Home एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी उपग्रह से होगा फसलों के नुकसान का आकलन : कृषि राज्यमंत्री
उपग्रह से होगा फसलों के नुकसान का आकलन : कृषि राज्यमंत्री
उपग्रह से होगा फसलों के नुकसान का आकलन : कृषि राज्यमंत्री

उपग्रह से होगा फसलों के नुकसान का आकलन : कृषि राज्यमंत्री

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि मौसम की मार या आपदाओं के कारण फसलों को हुए नुकसान का आकलन अब उपग्रह के माध्यम से किया जाएगा, जिससे किसानों को फसल बीमा का लाभ या मुआवजा देने में पारदर्शिता आएगी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी।

कैलाश चौधरी ने कहा कि फसल बीमा योजना को लेकर शिकायतें आती थीं कि किसानों पर फसल बीमा थोपी जा रही है, इसलिए सरकार ने इसमें बदलाव लाते हुए फसल बीमा को ऐच्छिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि नई फसल बीमा नीति के तहत बदलाव करते हुए इसे किसानों के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है, जिसके बाद जिन किसानों को फसल बीमा नहीं लेना है, वे अगर अपने बैंक को एक चिट्ठी लिख कर दे देंगे कि उनको बीमा नहीं चाहिए तो उनके खाते से फसल बीमा का प्रीमियम नहीं काटा जाएगा और जब उनको लगेगा कि फसल बीमा का लाभ उन्हें लेना चाहिए तो फिर वे बैंक में एक चिट्ठी देकर बीमा करवा सकते हैं।

फसल बीमा के प्रीमियम में किसानों के अंशदान में कोई परिवर्तन नहीं

फसल बीमा में दूसरा बदलाव यह किया गया है कि बीमा कंपनियों के लिए एक साल की जगह कम से कम तीन साल के लिए टेंडर भरना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि इससे किसानों की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि तीन साल के लिए जब कंपनी टेंडर भरेगी तो किसानों के प्रति उनकी जिम्मेदारी बनी रहेगी। वहीं फसल बीमा की प्रीमियम में किसानों के अंशदान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। किसानों को खरीफ फसलों पर 2 फीसदी और रबी फसलों पर 1.5 फीसदी का ही प्रीमियम देना होगा। हालांकि उन्होंने बताया कि राज्यों के लिए अब यह तय कर दिया गया है कि वे सिंचित क्षेत्र कंपनी को 25 और गैर सिंचित क्षेत्र के लिए 30 फीसदी से अधिक प्रीमियम नहीं देंगे।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश के 10 राज्यों के 96 जिलों में शुरुआत

उन्होंने कहा कि कि प्राकृतिक आपदा या मौसम की बेरुखी के कारण फसल को हुए नुकसान का आकलन अब उपग्रह से किया जाएगा जिससे मुआजवा देने में पारदर्शिता आएगी। उन्होंने कहा कि तकनीकी के माध्यम से जब फसल के नुकसान का आकलन होगा तो उसमें किसानों की यह शिकायत नहीं रहेगी कि पटवारी आकलन में गड़बड़ी करके या उनके खेत को शामिल नहीं किया, साथ ही इससे रिपोर्ट भी जल्द आएगी और समय पर किसानों को मुआवजा मिलना सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि इस दिशा में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश के 10 राज्यों के 96 जिलों में इसकी शुरुआत की है।