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मैन्युफैक्चरिंग में 87 हजार नौकरियां खत्म, संगठित क्षेत्रों में नए रोजगार कम

देश में रोजगार को लेकर छिड़ी बहस के बीच लेबर ब्यूरो के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। लेबर ब्यूरो के...
मैन्युफैक्चरिंग में 87 हजार नौकरियां खत्म, संगठित क्षेत्रों में नए रोजगार कम

देश में रोजगार को लेकर छिड़ी बहस के बीच लेबर ब्यूरो के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। लेबर ब्यूरो के सर्वे के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून 2017) के दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 87 हजार नौकरियां कम हो गई हैं। जो नौकरियां घटी हैं उनमें अधिकांश ठेका और अस्थायी कामगार हैं।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान संगठित क्षेत्रों में रोजगार सृजन 65 फीसदी कम हुआ है। जनवरी-मार्च 2017 के दौरान इन क्षेत्रों में एक लाख 85 हजार रोजगार सृजित हुए थे जबकि अप्रैल-जून 2017 के दौरान केवल 64 हजार नए रोजगार पैदा हो सके। तीन तिमाहियों के दौरान रोजगार सृजन की यह सबसे धीमी वृद्धि है। अप्रैल-जून 2016 में संगठित क्षेत्र में 77 हजार नए रोजगार पैदा हुए थे। 

ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी घटी नौकरियां 

लेबर ब्यूरो ने जिन आठ कोर सेक्टरों के सर्वे के आधार पर ये आंकड़े जारी किए हैं, उनमें मैन्युफैक्चरिंग,कंस्ट्रक्शन, ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, होटल व रेस्त्रां, आईटी व बीपीओ, एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर शामिल हैं।  

मैन्युफैक्चरिंग के अलावा ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी रोजगार कम हुए हैं। अप्रैल-जून, 2017 के बीच इस सेक्टर में 3 हजार नौकरियां खत्म हुईं। ट्रेड और आईटी के क्षेत्र में रोजगार सृजन की रफ्तार धीमी पड़ी है। अप्रैल-जून 2017 के बीच ट्रेड में 7 हजार नई नौकरियां आईं जबकि इससे पहली तिमाही में इस सेक्टर में 29 हजार रोजगार सृजित हुए थे। इसी तरह आईटी व बीपीओ सेक्टर में अप्रैल-जून 2017 के बीच सिर्फ 2 हजार नई नौकरियां आईं जबकि इससे पहली तिमाही में 13 हजार नई नौकरियां आई थीं।

कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में इस अवधि में 10 हजार नए रोजगार सृजित हुए। जबकि पिछली तिमाही में सिर्फ 2 हजार रोजगार सृजित हुए थे। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान नौकरियों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी शिक्षा के क्षेत्र में दर्ज की गई है। शिक्षा के क्षेत्र में अप्रैल-जून 2017 के बीच 99 हजार नए रोजगार पैदा हुए जबकि पिछली तिमाही में इस क्षेत्र में केवल 2 हजार नई नौकरियां आई थीं। हेल्थ सेक्टर में 31 हजार रोजगार सृजित हुए हैं। जो इससे पहली तिमाही के बराबर हैं।

ठेका और अस्थायी कामगारों को झटका 

लेबर ब्यूरो के त्रिमासिक सर्वे के अनुसार, अप्रैल-जून 2017 के बीच सबसे ज्यादा झटका ठेका और अस्थायी नौकरियों को लगा है। इस दौरान ठेका कामगारों की संख्या 64 हजार घटी है। इससे पहली तिमाही में ठेका कामगारों की संख्या में 48 हजार की गिरावट आई थी। हालांकि, नियमित नौकरियों की संख्या में 1.48 लाख की बढ़ोतरी हुई लेकिन यह भी इससे पहली तिमाही में 1.97 लाख नियमित नौकरियों से कम है।  

अप्रैल-जून 2017 में आठ कोर सेक्टरों में कुल 64 हजार नौकरियां बढ़ी हैं, मगर रोजगार सृजन की यह रफ्तार पिछली तिमाही और पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले काफी धीमी है। इसके पीछे 8 नवंबर, 2016 को हुई नोटबंदी को वजह माना जा रहा है। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में स्थायी कर्मचारियों की संख्या 1.48 लाख बढ़ी थी जबकि ठेका और अस्थायी कामगारों की क्रमश: 64 हजार और 23 हजार कम हुई है।

इस सर्वे में 8 सेक्टरों की कुल 11,179 इकाइयों को शामिल किया गया था।

 

- एजेंसी इनपुट 

 

 

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