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भोपाल में ‘विश्व रंग’ का आयोजन, दुनिया भर से साहित्यकार हुए शामिल

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साहित्य, संस्कृति और कला के विभिन्न रंगों को समेटता अंतरराष्ट्रीय...
भोपाल में ‘विश्व रंग’ का आयोजन, दुनिया भर से साहित्यकार हुए शामिल

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साहित्य, संस्कृति और कला के विभिन्न रंगों को समेटता अंतरराष्ट्रीय  उत्सव ‘विश्व रंग’ 4 से 10  नवंबर तक चला।  रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल  की पहल पर आयोजित इस उत्सव में राष्ट्रीय और अंतररष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हस्तियों ने हिस्सा लेकर इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी। उत्सव का शुभारम्भ मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने किया। विश्व रंग उत्सव 2019 में  7 नवंबर से साहित्य और कला का समागम रहा।

टैगोर इंटरनेशनल लिटरेचर और आर्ट फेस्टिवल "विश्व रंग" में  प्रसिद्ध भारतीय लेखक और प्रोफेसर डॉ. इंद्रनाथ चौधरी ने टैगोर, फैज और इकबाल की रचनाओं , संबंधों और चरित्र पर व्याख्यान दिया।  इंद्रनाथ चौधरी ने  कहा, “विश्व रंग एक मनमोहक त्योहार है, जो भारतीय संस्कृति के उत्सवों को दर्शाता है। भारत में, हम उत्सव में विश्वास करते हैं और यह कार्यक्रम भव्य पैमाने पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं का उत्सव भी है। ” लेखिका मृदुला गर्ग ने भी टैगोर, फैज और इकबाल के अन्तर्सम्बन्धों का विश्लेषण किया।  लेखक धनंजय वर्मा ने कहा- रविंद्रनाथ टैगोर विश्व कवि थे।  गांधी और टैगोर के विचारों में विरोध के बाद भी दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे।  रूस में हिंदी को प्रचारित और प्रसारित करने वाली तान्या ने 21 वीं सदी में विश्व साहित्य पर अपनी बात रखी। तान्या ने आउटलुक से बात करते हुए कहा- भारत में लोग अपनी मातृभाषा को छोड़कर अंग्रेजी में पढ़ाई पर जोर देते हैं , यह बड़ी चिंता की बात है। यही वजह है, यहां हिंदी को जितनी समृद्धशाली होना चाहिए , वैसा नहीं है।

अभिनेता आशुतोष राणा ने हिंदी और क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में अपने करियर से जुड़ी दिलचस्प कहानियों से दर्शकों को रिझाया। मध्यप्रदेश के मूलत : रहने वाले आशुतोष राणा ने मध्यप्रदेश को सांस्कृति का केंद्र और भोपाल को सांस्कृतिक राजधानी कहा।  अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में हिंदी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. सुशामबेदी ने कहा, “हिंदी की  दुनिया भर में लोकप्रियता बढ़ रही है और भारतीय संस्कृति को समझने और सराहना करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जाता है।  कई अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों  में हिंदी भाषा को  पाठ्यक्रम में शामिल किया गया हैऔर इस भाषा पर केंद्रित शोध भी किया जा रहा है। 

गांधी और टैगोर की विरासत और लोकतंत्र की चर्चा करते हुए लेखक डॉ. नंदकिशोर ने कहा कि दोनों ने रचनात्मक काम किया।  उन्होंने कहा अधिकार को छोड़ सकते हैं, लेकिन कर्तब्य को नहीं छोड़ सकते। डॉ. सुधीर चन्द्रा और अन्य विद्वानों ने भी इस पर अपने विचार रखे।  कवि और  गीतकार  इरशाद कामिल ने भी प्रस्तुति दी। उन्होंने गालिब, फैज, नफीज की गजलों को सुनाया।  विश्व रंग उत्सव में थर्ड जेंडर कवियों का रचना पाठ और व्याख्यान हुआ। कोलकाता की   देवाज्योति भट्टाचार्य ने कहा कि विश्व रंग में  ट्रांसजेंडर कवियों के लिये पूरे एक सत्र का आयोजन करना एक नवीन धारा का सूत्रपात करने जैसा है। मंच मिलने से  हम अपनी प्रतिभा से सबको परिचित करा सकते हैं। 

विश्व रंग में बाल साहित्य पर भी चर्चा हुई।  मीडिया द्वारा वर्तमान में हिन्दी और अन्य भाषाओं के प्रचार में किस तरह की भूमिका निभा रही है, उस पर भी बात हुई। 

दक्षिण अफ्रीका की अभिनेत्री और कवियित्री लेबोमषेल, बर्मा के कवि और अनुवादक कोकोथेत, फिलीपीन्स के कवि, लेखकऔर स्वतंत्र पत्रकार मारापी. एल. लानोट, श्रीलंका के तमिलभाषा के कवि चेरण रूद्रमूथी, तिब्बती लेखक और एक्टिविस्ट तेनजिंग  रूस के कवि, कल्चरल एक्टिविस्टऔर एंथ्रोपोलॉजिस्ट ईगरसीद विश्व  रंग उत्सव में  शामिल हुये।

‘विश्व में हिन्दी’ विषय पर आयोजित सत्रों की अध्यक्षता  डॉ. हाईसवेसलर (जर्मनी) और डॉ. गेनादी श्लोम्पेर (इजरायल) ने की। इन सत्रों में मुख्य रूप से डॉ. लिउडमिला खोखलोवा (मॉस्को), डॉ. इंदिरागाजीएवा (मॉस्को), डॉ. दरीगाकोकोएवा (कजाकिस्तान), डॉ. एसराकोक्देमिर (तुर्की), डॉ. तत्याना ओरान्स्कया (जर्मनी), डॉ. ऋपसि मेनेर्सिस्यान (अर्मेनिया), डॉ. यूरीबोत्वींकिन (यूक्रेन), डॉ. सुब्रमनी (फिजी) और डॉ. सिराजुद्दीन नुर्मातोव (उज्बेकिस्तान) ने हिस्सा लिया ।

टैगोर इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन कथादेश ’के विमोचन के साथ  हुआ।  कथादेश  लगभग 200 वर्षों के हिंदी कहानी-लेखन के महत्वपूर्ण हिस्सों का संकलन है। रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के चांसलर और टैगोर इंटरनेशनल लिटरेचर एंड आर्ट्स फेस्टिवल के निदेशक संतोष कुमार चौबे का कहना है कि विश्व रंग 2019 का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य अभिव्यक्ति, चर्चा और प्रवचन के विभिन्न माध्यमों से भारतीय पारंपरिक कला और संस्कृति को संरक्षित करना भी है। इस उत्सव में विश्व को एक रंग में रंगने के लिए नृत्य, संगीत के साथ मुशायरा का भी आयोजन हुआ।  साथ ही विलुप्त  होती संस्कृति और पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

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