भारत एक कृषि प्रधान देश है। विगत कुछ वर्षों में भारत कृषि क्षेत्र में तेजी से उभरने वाला देश बना है। इसके पीछे एक बड़ा योगदान देश के किसान विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों का है। किसानों को सही बीज, खाद से लेकर उचित सिंचाई तकनीक उपलब्ध कराने का कार्य इन संस्थानों एवं केंद्रों द्वारा किया जा रहा है। इन केंद्रों और संस्थानों के विशेष योगदान को देखते हुए बुधवार यानी 14 सितंबर, 2022 को नई दिल्ली के एन. ए. एस.सी कॉम्प्लेक्स में ‘आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स 2022’ का आयोजन किया गया।
इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे और उन्होंने सभी विजेताओं का हौसला बढ़ाते हुए, उन्हें पुरुस्कृत किया।आयोजन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ आउटलुक पत्रिका के सीईओ इंद्रनील रॉय, आउटलुक हिंदी के एडिटर गिरिधर झा एवं अन्य सहयोगी मौजूद रहे। कार्यक्रम के प्रायोजक स्वराज ट्रैक्टर, कोर्टेवा, सीड वर्क्स, सम्मुनति के गणमान्य सदस्य भी सम्मान समारोह में शामिल हुए।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों को सम्मानित करते हुए भविष्य की योजनाओं के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सभी विजेताओं के कौशल और पुरुषार्थ को नमन करते हुए, उन्हें क्रान्तिकारी परिवर्तन का प्रतीक बताया। कृषि मंत्री ने इस मौके पर कृषि से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि को मुनाफे की तरफ ले जाने और युवा पीढ़ी को कृषि क्षेत्र से जोड़ने की आवश्यकता है। जब तक युवा पीढ़ी कृषि क्षेत्र से नहीं जुड़ेगी, कृषि का भविष्य उज्ज्वल नहीं हो सकेगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में देखें तो भारत आज कृषि उत्पादों के क्षेत्र में शीर्ष दो स्थानों पर खड़ा दिखाई देता है। इसे सर्वोच्च स्थान पर बनाए रखने के लिए, भारत सरकार की कोशिश है कि निजी निवेश और तकनीक के प्रयोग से किसानों को प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाले नुक्सान से बचाया जाए।इससे किसान की आय बढ़ने के साथ साथ उत्पादन बढ़ेगा और किसान को मजबूती मिलेगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि यदि हम किसान को मजबूती देना चाहते हैं तो हमें किसान के आर्थिक पक्ष को सुदृढ़ करना होगा। भारत सरकार इस बात को भली भांति जानती है कि किसान को आर्थिक दबाव से मुक्त किए बिना, कृषि के क्षेत्र में तरक्की नहीं की जा सकती। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने किसान को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए इन आठ वर्षों में कृषि क्षेत्र का बजट 22 हजार करोड़ रुपए से 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपए कर दिया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीते 6 वर्षों में 1 लाख 22 हजार करोड़ रुपए का भुगतान जरूरतमंद किसानों को किया गया है। साथ साथ, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत साढ़े 11 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 2 लाख 3 हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है।
देश में अधिकांश किसान छोटे स्तर पर खेती करते हैं। उन्हें सहयोग करने की सख्त जरूरत है। इससे कृषि को लाभ होगा और देश की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। इसी दृष्टि से कृषि क्षेत्र में मौजूद 86% छोटे किसानों की सहायता के लिए सरकार ने 10,000 एफपीओ का गठन करने का निर्णय लिया है, जिस पर सरकार 6800 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। देश में दलहन उत्पादन में वृद्धि हुई है। मगर तिलहन खेती में अभी विकास की असीम संभावनाएं हैं। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए, खाद्य तेल आपूर्ति के लिए सरकार द्वारा ऑयल पाम मिशन की शुरूआत की जा रही है, जिसके तहत 6 लाख हेक्टेयर भूमि में 11 हजार करोड़ रुपए खर्च कर तिलहन खेती को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आज किसानों को मजबूत करने के लिए ऋण की प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है। किसान यदि ऋण के लिए भाग दौड़ में फंसता है तो इससे उसकी उत्पादक क्षमता पर असर पड़ता है। इस विषय की केन्द्र सरकार गंभीरता से ले रही है। वर्तमान में डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत देश के किसानों को बैंकों से जोड़ने और उन्हें आसानी से लोन उपलब्ध कराने की योजना पर भारत सरकार काम कर रही है। इससे देश के किसानों को दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे और देश के कृषि क्षेत्र में उन्नति होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश के सभी कृषि शिक्षा संस्थानों, कृषि वैज्ञानिकों और किसान विकास केंद्रों को एकजुट होकर प्रयास करने चाहिए, जिससे कि कृषि क्षेत्र में होने वाले नुकसान को कम किया जाए और कृषि क्षेत्र की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाए। तभी देश का किसान अपनी मेहनत से फसल उत्पादन करेगा और यह देश कृषि उन्नति के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर पाएगा।