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क्या सच में CBFC का मजाक उड़ा रहा है ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ का पोस्टर?

जिस स्त्री अस्मिता की लड़ाई लिपस्टिक अंडर माय बुर्का की टीम लड़ रही है, उसी अस्मिता की धज्जियां उनकी फिल्म के पोस्टर ने उड़ा दी। लिपस्टिक अंडर माय बुर्का के पोस्टर में स्त्रियों के लिए अपमानजनक, भद्दा इशारा ‘मिडिल फिंगर’ दर्शाया गया है। फिंगर को पोस्टर में लिपस्टिक का रूप देकर रचनात्मकता पैदा करने की कोशिश की गई है इसका मूल पुरुषों द्वारा गाली के रूप में इस्तेमाल किया गया इशारा ही है इसे स्त्रियों के लिए झंडा बुलंद करने वाली फिल्म की निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव को नहीं भूलना चाहिए।
क्या सच में CBFC का मजाक उड़ा रहा है ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ का पोस्टर?

अब 21 जुलाई को होगी रिलीज

बालाजी मोशन पिक्चर्स ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस मिडिल फिंगर वाले पोस्टर को जारी किया है। यह विडंबना ही है कि भारत की कई स्त्रियां इस ‘मिडिल फिंगर’ इशारे का वास्तविक अर्थ नहीं समझती हैं। महिला प्रधान फिल्म जिसके लिए कहा जा रहा है कि यह स्त्रियों की लालसा, उनकी सेक्स लाइफ को दिखाने की कोशिश करेगी जिस पर पुरुषों का आधिपत्य है और इस पर औरतें खुल कर बात नहीं करती हैं। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने इसे सशर्त सर्टिफिकेट देने की मांग रखी थी। उनका कहना था कि इस फिल्म में बहुत अश्लीलता और गाली गलौज है। पहले यह फिल्म 28 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होनी थी, लेकिन इसी तारीख को अर्जुन कपूर और अनिल कपूर की फिल्म ‘मुबारकां’ भी रिलीज होनी है, जिसके कारण प्रकाश झा ने अपनी की रिलीज डेट 28 की जगह 21 जुलाई कर ली है। फिल्म का ट्रेलर 14 अक्टूबर 2016 को रिलीज किया जा चुका है।

फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ का पोस्टर जारी किए जाने के बाद सीबीएफसी के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने कहा कि इस फिल्म के पोस्टर में मिडिल फिंगर की जगह लिपस्टिक दिखाया जाना निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि किसी भी सभ्य समाज में इस तरह के अश्लील इशारे वाले पोस्टर को पसंद किया जाएगा। निहलानी ने कहा कि हमारे सभ्य समाज में किसी को भी इस तरह के इशारे करना हमारे आचरण में नहीं है और न ही ये बुद्धिमानी का काम है।

पोस्टर पर अलंकृता श्रीवास्तव का बयान

फिल्म का पोस्टर जारी किए जाने के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान अलंकृता श्रीवास्तव ने कहा था कि हम पोस्टर के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि पुरुष प्रधान सोच हमें चुप नहीं रख सकता है, हम अपनी बात कहेंगे। अलंकृता का कहना है कि यह मिडिल फिंगर हम उस पुरुष प्रधान समाज को दिखा रहे हैं, जो हमारी चाहतों, सपनों, और आवाजों को रोकने-टोकने की कोशिश करते हैं। अलंकृता का कहना वैसा ही है जैसे औरतों पर बनी तमाम गालियां औरतें गालियों के बहाने देने लगें। 

फिल्म ने कई अवॉर्ड्स जीते

अलंकृता श्रीवास्तव निर्देशित यह फिल्म समाज के विभिन्न वर्गो की महिलाओं की इच्छाओं को दर्शाती है, जो खुली हवा में अपने तरीके से जिंदगी जीना चाहती हैं। फिल्म में रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा और अहाना कुमरा प्रमुख कलाकार हैं। यह फिल्म टोक्यो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में स्पिरिट ऑफ एशिया अवॉर्ड और मुंबई फिल्म महोत्सव में लैंगिक समानता के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑक्सफैम अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी है।

सेंसर बोर्ड से नहीं हुई सर्टिफाई, FCAT पहुंचे प्रकाश झा

इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफाई करने से मना कर दिया था। सेंसर बोर्ड का कहना था कि फिल्म में जरूरत से ज्यादा सेक्सु्अल कंटेंट, गालियां और पॉर्नोग्राफी है। बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ फिल्म के डायरेक्टर ने फिल्म सर्टिफिकेशन अपेलेट ट्रिब्यूनल (FCAT) में अपील की। ट्रिब्यूनल ने मेकर्स की अपील सुनने के बाद फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट देने का निर्देश दिया।

फिल्म को '' सर्टिफिकेट

सेंसर बोर्ड के फैसले को नकारते हुए FCAT ने फिल्म को कुछ जरूरी कट्स के साथ 'ए' सर्टिफिकेट देने का आदेश जारी किया है। इसके अलावा फिल्म मेकर्स को फिल्म में सेक्स सीन को भी कम करने को कहा। अपने आदेश में FCAT ने कहा था किसी फिल्म पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं हो सकता, फिर चाहे वह महिला प्रधान हो या फिर महिलाओं की आंतरिक इच्छा के जतावे वाले एक्प्रेशन हों।

पहलाज निहलानी ने फिल्म को दिया था 'जरूरत से ज्यादा फैंटेसी करार

अलंकृता श्रीवास्तव की नारीवादी फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का जोकि छोटे शहर की चार महिलाओं की यौन इच्छाओं के बारे में है। सीबीएफसी के चेयरमैन पहलाज निहलानी ने इस मामले पर सर्टिफिकेशन के दौरान खुलकर बात करने से मना कर दिया था, वहीं बाद में उन्होंने फिल्म को 'लेडी ऑरिएंटेड' और 'जरूरत से ज्यादा फैंटेसी करार दिया था।  

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