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मूडीज ने घटाया भारत की जीडीपी वृद्धि दर, 6.2 फीसदी दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर में संशोधन किया। 2019...
मूडीज ने घटाया भारत की जीडीपी वृद्धि दर, 6.2 फीसदी दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर में संशोधन किया। 2019 कैलेंडर वर्ष के लिए वृद्धि दर का आकलन 6.2 फीसदी कर दिया है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार में गिरावट और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के दबाव में होने जैसी स्थितियों की वजह से वृद्धि दर को कम किया गया है। इसके पहले 2019 के लिए 6.8 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था। इसी तरह 2020 के जीडीपी वृद्धि में 0.6 फीसदी कम करके 6.7 फीसदी किया गया है। मूडीज ये एक बयान में ये जानकारियां दी।

मूडीज ने 16 एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था की समीक्षा की है। इसके मुताबिक, निजी और सार्वजनिक खपत स्थिर होने के बावजूद ट्रेड और निवेश की हालत खस्ता होने की वजह से जीडीपी वृद्धि पर बोझ पड़ रहा है। मूडीज का कहना है कि बाहरी दबाव की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक खुली हुई अर्थव्यवस्था नहीं है। साथ ही, रोजगार की पस्त हालत, ग्रामीण परिवारों के बीच वित्तीय दबाव तथा नॉन बैकिंग वित्तीय संस्थानों के बीच वित्तीय संकट के कारण  बाहरी दबाव के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्सी देखी जा रही है।   

मूडीज का कहना है कि घरेलू कारक का भारत में वृद्धि दर पर काफी प्रभाव होता है और बिजनेस सेंटिमेंट में अनुशोधन और कॉरपोरेट्स के लिए क्रेडिट के प्रवाह में धीमी गति के कारण देश में निवेश प्रभावित हुआ है। मूडीज के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में 2017 में 6.9 फीसदी और 2018 में 7.4 फीसदी की वृद्धि दर देखी गई थी। जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर यानी 5.8 फीसदी पर पहुंच गई थी।

बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने भी इस महीने की शुरुआत में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान में कटौती की थी। इसने मंद और निवेश में गिरावट का हवाला देते हुए जीडीपी का आकलन 7 फीसदी से कम करके 6.9 फीसदी कर दिया था।

मूडीज ने कहा कि इस साल महंगाई 2.9 फीसदी से 3.7 फीसदी और 2018 में 4.5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद थी। मूडीज ने कहा है कि 16 एशियाई देशों, हांगकांग और सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में 2018 के पहली तिमाही के मुकाबले इस साल कम विस्तार देखने को मिला।

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