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निदाहास ट्रॉफी का श्रीलंका-बांग्लादेश मैच 'जेंटलमेंस गेम' के लिए काला धब्बा है

बांग्लादेश ने मेजबान श्रीलंका को दो विकेट से हराकर निदाहास ट्रॉफी के फाइनल में जगह बना ली है, जहां उसका...
निदाहास ट्रॉफी का श्रीलंका-बांग्लादेश मैच 'जेंटलमेंस गेम' के लिए काला धब्बा है

बांग्लादेश ने मेजबान श्रीलंका को दो विकेट से हराकर निदाहास ट्रॉफी के फाइनल में जगह बना ली है, जहां उसका मुकाबला भारत से होगा। लेकिन बांग्लादेश ने फाइनल में भले जगह बना ली हो, क्रिकेट के इतिहास में उसने गलत कारणों से अपना स्थान बना लिया है।

यह रोमांचक मैच एक बड़े विवाद की वजह से चर्चा में आ गया और बांग्लादेशी क्रिकेटरों ने खूब ड्रामेबाजी की। शुक्रवार को आर. प्रेमदासा स्टेडियम में खेले गए मैच में यह घटना आखिरी ओवर में घटी, जब श्रीलंका को जीत के लिए 12 रन चाहिए थे। मैदानी अंपायरों ने इसुरू उदाना की जान बूझकर की गई लगातार दूसरी शॉर्ट पिच गेंद को नो बॉल नहीं दिया।

बेतहाशा 'नागिन' डांस

अंपायरों के फैसले से खफा बांग्लादेश के कप्तान शाकिब पवेलियन से उतरकर सीमा रेखा के पास पहुंच गए और उन्होंने अपने बल्लेबाजों को वापस लौटने का इशारा किया। मैदान पर श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाड़ियों के बीच नोक-झोंक शुरू हो गई। काफी समझाने के बाद उन्होंने खिलाड़ियों को वापस खेलने के लिए भेजा। बाद में बांग्लादेश ने श्रीलंका पर जीत दर्ज की तो खिलाड़ियों ने श्रीलंका को चिढ़ाते हुए बेतहाशा ‘नागिन डांस’ किया।

ड्रेसिंग रूम में तोड़-फोड़

इतना ही नहीं, बांग्लादेश के खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रूम में कांच से बना दरवाजा टूटा पाया गया। कथित तौर पर खिलाड़ियों ने जीत के जश्न में तोड़-फोड़ की है। बांग्लादेश टीम प्रबंधन ने आरोपों पर जवाब नहीं दिया, लेकिन पता चला है कि उन्होंने नुकसान की भरपाई करने की पेशकश की है। आईसीसी ने अभी तक इस मामले पर टिप्पणी नहीं की है। मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने घटना के वीडियो फुटेज मंगाए हैं।

बांग्लादेश के कप्तान ने क्या कहा

हालांकि मैच के बाद बांग्लादेश के कप्तान शाकिब ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं उन्हें वापस नहीं बुला रहा था। मैं उन्हें खेलते रहने के लिए कह रहा था। आप इसे दोनों तरह से ले सकते हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि आप इसे किस तरह से देखते हो।’

उन्होंने कहा, ‘कई चीजें होती हैं, जिन्हें नहीं होना चाहिए। मुझे शांत बने रहने की जरूरत है। मैं अति उत्साह में था। वह रोमांचक पल थे। मुझे पता होना चाहिए कि अगली बार ऐसी स्थिति में कैसी प्रतिक्रिया करनी है। मैं सतर्क रहूंगा।’ शाकिब ने कहा, ‘मैदान पर जो कुछ होता है वह बाहर नहीं होना चाहिए। हम अच्छे दोस्त हैं. दोनों बोर्ड के बहुत अच्छे रिश्ते हैं। हम एक-दूसरे की काफी मदद करते हैं। मैं किसी भी हाल में टीम की जीत चाहता था और वे भी ऐसा चाहते थे।’

क्रिकेट को ‘जेंटलमेंस गेम’ कहा जाता है और इस मैच में जो कुछ भी देखने को मिला, वह भद्दा था। यह मैच क्रिकेट के इतिहास में काले धब्बे की तरह याद रखा जाना चाहिए।

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