Advertisement

लोकसभा में वित्त विधेयक पारित, गोयल का दावा- साढे़ नौ लाख की इनकम पर नहीं देना होगा टैक्स

लोकसभा ने मंगलवार को वित्त विधेयक 2019 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा में आरोपों...
लोकसभा में वित्त विधेयक पारित, गोयल का दावा- साढे़ नौ लाख की इनकम पर नहीं देना होगा टैक्स

लोकसभा ने मंगलवार को वित्त विधेयक 2019 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा में आरोपों का सिलसिला भी चला। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया कि आयकर की तमाम छूट को देखा जाए तो 9.5 लाख रुपये की आमदनी पर इनकम टैक्स नहीं देना होगा। 

वित्त विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पांच लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को कर के दायरे से बाहर रखने के प्रस्ताव को लेकर लोगों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया आई है और यह एक ‘यूफोरिया’ बन गया है। हमने अंतरिम बजट में कोई नया कर नहीं लगाया लेकिन पांच लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोगों को कर के दायरे से बाहर रखने के प्रस्ताव किया है।

गोयल ने कहा कि सरकार गरीबों और मध्य वर्ग के लोगों की जरूरत को ध्यान में रखकर काम कर रही है और इसी के तहत आयकर नियमों में संशोधन किए जा रहे हैं। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ संशोधनों को नकारते हुए ध्वनिमत से वित्त विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी।

'प्रत्यक्ष कर में हुई बढ़ोतरी'

वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद कर का आधार बढ़ा है। पिछले वर्ष प्रत्यक्ष कर की राशि में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। पिछले करीब पांच वर्षो में कर के रूप में एकत्र की जाने वाली राशि दोगुनी हुई है। देश आज दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना है। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों के ट्रैक रिकार्ड से स्पष्ट है कि जितना हम अनुमान लगाते हैं, करीब करीब उतना हासिल भी करते हैं। जीएसटी से प्राप्त राशि के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमने इससे जुड़े कर संग्रह को ध्यान में रखने के साथ इस बात पर जोर दिया कि छोटे व्यापारियों एवं छोटे उद्योगों को कोई तकलीफ नहीं हो।

'महंगाई दर में आई कमी'

गोयल ने कहा कि महंगाई की दर को हमने पूरी तरह से काबू में रखा है। कांग्रेस के समय में महंगाई की दर 12-13 प्रतिशत थी और जनवरी 2019 में यह दर 2.05 प्रतिशत दर्ज की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले करीब पांच वर्षों में सरकार ने आयकर संबंधी कानून एवं नियमों में बदलाव किए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कर्ज पर ब्याज में राहत देने से लोगों को बड़े पैमाने पर सस्ते मकान मिलने में मदद मिली है। साढ़े चार वर्षों में डेढ़ करोड़ मकान बनाए गए हैं और 2022 में जब देश आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाएगा तो देश में हर नागरिक के सिर पर छत होने का सपना पूरा होगा।

'बड़े लोगों को राहत के आरोपों को किया खारिज'

वित्त मंत्री ने उन आरोपों को खारिज किया कि बड़े लोगों को राहत दिया जा रहा है। गोयल ने कहा कि देश में कर दाताओं का आधार बढ़ा है और पिछले करीब पांच वर्षो में कर के रूप में एकत्र की जाने वाली राशि दोगुणी हुई है। देश आज दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के लोगों के लिये अधिक राशि दी है। उन्होंने कहा कि सभी सांसद अपने क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में बताएं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग मकान खरीद सकें।

'कालेधन पर नए ढंग से होगा विचार' 

कालेधन से सम्बंधित रिपोर्ट पर वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, अब सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है और अगले कार्यकाल में उन समितियों की रिपोर्ट के बारे में नए ढंग से विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक एवं सामाजिक रूप से वंचित वर्ग के लोगों के लिये अधिक राशि दी है।

'कांग्रेस ने बताया जुमला सरकार'

इससे पहले चर्चा के दौरान अन्नाद्रमुक के पी आर सुंदरम ने कहा कि इस सरकार ने बजट के माध्यम से अपने कुछ वादों को पूरा करने का प्रयास किया है और मध्य वर्ग, किसानों की भी मदद की है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनने से पहले विदेशों में जमा पूरा कालाधन वापस लाने का दावा किया था लेकिन वह नहीं ला सके। उन्होंने मोदी सरकार पर ‘जुमला सरकार’ और ‘कर आतंक’ वाली सरकार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा शासन देश से किये वादे पूरे करने में विफल रहा है।

'वोटों के लिए घोषणा करने का लगाया आरोप'

राय ने कहा कि सरकार ने अंतरिम बजट में खासकर वेतनभोगी मध्य वर्ग के लिए आयकर छूट की सीमा बढ़ाने की घोषणा की जिस पर किसी को आपत्ति नहीं हो सकती लेकिन इस घोषणा के लिए अगली सरकार बनने का इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने वोटों के लिए इस तरह की घोषणाएं की हैं जिसका उसे संवैधानिक, नैतिक वित्तीय अधिकार नहीं है। राय ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली सरकार है जो विरोधियों का सामना राजनीतिक रूप से करने के बजाय सीबीआई, ईडी जैसी एजेसिंयों का इस्तेमाल उनके खिलाफ कर रही है।

'रोजगार के आंकड़े छिपा रही है सरकार'

बीजद के कलिकेश नारायण ने कहा कि सरकार रोजगार पर आंकड़े क्यों छिपा रही है?  उन्होंने राजकोषीय घाटे पर भी सरकार के दावों पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की फसल बीमा योजना विफल रही है और सरकार ने किसानों की बुनियादी जरूरतों के लिए केवल कुछ हजार करोड़ रुपये दिये हैं जिनसे उनका स्थाई समाधान नहीं निकलेगा। सरकार को किसानों की समस्या का जड़ से समाधान करने के प्रयास करने चाहिए।

'गरीबों की आय सीमा में हो एकरूपता'

शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि एक तरफ सामान्य वर्ग के उन गरीबों को आरक्षण की बात कही जा रही है जिनकी आयसीमा आठ लाख रुपये है। वहीं आयकर छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये की गयी है जो प्रशंसनीय है लेकिन गरीबों की आय सीमा में एकरूपता होनी चाहिए। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के बीएन गौड़ ने तेलंगाना सरकार की कई योजनाओं का उल्लेख किया और दावा किया कि उनके राज्य की केंद्र के स्तर पर उम्मीद के मुताबिक मदद नहीं की गई है।

चर्चा में भाग लेते हुए माकपा के एमबी राजेश ने आरोप लगाया कि यह सरकार अर्थव्यवस्था के सभी मोर्चों पर नाकाम रही है और उसकी सबसे बड़ी विफलता बेरोजगारी है। भाजपा के ओम बिड़ला, बीजद के रामचंद्र हंसडक, राजद से निष्कासित राजेश रंजन, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन तथा कुछ अन्य अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad