Home एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी बागवानी किसानों के लिए वरदान, आमदनी बढ़ाने का जरिया बनी : कैलाश चौधरी
बागवानी किसानों के लिए वरदान, आमदनी बढ़ाने का जरिया बनी : कैलाश चौधरी
बागवानी किसानों के लिए वरदान, आमदनी बढ़ाने का जरिया बनी : कैलाश चौधरी

बागवानी किसानों के लिए वरदान, आमदनी बढ़ाने का जरिया बनी : कैलाश चौधरी

किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बागवानी को खास तवज्जो दे रही है, क्योंकि फलों, सब्जियों और मसालों की खेती से किसानों को अन्य कृषि फसलों के मुकाबले ज्यादा फायदा होता है।

इस बात को देश के विभिन्न हिस्सों में बागवानी करने वाले किसानों ने साबित करके दिखाया है। राजस्थान के सीकर जिले के बेरी गांव की संतोष देवी महज एक एकड़ के अपने फार्म से साल में लाखों रुपये कमाती हैं। संतोष देवी की तरह कम जोत की जमीन वाले कई किसान बागवानी से लखपति बने हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी कहते हैं कि बागवानी किसानों के लिए वरदान है, जिससे उनकी आमदनी दोगुनी ही नहीं, पांच गुनी तक बढ़ सकती है।

उन्होंने बताया कि यही कारण है कि केंद्र सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) पर विशेष जोर दे रही है और इससे ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब किसान रेल चलेगी तो फल, सब्जी व अन्य खराब होने वाले कृषि उत्पादों का परिवहन तत्परता से होगा, जिससे किसानों को उनके उत्पादों का उचित व लाभकारी दाम मिलेगा।

केंद्र सरकार बागवानी फसलों के लिए किसानों को देती है सब्सिडी

चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना एमआईडीएच का मकसद बागवानी क्षेत्र में फलों, सब्जियों, कंद-मूल, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू, कोको और बांस को कवर करते हुए बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास करना है। इस मिशन के तहत केंद्र सरकार कुल खर्च में सामान्य राज्यों को 60 फीसदी और पूर्वोत्तर व हिमालयी राज्यों को 90 फीसदी तक सब्सिडी देती है। वहीं, केंद्र शासित प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के लिए केंद्र सरकार शतप्रतिशत खर्च वहन करती है।

मशरूम और सब्जियों की खेती में किसान ले रहे हैं दिलचस्पी

एमआईडीएच के तहत राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम), पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (एचएमएनईएच), राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), नारियल विकास बोर्ड (सीबीडी) और केंद्रीय बागवानी संस्थान (सीआईएच) नागालैंड शामिल हैं। बिहार के बागवानी सह मिशन के निदेशक नंद किशोर कहते हैं कि बागवानी मिशन की योजनाओं के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है, खासतौर से मशरूम और सब्जियों की वैज्ञानिक ढंग से खेती में किसान ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, क्योंकि इसमें उनको फायदा दिख रहा है।

खाद्यान्न के मुकबाले बागवानी फसलों का उत्पादन ज्यादा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बागवानी विज्ञान संभाग में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विक्रमादित्य पांडेय ने बताया कि देश फूलों, फलों, सब्जियों, मसालों, औषधीय एवं सगंधीय पौधों और सब्जियों की खेती से किसानों को खाद्यान्नों व अन्य नकदी फसलों की तुलना में ज्यादा आमदनी होती है। उन्होंने बताया कि किसान बागवानी फसलों के फायदे को देखते हुए लगातार इसकी खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं, जिसके फलस्वरूप देश में लगातार सात साल से बागवानी फसलों का उत्पादन खाद्यान्नों के मुकाबले ज्यादा हो रहा है। देश में इस साल 2019-20 में बागवानी फसलों का उत्पादन 31.34 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि खाद्यान्नों का उत्पादन 29.19 करोड़ टन।

एजेंसी इनपुट