राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा मंत्रालय की 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति में प्रज्ञा ठाकुर का नाम सुबह से ही चर्चा का विषय था। भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद प्रज्ञा ठाकुर के अलावा इस समिति में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नजरबंद फारूक अब्बदुल्ला का नाम भी शामिल है। अगस्त में अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद से ही फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर में अपने घर में नजरबंद हैं। उनकी नजरबंदी को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में सदन में विपक्षी पार्टी के नेताओं ने भारी विरोध भी किया था।
फारूक अगस्त से हैं नजरबंद
अगस्त में अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद से ही फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर में अपने घर में नजरबंद हैं। उनकी नजरबंदी को लेकर संसद के शीतकालीन सत्र में सदन में विपक्षी पार्टी के नेताओं ने भारी विरोध भी किया था।
18 नवंबर को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला को संसद के वर्तमान सत्र में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा रही है। बघेल की बात का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा कि अब्दुल्ला को घर की गिरफ्तारी से मुक्त किया जाना चाहिए और संसद में उपस्थित होने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि यह उनका संवैधानिक अधिकार है।
फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती सहित जम्मू और कश्मीर में कई मुख्यधारा के नेताओं को अगस्त में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से ही नजरबंद रखा गया है।
विपक्ष ने किया प्रज्ञा के नाम का विरोध
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति की सूची जारी होते ही विपक्ष ने रक्षा मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति में प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नामांकन के खिलाफ आपत्तियां जताईं। प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट मामले के अभियुक्तों में से एक हैं और उन्हें अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य जांच के आधार पर जमानत दी थी। महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट के तहत उनके खिलाफ आरोपों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा हटा दिया गया था।
प्रज्ञा ठाकुर और फारूक अब्दुल्ला के अलावा छेदी पासवान, सुप्रिया सुले, शरद पवार और जेपी नड्डा भी 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति के लिए नामित किए गए हैं।