पूरी दुनिया में अपने जायके के लिए मशहूर मलीहाबादी दशहरी आम के बाद अब केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) ने बनारसी लंगड़ा, चौसा तथा रटौल किस्मों के आम के लिए भी ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जीआई टैग (विशिष्ट भौगोलिक संकेत) हासिल होने के बाद आम की इन किस्मों के किसानों को अपनी फसल के बेहतर दाम मिलने की संभावना बढ़ेगी और अन्य क्षेत्रों के आम किसान उनके नाम का दुरुपयोग कर अपनी फसल बाजार में नहीं बेच सकेंगे। सीआईएसएच के निदेशक शैलेंद्र रंजन ने बताया कि संस्थान ने राज्य मंडी परिषद के सहयोग से आम की किस्मों बनारसी लंगड़ा, चौसा, गौरजीत और रटौल के लिए जीआई टैग हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लंगड़ा और चौसा को जीआई टैग मिलने के बाद आम की इन विशेष किस्मों के लिए अच्छा बाजार तैयार करने में मदद मिलेगी।
जीआई टैग मिलने से इन किस्मों के आम किसानों को अपनी फसल का बेहतर दाम मिल सकेगा
उन्होंने बताया कि जीआई टैग मिलने से इन किस्मों के आम किसानों को अपनी फसल का बेहतर दाम मिल सकेगा। साथ ही दूसरे आम उत्पादक उनके नाम का दुरुपयोग करके बाजार में अपना माल नहीं बेच सकेंगे। दशहरी आम को सितंबर 2009 में जीआई टैग हासिल हुआ था। इसके अलावा आम की अनेक भारतीय किस्मों को भी जीआई टैग हासिल हो चुका है। इनमें रत्नागिरी का अल्फांसो, गीर और मराठवाड़ा का केसर, आंध्र प्रदेश का बंगनापल्ली, भागलपुर का जर्दालू, कर्नाटक का अप्पामिडी और मालदा का हिमसागर मुख्य हैं।
उत्पादों की खासियत और प्रतिष्ठा उस क्षेत्र विशेष में पैदा होने की वजह से मिलती है
रंजन ने बताया कि किसी भी किस्म के आम की खासियत वहां की जलवायु तथा विशिष्ट स्थानीय भौगोलिक कारणों से तय होती है। मिसाल के तौर पर देश के दूसरे इलाकों में पैदा होने वाले दशहरी की तुलना लखनऊ के मलीहाबाद स्थित बागों में पैदा होने वाले दशहरी आम से नहीं की जा सकती, क्योंकि मलीहाबाद के दशहरी को जीआई टैग मिला हुआ है और इस क्षेत्र में पैदा होने वाले दशहरी आम के आकार, वजन, मिठास और रंग का विवरण जीआई टैग में दिया होता है। जीआई टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी क्षेत्र विशेष में पैदा होते हैं। इन उत्पादों की खासियत और प्रतिष्ठा उस क्षेत्र विशेष में पैदा होने की वजह से स्थापित होती है। यह टैग मिलने के बाद संबंधित उत्पाद का नाम लेकर बाजार में किसी और चीज को बेचने पर पाबंदी लग जाती है।
एजेंसी इनपुट