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ऋषि कपूर और मनमोहन देसाई के जीवन से जुड़ा मजेदार प्रसंग

बात सन 1975 की है।बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर मनमोहन देसाई अपने घर पर सवेरे का अख़बार पढ़ रहे थे।अभी वो...
ऋषि कपूर और मनमोहन देसाई के जीवन से जुड़ा मजेदार प्रसंग

बात सन 1975 की है।बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर मनमोहन देसाई अपने घर पर सवेरे का अख़बार पढ़ रहे थे।अभी वो ख़बरों पर सरसरी निगाह डाल ही रहे थे कि उनकी नज़र अचानक एक ख़बर पर रुक गयी।अख़बार में प्रमुखता से एक ख़बर छपी थी, जिसके मुताबिक एक पिता ने अपने तीन बेटों को पार्क में ले जाकर छोड़ दिया और फिर आत्महत्या कर ली। मनमोहन देसाई इस ख़बर से बहुत विचलित हो गये। अभी वो ख़बर के असर में खोये हुए थे कि उनके घर के दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी। मनमोहन देसाई ने दरवाज़ा खोला तो सामने उनके मित्र प्रयाग राज खड़े थे।प्रयाग राज मनमोहन देसाई की अधिकतर फ़िल्मों के लेखक थे। 

 

 

 

इससे पहले प्रयाग राज कुछ कह पाते, मनमोहन देसाई बोले "अगर वो आदमी आत्महत्या न करे तो।" ये बात सुनकर प्रयाग राज अचंभित हो गये।उन्होंने मनमोहन देसाई से पूछा कि आखिर माज़रा क्या है?। मनमोहन देसाई ने पूरी बात प्रयाग राज को कह सुनाई।सुनकर प्रयाग राज को भी बहुत अफ़सोस हुआ। मनमोहन देसाई ने प्रयाग राज से कहा कि सोचो अगर वो बाप आत्महत्या का इरादा बदल दे और जब वापस पार्क में जाए तो उसके बच्चे ग़ायब हों।उस वक़्त उस बाप का क्या रिएक्शन होगा।इस बात को आगे बढ़ाते हुए प्रयाग राज बोले " और उन तीनों बच्चों को तीन अलग -अलग लोग अपने साथ ले गये हों।अब ये एक बहुत रोचक मुद्दा हो गया था ।प्रयाग राज, जो कि अपनी फैमिली के साथ पिकनिक मनाने जा रहे थे और इसी सिलसिले में मनमोहन देसाई के फार्महाउस की चाबियाँ लेने आए थे,सब कुछ भूलकर वहीं बैठ गये। 

 

बात आगे बढ़नी शुरू हुई।अपनी बात में प्रयाग राज ने एक बात और जोड़ते हुए कहा कि सोचो,उन तीनों बच्चों को ले जाने वाले लोगों में एक आदमी हिन्दू हो, दूसरा मुस्लिम और तीसरा ईसाईं हो।बात अब जम चुकी थी और मनमोहन देसाई के मन में इसको लेकर फ़िल्म बनाने का इरादा पैदा हो गया था। मनमोहन देसाई और प्रयागराज बहुत देर रात तक इस मसले पर चर्चा करते रहे।

 

 

 

अगली सुब्ह प्रयाग राज फिर से मनमोहन देसाई के घर पहुंचे।अब इस कहानी को बनाने के सिलसिले में मनमोहन देसाई की पत्नी जीवन प्रभा भी शामिल हो चुकी थीं।तीनों ने मिलकर एक मसाला कहानी तैयार की और तय हुआ कि अब इसपे एक फ़िल्म बनाई जाएगी। घर वापस लौटने से पहले प्रयाग राज ने देसाई साहब से एक गुज़ारिश की.प्रयाग राज बोले"देसाई साहब, मैं इस फिल्म का स्क्रीनप्ले एक ही शर्त पर लिखूंगा और वो ये है कि आप इस फ़िल्म के डायरेक्टर होने के साथ - साथ इस फिल्म के निर्माता भी होंगे।ऐसा इसलिए कि आप शानदार फ़िल्में बनाकर कई निर्माताओं के ख़ज़ाने भर चुके हैं और अब वक़्त है कि आप अपने लिए भी कुछ धन जोड़ें। मनमोहन देसाई ने बात मान ली और इस तरह से "अमर अकबर एंथनी " मनमोहन देसाई की बतौर प्रोड्यूसर पहली फ़िल्म बनी।

 

 

 

जब बात फ़िल्म के किरदारों की कास्टिंग की आई तो मनमोहन देसाई "अकबर" के किरदार के लिए ऋषि कपूर को लेना चाहते थे। अकबर के किरदार के लिए जब मनमोहन देसाई ने ऋषि कपूर से संपर्क किया तो मालूम हुआ कि ऋषि कपूर तब फ़िल्म लैला मजनूँ की शूटिंग कर रहे हैं। खैर टेलीफोन कॉल के माध्यम से ऋषि कपूर से संपर्क साधा गया। ऋषि कपूर शूटिंग की थकान के बाद शाम को अपने होटल रूम में आराम कर रहे थे। उन्हें होटल कर्मचारियों ने सूचना दी कि मुम्बई से उनके लिए फोन कॉल है। उन दिनों फोन का बहुत कम इस्तेमाल किया जाता था। यदि कोई फोन करता तो यह समझा जाता कि इमरजेंसी कंडीशन है। जब ऋषि कपूर को मुम्बई से किए गए फोन कॉल का पता चला तो पहले वो थोड़ा घबरा गया। जब उन्होंने फोन पर बातचीत शुरू की तो उन्हें पता चला कि सामने मनमोहन देसाई हैं। उन दिनों आज की तरह वॉयस क्वालिटी नहीं थी, जिस कारण टेलीफोन पर आवाज़ साफ नहीं आती थी और बात करने वालों को ऊंची आवाज़ में बोलना पड़ता था। मनमोहन देसाई ने जब फोन कॉल पर सूचना दी कि वह उन्हें अपनी फिल्म में अकबर का किरदार देना चाहते हैं तो ऋषि कपूर को बात ठीक से सुनाई नहीं दी। 

 

 

 

जब थोड़े से प्रयास के बाद बात सुनाई दी तो ऋषि कपूर ने रोल निभाने से मना कर दिया। ऋषि कपूर जानते थे कि मनमोहन देसाई अपनी फ़िल्मों में बिना लॉजिक कुछ भी दिखा देते हैं। उन्हें लगा कि उनके दादा पृथ्वीराज कपूर मुगल बादशाह अकबर का किरदार निभा चुके हैं। यदि मनमोहन देसाई की फिल्म में उन्हें अकबर का किरदार निभाना पड़ा और कुछ ऊंच नीच हो गई तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी। यह सोचकर ऋषि कपूर मनमोहन देसाई से क़िरदार निभाने के लिए मना करते रहे, उधर गुस्से के बावजूद भी मनमोहन देसाई ऋषि कपूर को फ़ोन पर समझाते रहे। इसी सब में जब ऋषि कपूर ने अपनी दुविधा बताई तो मनमोहन देसाई ने हंसते हुए कहा कि उनकी फिल्म में उन्हें मुगल बादशाह अकबर नहीं बल्कि एक चुलबुले युवक का किरदार निभाना है, जिसका नाम अकबर है। यह सुनकर ऋषि कपूर की खुशी महसूस हुई और उन्होने फिल्म में काम करने की सहमति जता दी।इस तरह ऋषि कपूर मनमोहन देसाई की मल्टीस्टारर फिल्म "अमर अकबर एंथनी" का हिस्सा बने। 

 

 

 

 

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