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KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन हुआ संपन्न, वर्चुअल लगा देश-दुनिया के दिग्गज साहित्यकारों का मेला

कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल की अगुवाई में आयोजित मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल के वर्चुअल आयोजन सोशल मीडिया के...
KLF मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन हुआ संपन्न, वर्चुअल लगा देश-दुनिया के दिग्गज साहित्यकारों का मेला

कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल की अगुवाई में आयोजित मैथिली लिटरेरी फेस्टिवल के वर्चुअल आयोजन सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर बीते दिन 11-12सितंबर को किया गया। पहले दिन उद्घाटन सत्र के साथ ही इस आयोजन की शुरुआत हुई, जिसमें वक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान के पूर्व निदेशक उदयनारायण सिंह 'नचिकेता' के साथ मैथिली साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार प्रदीप बिहारी, अरविंद ठाकुर, श्री रमेश, रमेश रंजन, महेंद्र नारायण राम एवं मैथिली लेखक संघ के महासचिव विनोद कुमार झा मौजूद रहें। 

वहीं, इस सत्र में कलिंग लिटरेरी फेस्टिवल की ओर से रश्मि रंजन परिदा, सितांसु, एवं आशुतोष ठाकुर की उपस्थिति रहें। इस आयोजन के संयोजक एवं समन्वयक कृष्ण मोहन ठाकुर भी उपस्थित रहे। 

उद्घाटन सत्र के बाद हुए कविता-विमर्श सत्र में युवा वक्ताओं ने समकालीन कविता के महत्वपूर्ण आयाम पर अपने वक्तव्यों को सामने रखा जिसमें विगत वर्षों में युवा कवि-कवयित्रियों की रचना में आए बिम्ब विधान, छन्द, प्रतीक, अन्तर्लय, चेतना, ग्रामीण और शहरी परिवेश एवं नवताबोध को उनकी रचनाओं के साथ उल्लेख किया। वक्ता के रूप में नारायण मिश्र, आदित्य भूषण मिश्र, मैथिल प्रशांत एवं पंकज कुमार मौजूद थे। 

इस सत्र का संचालन साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित युवा कथाकार सोनू कुमार झा ने किया। 

समारोह के दूसरे दिन की शुरूआत बाल साहित्य विमर्श सत्र के साथ किया गया। इस सत्र में बाल साहित्य की दशा और दिशा दोनों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखें। 

विमर्श सत्र में विद्यापति काल से लेकर वर्तमान समय में गीत-गजल की स्थितियों पर बारीकी से चर्चा की गई। आज के समय में मैथिली गीत-गजल की वास्तविक स्थिति, समृद्धि,  आवश्यक परिवर्तन एवं समस्याओं पर भी वार्ता हुई। 

समारोह का समापन एक सार्थक समीक्षा सत्र के साथ हुआ, जिसमें इस दो दिन के आयोजन में हुए सभी उपक्रमों की समीक्षा की गई और युवा कवियों की उपस्थिति और उपादेयता पर वक्ताओं ने अपने स्पष्ट विचार रखे। वक्ताओं ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी जो मैथिली में सक्रिय लेखन कर रही है, निश्चित रूप से उनमें एक अकूत क्षमता नजर आती है जो मैथिली साहित्य को वैश्विक पटल पर स्थापित करने के लिए आवश्यक है।  

केएलएफ के प्रतिनिधि रश्मि रंजन परिदा और आशुतोष कुमार ठाकुर ने जानकारी दी कि मैथिली भारत के बिहार और झारखंड राज्यों और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। भारत की लगभग 5.6प्रतिशत आबादी लगभग 7-8करोड़ लोग मैथिली को मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। मैथिली बोलने वाले भारत और नेपाल के विभिन्न हिस्सों सहित विश्व के कई देशों में फैले हैं। मैथिली विश्व की सर्वाधिक समृद्ध, शालीन और मिठास पूर्ण भाषाओं में से एक मानी जाती है। मैथिली भारत तथा नेपाल में एक राजभाषा के रूप में सम्मानित है। मैथिली की अपनी लिपि है जो एक समृद्ध भाषा की प्रथम पहचान है। इसकी एक समृद्ध साहित्य का इतिहास रहा है जो इसे संपूर्ण भारतीय भाषाओं के साथ वैश्विक भाषाओं में विशिष्ट बनता है। 

 

 

 

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