मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक सरकार कृषि उद्देश्यों के लिए लिए गए ऋण के भुगतान में देरी या भुगतान न करने पर किसानों की संपत्ति की जब्ती या नीलामी को रोकने के लिए एक कानून पेश करेगी।
कृषि मेला के समापन सत्र और गांधी कृषि विज्ञान केंद्र (जीकेवीके) परिसर में किसानों को पुरस्कार वितरण में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि कृषि ऋण का भुगतान न करने की स्थिति में, किसानों संपत्ति की नीलामी या उसको ज़ब्त करने के बजाय पुनर्भुगतान के लिए अधिक समय दिया जाना चाहिए।
उन्होने कहा कि सहकारिता विभाग और अन्य विभागों को आवश्यक निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। परिणामस्वरूप विभाग किसानों की दुर्दशा पर प्रतिक्रिया दे रहा है।
यह देखते हुए कि आर्थिक विकास पूरी तरह से कृषि क्षेत्र पर निर्भर है, बोम्मई ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों को कृषि-अर्थशास्त्र के बारे में शोध करना चाहिए और सरकार को सुझाव देना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए और नए शोध और कार्यप्रणाली के बारे में सूचित करना चाहिए।
बेंगलुरु और धारवाड़ दोनों कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय 58 वर्षों से काम कर रहे हैं और किसानों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धारवाड़ और बेंगलुरु विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के लिए एक-एक हजार एकड़ जमीन आरक्षित की गई है।
बोम्मई ने कहा, "विश्वविद्यालयों को कम पूंजी निवेश के साथ कृषि उत्पादन बढ़ाने और रासायनिक उर्वरक का उपयोग किए बिना फसल उगाने के लिए कहा गया है।"
मुख्यमंत्री ने सभा को बताया कि "यशस्विनी" स्वास्थ्य बीमा योजना 1 नवंबर से फिर से शुरू की गई है।
बोम्मई ने कहा कि राज्य सरकार और अधिक किसान हितैषी कार्यक्रम शुरू करेगी जिसमें चालू शैक्षणिक वर्ष से 10 लाख अतिरिक्त किसानों को ऋण देना शामिल है।
उन्होंने किसानों से वैज्ञानिक रूप से सोचने, उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई किस्मों को आजमाने और व्यापक कृषि अपनाने की अपील की।