
बेस्ट सेलर लेखकों की किताबों और उनकी कहानियों पर हिंदी फिल्में और वेबसरीज़ बनने का सिलसिला हॉलीवुड में काफी पुराना है लेकिन पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को भी भारतीय लेखकों की चर्चित नॉवेल पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया है। लेकिन ऐसा कभी कभार ही होता है की कोई लेखक बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के अपनी बेस्ट सेलिंग नॉवेल पर फिल्म या वेब सीरीज बनाने का साहस दिखाया हो और ऐसा सपना, सपना बनकर ही रहा जाता है जब आपके पास फिल्म का न बजट हो और न फाइनेंसर।
राजस्थान के श्री गंगानगर के गांव नेतेवाला के पूर्व वायुसैनिक सुनील सिहाग (SUNIL SIHAAG) ने अपने बेस्ट सेलिंग नॉवेल "डे टर्न्स डार्क" (DAY TURNS DARK) पर फिल्म/वेबसरीज बनाने की जब घोषणा की तो अधिकतर लोगों को ये घोषणा ही लगी और उनका मजाक बना लेकिन इन सब की परवाह किए बिना वो फिल्म मैकिंग की तैयारी में लग गए। फिल्म के लिए उन्होंने सबसे पहले स्टार प्लस के अनुपमा सीरियल के वनराज शाह यानी अभिनेता सुधांशु पांडे को साइन किया। उसके बाद वो राहुल देव, विक्रम गोखले और विकास श्रीवास्तव जैसे नामी कलाकारों को फिल्म में काम करने के लिए तैयार किया। लेकिन छोटा बैनर, नए कलाकार और नौसिखिए टेक्नीशियन के कारण राहुल देव ने अपने आप को प्रोजेक्ट से दूर किया वही विक्रम खोखले जी अपनी बिगड़ती तबियत के कारण गंगानगर नही आ पाए लेकिन फिल्म के सीजन 2 में काम करने का वादा किया।
ऐसा बहुत कम होता है की लेखक स्वयं अपनी नॉवेल पर फिल्म बनाएं। अपनी किताब पर फिल्म बनाने के बारे में कब सोचा?
मुझे शुरू से ही लगता था की मेरी कहानी पर फिल्म बनेगी। इस आत्मविश्वास के साथ मैनें अपनी स्टोरी को किसी एजेंट के पास भेजा जो की बुक टू फिल्म adaptation के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहां की मेरी कहानी फिल्म के लायक नही क्योंकि आजकल हर कोई ऐरा गेरा लेखक रोमांटिक कहानी ही लिख रहा है। ये बात किसी भी लेखक को बुरी लगेगी और बहुत ज्यादा जब आपकी नॉवेल बेस्ट सेलिंग बन चुकी है। मैने उसी दिन डिसाइड किया की मैं खुद इस कहानी पर फिल्म बनाकर दिखाऊंगा और वो भी एक सफल फिल्म। आज मैं उस एजेंट का आभारी हूं क्योंकि अगर उस दिन उस एजेंट ने मेरी कहानी का मजाक न उड़ाया होता तो मैं फिल्म मेकर बनने का सपना सपने में भी नहीं देखता।
आपके पास न फिल्म मेकिंग का बैकग्राउंड , न फिल्म मेकिंग की ट्रेनिंग फिर आपने खुद डायरेक्ट करने का कैसे सोचा?
फिल्म बनाने के लिए न पैसा चाहिए , ना ट्रेनिंग। अगर आप फिल्म मेकिंग के लिए पैशनेट हो या अपने सपनो को पूरा करना चाहते हो तो जो भी जितना भी आपके पास है उसको जी जान लगा कर करने में लग जाओ। फिल्म जज्बे, हिम्मत, साहस और पैशन से बनती है।
मुझे लगता है की कोई स्टोरी परदे पर किस तरह दिखनी चाहिए ये कहानी के लेखक से बेहतर शायद कोई कल्पना न कर पाएं।
मुझे डायरेक्शन, कैमरा, फ्रेमिंग, लाइट की ज्यादा जानकारी नहीं थी की बतौर लेखक कहानी का हर सीन मेरे दिमाग़ में जीवंत था।
डे टर्न्स डार्क (A DAY TURNS DAARK) की मेकिंग में आई अड़चनों से क्या सीखा?
