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मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार 15 माह के निचले स्तर पर, मंदी का एक और संकेत

देश की अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती के संकेत हर तरफ से मिल रहे हैं। देश में मैन्यूफैक्चरिंग...
मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार 15 माह के निचले स्तर पर, मंदी का एक और संकेत

देश की अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती के संकेत हर तरफ से मिल रहे हैं। देश में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां भी 15 माह के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। बिक्री, उत्पादन और रोजगार में वृद्धि दर में सुस्ती रहने के कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को झटका लगा है।

कई सेक्टरों से मिले थे ऐसे संकेत

वैसे ऑटोमोबाइल, रियल्टी और फूड सेक्टर में अलग-अलग आंकड़ों से पहले ही मैन्यूफैक्चरिंग की सुस्ती के संकेत मिलने लगे थे। हालांकि अच्छी बात यह है कि मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) अभी भी 50 के ऊपर है जिससे कुल मिलाकर मैन्यफैक्चरिंग की ग्रोथ रेट रेड जोन में जाने से बच गई है।

पीएमआइ गिरा लेकिन 50 के ऊपर

आइएचएस  मार्किट इंडिया का मैन्यूफैक्चरिंग इंडेक्स अगस्त में गिरकर 51.4 पर रह गया जो पिछले 15 महीने का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले मई में पीएमआइ ने इतना िनचला स्तर देखा था। जुलाई में पीएमआइ 52.5 पर था। इस तरह इसमें 1.1 अंक की गिरावट आई। सर्वे के अधिकांश संकेतकों में गिरावट आने के कारण मैन्यूफैक्चरिंग की रफ्तार सुस्त पड़ गई। वैसे लगातार 25 महीने से पीएमआइ 50 के ऊपर बना हुआ है। 50 के ऊपर पीएमआइ होने का आशय मैन्यूफैक्चरिंग में ग्रोथ होता है जबकि इससे नीचे जाने पर सुस्ती का संकेत माना जाता है।

वृद्धि दर गिरी, लागत में बढ़ोतरी

आइएचएस मार्किट की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलिना डि लीमा ने कहा कि अगस्त के दौरान भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सुस्त विकास दर और बढ़ती महंगाई लागत का दोहरा दबाव दिखाई दिया। सेक्टर की स्थिति दर्शाने वाले संकेतकों जैसे नए ऑर्डर, उत्पादन और रोजगार में गिरावट दर्ज की गई।

आर्थिक विकास दर रह गई 5 फीसदी

देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में छह साल के निचले स्तर पांच फीसदी पर रह गई है। नकारात्मक ग्लोबल हालातों के बीच उपभोक्ता मांग और निजी निवेश घटने के कारण विकास दर सुस्त पड़ी।

कच्चा माल खरीद में भी कमी

बीते अगस्त के दौरान बिक्री की रफ्तार 15 माह के सबसे निचले स्तर पर रही। उत्पादन की वृद्धि दर और नई नौकरियों में भी कमी आई है। कंपनियों ने मई 2018 के बाद पहली बार कच्चा माल खरीद भी घटा दी। लीमा ने कहा कि अन्य चिंता का संकेत 15 माह में पहली बार कच्चाे माल की खरीद में कमी है। इससे पता चलता है कि उत्पादकों ने जानबूझकर स्टॉक घटाया है या िफर वित्तीय संसाधनों के अभाव के कारण खरीद कम की है।

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