भारत में कृषि कीट फॉल आर्मीवार्म से खेती और छोटे किसानों की रक्षा के लिए सफलतापूर्वक अभियान चलाया जा रहा है जिसका असर फसल सीजन 2019-20 में मक्का के बंपर उत्पादन 289.8 लाख टन के रूप में दिख रहा है।
दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (एसएबीसी) जोकि एक गैर-लाभकारी कृषि वैज्ञानिक संगठन है, भारत में खेती और किसानों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और बहुवर्षीय परियोजना चला रहा है। इस परियोजना को एफएमसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई का सहयोग भी मिल रहा है, जोकि स्थायी फसल सुरक्षा में विश्व स्तर पर अग्रणी मानी जाती है। सरकारी मशीनरी और विस्तार प्रणालियों के साथ परियोजना 'सफल' के प्रभावी प्रबंधन से फॉल आर्मीवार्म के नियंत्रण की दिशा में मदद मिली है। इसके अलावा, भारत में विभिन्न मक्का उगाने वाले क्षेत्रों में हजारों किसानों को इसकी रोकथाम के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है।
सभी के सहयोग से फॉल आर्मीवार्म के बढ़ते खतरे को रोकने में मदद मिली - सीडी माई
एसएबीसी के अध्यक्ष डॉ. सीडी माई जिन्होंने जिन्होंने फॉल आर्मीवार्म पर देशव्यापी परियोजना का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है, ने कहा कि आईसीएआर संस्थानों, केवीके, एसएयू और राज्य के कृषि विभागों के साथ ही एनजीओ सहित विभिन्न एजेंसियों के ठोस प्रयासों की मदद से फॉल आर्मीवार्म के बढ़ते खतरे को रोकने में मदद मिली है, जोकि देश की सामाजिक-आर्थिक और खाद्य सुरक्षा के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि सभी की कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप ही देश में फसल सीजन 2019-20 खरीफ और रबी को मिलाकर 289.8 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ है। उन्होंने कहा कि एसएबीसी ने भारत में किसानों पर 'सफल' की यात्रा की रिपोर्ट जारी की है जोकि कृषक समुदाय, एक कार्यात्मक राष्ट्रव्यापी विस्तार प्रणाली और कृषि विस्तार प्रणाली में सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक सच्चा मॉडल है।
मूल रूप से अमेरिकन कीड़ा
फाल आर्मीवॉर्म (स्पोडोप्टेरा फ्रूगीपेर्डा) मूल रूप से अमेरिकन कीड़ा है जो दुनिया भर में आक्रामक रूप से फैल रहा है। वर्ष 2016 में अफ्रीकी कृषि में इसको पहली बार पाया गया था और उसके बाद अगस्त 2018 में भारत के कर्नाटक में मक्का की फसल में इसकी पहली उपस्थिति देखी गई। फसल सीजन 2018-19 में फॉल आर्मीवॉर्म किसानों और भारतीय खेती के लिए एक बड़ा खतरा बन गया, क्योंकि इसकी उपस्थिति से विशेष रूप से मक्का की फसल को भारी नुकसान हुआ।
फसल के शुरुआती चरण में ही करता है हमला
यह फसल पर शुरुआती चरणों में ही हमला कर देता है और बड़े पैमाने पर आक्रामक व्यवहार तथा उच्च प्रजनन क्षमता के कारण फसल पर ज्यादा प्रभाव डालता है। विशेष रूप से, फॉल आर्मीवॉर्म कई स्थानीय फसलों पर हमला करता है, जैसे यह स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न, मक्का, गन्ना और ज्वार के साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसलों को प्रभावित कर सकता है। कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में इस कीट ने फसलों को नुकसान पहुंचाया।
मक्का उत्पादन में आई कमी से आयात के लिए निविदा जारी की
2019 की शुरुआत में, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में फॉल आर्मीवॉर्म कीट का प्रकोप रहा। नतीजतन, मक्का की उपलब्धता में उल्लेखनीय रूप से कमी आई, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू बाजार में मक्का की कीमतों में मांग और आपूर्ति का असंतुलन बनने से कीमतों में तेजी आई। मुर्गी पालन, पशु आहार और स्टार्च उद्योग से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आयातित मक्का के लिए निविदा शुरू की। एफएमसी इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद थोता ने बताया कि प्रोजेक्ट 'सफल', एफएमसी की एक और पहल है, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों को फॉल आर्मीवॉर्म जैसे खतरनाक कीटों से बचाने के लिए सशक्त बनाना है, हमें प्रोजेक्ट 'सफल' के साथ इस प्रयास में दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की भागीदारी पर गर्व है।