जीवन में कितना भी बुरा हो जाए एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए और भगवान का धन्यवाद देना चाहिए की मुसीबतों के बावजूद उसने हमें अभी तक जिंदा तो रखा है इससे बड़ी ब्लेसिंग और आशीर्वाद क्या हो सकता है।"
स्वेंदनशीलता और मानवता क्या होती है इसका जीते जागते उसका मुझे इस दिन अनुभव हुआ जब मेरे को टेंस देखकर सुधांशु सर ने पूछा क्या हुआ, जब मैने उन्हें बताया कि कैमरे में टेक्निकल फॉल्ट aa गया है आज शूटिंग नहीं कर पाएंगे और कल आपको अपना शो वापस ज्वॉइन करना। तब उन्होंने बड़ी सादगी और दिलासा से बोला कोई बात नही सुनील जी हम पूरी रात शूटिंग करेंगे , आज वाले सारे सीन रात में करेंगे। उन्होंने लगातार 18 घण्टे शूटिंग की। उनके इस अहसान को शायद मैं कभी नही चुका सकूं। सेलिब्रिटी भी इतने डाउन टू अर्थ, सिंपल, सेल्फलेस हो सकते है ये सुधांशु पांडे सर से मिलने के बाद पता चला।
डे टर्न्स डार्क के बारे में कुछ बताइए?
मेरा ये पेहला अंग्रेजी नॉवेल था जो पिछले साल का सबसे चर्चित नॉवेल रहा क्योंकि लॉन्चिंग के दिन ही उनका नॉवेल अमेजन की बेस्ट सेलिंग लिस्ट में नंबर वन पर आ गई थी। रिलीज के कुछ ही महीनों में बेस्ट सेलिंग कैटेगरी में शामिल हो गया था।
एक तरफ जहां फिल्म की कहानी नितिन, रॉनी और आशीष की स्कूल कॉलेज जीवन की अटूट दोस्ती की कहानी है तो वही ये नितिन, हरलीन और मानसी के प्यार, परिवार और कैरियर चुनाव के धर्मसंकट की है। फिल्म में नितिन और उसके मेंटोर राधे भाई का जज्ज़बाती रिश्ता किस तरह राजनीति की भेंट चढ़ जाता हैं। डे टर्न्स डार्क नॉवेल की सफलता के बाद पाठक इसके फिल्म वर्जन को लेकर काफ़ी उत्साहित हैं।
इस फिल्म में मुख्य भूमिका में सुधांशु पांडे, विकास श्रीवास्तव, संभवी, आशुतोष प्रांजपे, आर्यन कृष्णा, विवेक, फातिमा, कैप्टन अमरदीप सांगवान, रिद्धिम सिहाग , अभिकरण और अभिषेक जलंधरा अभिनय कर रहे हैं। फिल्म के निर्माता-निर्देशक सुनील सिहाग(SUNIL SIHAAG), सह-निर्देशक अगम आनंद, प्रोडक्शन हेड विजय जोरा, डी ओ पी प्रवीण बिश्नोई है। ये webseries जल्द ही रिलीज होगी।
फिल्म की स्क्रिप्ट, डायलॉग, कहानी पूर्व वायुसैनिक सुनील सिहाग(SUNIL SIHAAG)ने लिखी है और वो उसे अपने प्रोडक्शन हाउस सुनील सिहाग गौरा फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड नेतेवाला और ग्रिसु मीडिया आर्ट्स के बैनर तले बना रहे हैं । वेब सिरीज़ में टेप डिले बैंड के दो प्रमोशनल गाने भी डाले गए है जिन्हें परमजीत ने लिखे, भौमिक कटारिया ने कंपोज और प्रवीण नायक ने गाए हैं। सेठ गिरधारी लाल बिहानी सनातन धर्म शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष जयदीप बिहाणी , मेदांता हॉस्पिटल के डायरेक्टर विकास सिहाग और बाबू टैलर्स के राहुल वर्मा का इस फिल्म निर्माण में विशेष सहयोग और योगदान रहा है। इस हिंदी फ़िल्म की सारी शूटिंग गंगानगर के बिहाणी चिल्ड्रन अकादमी और कॉलेज, हॉस्पिटल के अलावा नेते वाला गांव में हुई।