बिहार के नालंदा में जन्मे और पले-बढ़े डॉक्टर सहजानंद प्रसाद सिंह ने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल से एमबीबीएस और उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से एमएस (जनरल सर्जरी) किया। साधारण किसान परिवार से आने वाले डॉ. सिंह अपने छात्र जीवन में साइकिल से स्कूल और कॉलेज आया जाया करते थे। कई साल तक पटना के फुलवारी शरीफ के ईएसआई अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर और सुपरिंटेंडेंट के रूप में उन्होंने गरीब और दिहाड़ी मजदूरों के लिए बहुत काम किया। बाद में बिहार लोक सेवा आयोग की अनुशंसा पर उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया गया जहां उन्होंने कई वर्ष तक अपनी सेवाएं दीं। हाल ही में डॉ. सिंह को िचकित्सा जगत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित डॉ. बी.सी राय राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया है
वर्तमान में डॉक्टर सिंह नालंदा के पावापुरी स्थित वर्धमान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में जनरल सर्जरी विभाग के प्रमुख और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। यह अस्पताल मेडिकल शिक्षा का उत्कृष्ट केंद्र है और बिहार सरकार की ओर से भगवान महावीर, पावापुरी और नालंदा को समर्पित है। डॉक्टर सिंह बिहार के सबसे लोकप्रिय शिक्षक और काबिल सर्जन के रूप में जाने जाते हैं।
डॉक्टर सिंह को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), बिहार और नेशनल आईएमए में उनके कामों की वजह से एक अलग पहचान मिली जहां उन्हें डॉक्टर के रूप में किसी और ने नहीं बल्कि दिवंगत डॉक्टर ए.के.एन. सिन्हा ने सभी चिकित्सकों से डॉ. सिंह का परिचय कराया था। डॉक्टर सिन्हा खुद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे थे। डॉक्टर सिंह को ऐसा ही स्नेह डॉक्टर एन. अप्पा राव और डॉक्टर केतन देसाई जैसे लीडर्स से भी हासिल हुआ।
आईएमए में डॉ. सिंह कई पदों पर रहे। अब वे आईएमए बिहार के पूर्व अध्यक्ष हैं, नेशनल आईएमए के मुख्य चुनाव आयुक्त, नेशनल आईएमए की सेंट्रल वर्किंग कमेटी और सेंट्रल काउंसिल के सदस्य हैं। डॉ. सिंह पटना में आयोजित आईएमएकॉन-2006 के बेहद सफल आयोजन के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी थे। इसी प्रकार 1988 में आईएमए की गोल्डन जुबली कॉन्फ्रेंस में डॉ. सिंह ज्वाइंट ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी थे। डॉक्टरों और मरीजों की आवाज डॉक्टर सहजानंद प्रसाद सिंह ने बिहार में आईएमए के सहयोग से भारत सरकार के 15 से अधिक राष्ट्रीय मेगा स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए हैं। डॉ. सिंह ‘आओ गांव चलें’, ‘बेटी बचाओ’, ‘स्तनपान’, ‘एड्स / एचआईवी’, ‘तपेदिक’ और ‘कुष्ठ रोग’ नियंत्रण जैसे आइओए के सभी सामाजिक-चिकित्सा कार्यक्रमों में आगे बढ़कर भागीदारी करते रहे हैं। उनके नेतृत्व में बिहार में कई बाढ़ राहत शिविर और नेत्र शिविर आयोजित किए गए। डॉ. सिंह स्वास्थ्य नीतियां
बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सरकार के साथ सहयोग करते हैं, लेकिन जब भी उन्हें लगता है कि ये नीतियां चिकित्सा पेशे और आम लोगों के पक्ष में नहीं हैं तो वह विरोध की आवाज उठाते हैं। डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह कई वर्षों से मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। वे बिहार काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन के सदस्य और रजिस्ट्रार हैं और उन्होंने चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता, नैतिकता और व्यवहार को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की है। डॉ. सिंह तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर की सीनेट और बिहार रेड क्रॉस सोसाइटी के भी सदस्य हैं।
डॉ. सिंह लायंस क्लब के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा उन्हें सर्वश्रेष्ठ आईएमए सचिव पुरस्कार, राष्ट्रपति प्रशंसा पुरस्कार, चिकित्सा रत्न पुरस्कार (2006), भारत ज्योति अवार्ड (2009) और आईएमए कॉलेज ऑफ जनरल प्रैक्टिशनर्स के सर्वश्रेष्ठ राज्य फैकल्टी से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें बिहार और देश की कई आईएमए शाखाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। मंगलौर के मणिपाल विश्वविद्यालय ने भी उनका सम्मान किया है। डॉ. सिंह नालंदा मेडिकल कॉलेज छात्र संघ के सचिव और नालंदा मेडिकल कॉलेज एलुमनी एसोसिएशन के सचिव/संरक्षक रहे हैं। गरीबों के चिकित्सक डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह डॉक्टरी परामर्श और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के लिए बहुत ही कम फीस लेते हैं। उनके क्लिनिक पर हर दिन गरीब और ग्रामीण लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है जो उनसे इलाज करवाकर उन्हें आशीर्वाद देती है। उनके बच्चे भी डॉक्टर हैं और उन्होंने उनमें उसी संस्कृति और दर्शन को विकसित किया है। उनका एक बेटा यूरोलॉजिस्ट और जनरल लेप्रोस्कोपिक सर्जन और दूसरा ऑर्थोपेडिक सर्जन है। उनकी बहुएं ईएनटी और रेडियोलॉजी की विशेषज्ञ हैं। उनके बच्चे भी उसी तरह से गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा करते हैं जैसे डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह करते हैं।
डॉ. बी.सी. रॉय अवार्ड फंड की प्रबंध समिति ने डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह की सेवाओं और उनके किए कार्य की सराहना की है और उनकी सेवाओं को देखते हुए वर्ष 2017 के लिए ‘सामाजिक चिकित्सा राहत में उत्कृष्ट सेवा’ श्रेणी के तहत उन्हें पुरस्कृत किया है। देश की प्रतिष्ठित पत्रिका आउटलुक ने उनकी उपलब्धियों को मान्यता देते हुए उन्हें वर्ष 2018 में ‘आइकन्स ऑफ बिहार’ अवार्ड प्रदान किया।