोई बड़ा उलटफेर उसकी अर्थव्यवस्था में होती है तो उसका प्रभाव पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। विशेषकर भारत पर क्योंकि ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार और निवेश बड़ी मात्रा में है।

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