Advertisement

कोरोना संकट से भारत की विकास दर 1.3 फीसदी घटेगी, अगले साल केवल 5.2 फीसदी रहेगी-एस एंड पी का अनुमान

रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट के चलते भारत की आर्थिक विकास दर घटा दी है। उसका...
कोरोना संकट से भारत की विकास दर 1.3 फीसदी घटेगी, अगले साल केवल 5.2 फीसदी रहेगी-एस एंड पी का अनुमान

रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट के चलते भारत की आर्थिक विकास दर घटा दी है। उसका अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान भारत की विकास दर 5.2 फीसदी रहेगी जबकि पहले उसने 6.5 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था।

कोविड-19 से 650 अरब डॉलर नुकसान का अनुमान

एस एंड पी ने कहा है कि कोरोना वायरस यानी कोविड-19 के चलते एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 650 अरब डॉलर की आय का सकल और स्थायी नुकसान होगा। यह नुकसान अधिकांश देशों, बैंकों और कंपनियों को होगा। हालांकि उसने प्रत्येक देश को होने वाले संभावित नुकसान का अलग-अलग अनुमान नहीं दिया है।

अगले वर्षों में रहेगी ऐसी रफ्तार

एस एंड पी ने एशिया-प्रशांत देशों के वास्तविक जीडीपी, महंगाई और नीतिगत ब्याज दर के बारे में अपने पिछले अनुमान संशोधित किए हैं। भारत के बारे में उसने आने वाले वित्त वर्ष के लिए विकास दर अनुमान 6.5 फीसदी से घटाकर 5.2 फीसदी कर दिया है। वित्त वर्ष 2021-22 की विकास दर का अनुमान 7 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी किया है। एक सप्ताह बाद समाप्त हो रहे मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वहीं,, वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान सात फीसदी वार्षिक विकास दर  का अनुमान जारी किया है।

महंगाई दर के साथ रेपो रेट भी घटेगा

महंगाई के बारे में एस एंड पी ने कहा है कि कोरोना वायरस के चलते महंगाई में कमी आएगी। महंगाई की दर मौजूदा 4.7 फीसदी से घटकर अगले वित्त वर्ष में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान है। उसके बाद के दो वर्षों में महंगाई क्रमशः 4.2 फीसदी और 4.5 फीसदी रह सकती है। पहले उसने 2021-22 में महंगाई की दर 4.4 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया था।  नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट मौजूदा 5.15 फीसदी से घटकर अगले वित्त वर्ष में 4.25 फीसदी रहने का अनुमान है। रेपो रेट बढ़कर 4.50 फीसदी हो जाएगी।

क्या अगस्त के बाद ही मिलेगी कोरोना से राहत

एस एंड पी  ने कहा है कि कोरोना वायरस के फैलाव और कमी शुरू होने के बारे में अत्यधिक अनिश्चितता बनी हुई है। कुछ सरकारी अधिकारी जून या अगस्त के बाद ही इसमें किसी गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। एस एंड पी ने कहा है कि इस अनुमान को आधार मानकर हम आर्थिक प्रभाव का अनुमान लगा रहे हैं। कोरोना वायरस पर अंकुश लगाने के उपायों के चलते ग्लोबल आर्थिक विकास दर सुस्त पड़ेगी। कई कंपनियां अपने बांड का भुगतान करने में डिफॉल्ट हो सकती हैं। चीन में पहली तिमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने और जी7 देशों में आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से समूचे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मंदी आना तय हो गया है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad