Home एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी उत्तर भारत बनेगा मत्स्य निर्यात का हब, उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का होगा इस्तेमाल
उत्तर भारत बनेगा मत्स्य निर्यात का हब, उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का होगा इस्तेमाल
उत्तर भारत बनेगा मत्स्य निर्यात का हब, उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का होगा इस्तेमाल

उत्तर भारत बनेगा मत्स्य निर्यात का हब, उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का होगा इस्तेमाल

सरकार अब उत्तर भारत को मत्स्य निर्यात का हब बनाएगी और इसके लिए आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाएगा तथा नए तालाब बनाए जायेंगे। केंद्रीय पशु पालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नमकीन पानी में निर्यात करने वाली मछली के पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।

इस क्षेत्र में करीब 2.25 लाख हेक्टेयर में खड़ा पानी है जहां सिबास, तेलपिया, फेंगासियस जैसी मछलियों के पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। पहले मुख्य रूप से दक्षिण भारत से मत्स्य निर्यात को प्राथमिकता दी जाती थी। गिरिराज सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई गई है। इसके तहत 11 हजार करोड़ रुपये मत्स्य उत्पादन पर और नौ हजार करोड़ रुपये आधारभूत सुविधाओं के विकास पर खर्च किया जाएगा। सरकार इसे बढ़ा कर 50 हजार करोड़ रुपये करने का प्रयास करेगी। विश्व बैंक 13.5 हजार करोड़ रुपये देगा जिसे बढ़ा कर 25 से 30 हजार करोड़ रुपये करने का प्रयास किया जाएगा।

नीली क्रांति को अब अर्थ क्रांति की ओर ले जाया जा रहा है

उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में नीली क्रांति योजना की शुरुआत की गई थी जिसे अब अर्थ क्रांति की ओर ले जाया जा रहा है। इससे रोजगार और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। सरकार अब सिबिड के उत्पादन और सजावटी मछली पालन पर भी जोर दे रही है। गिरिराज सिंह ने कहा कि वर्ष 2010 से 2014 के दौरान सालाना मत्स्य उत्पादन चार से पांच फीसदी था जो अब बढ़कर 7.53 फीसदी हो गया है। देश में 22 लाख हेक्टेयर में तालाब, 31 लाख हेक्टेयर में जलाशय, आठ हजार किलोमीटर में समुद्री किनारा तथा 12 लाख हेक्टेयर में ब्रेकिस पानी है जहां मत्स्य पालन को और बढ़ावा दिया जा सकता है।

मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का सहारा लिया जाएगा

उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक प्रोद्योगिकी का सहारा लिया जाएगा तथा जलाशय और समुद्र में पिंजरे में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। एक हेक्टेयर जलाशय में 200 पिंजरे में मत्स्य पालन किया जा सकता है। प्रथम चरण में जिन जलाशयों में 15 से 20 मीटर पानी है उसे प्राथमिकता दी जाएगी। अभी देश से 46 हजार करोड़ रुपये के मत्स्य का निर्यात किया जाता है जिसे एक लाख करोड़ रुपये करने की योजना है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि समुद्र किनारे के एक सौ गांवों को माडल गांव बनाया जाएगा जहां पिंजरा में चार गुना अधिक मत्स्य उत्पादन किया जा सकेगा और इससे वहां की अर्थ व्यवस्था बदलेगी। देश में मत्स्य पालन और इससे जुड़े रोजगार में करीब चार करोड़ लोग जुड़े हैं।