नवोन्मेष, अनुसंधान, नवाचार, प्रौद्योगिकी और सहकारिता के जरिए ही कृषि क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है और खेती-बाड़ी में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटा जा सकता है। नई दिल्ली में बुधवार 14 सितंबर को संपन्न हुए आउटलुक कृषि-टेक समिट और स्वराज अवार्ड, 2022 में कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इन्हीं बातों पर जोर दिया।
समिट के पहले सत्र में कृषि क्षेत्र के नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और टेक्नोलॉजी के जानकारों और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनियों के अधिकारियों ने पैनल डिस्कशन में 'भारत में बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन और नवाचारों एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से खाद्य प्रणाली का निर्माण विषय पर अपनी बातें रखीं।'
स्वराज डिवीजन के बिक्री एवं विपड़न प्रमुख राजीव रैलान ने कहा कि भारत में किसानों के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। उन्होंने बताया कि भारत में जनसंख्या की लगभग 40 फ़ीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है और करीब आधी कृषि भूमि सिंचित नहीं है। ऐसे में किसान मानसून का इंतजार करते हैं। वहीं मानसून का पैटर्न जलवायु परिवर्तन की वजह से बदल रहा है। रैलान ने इससे निपटने के लिए स्वराज की ओर से किए गए विभिन्न तकनीकी पहल के बारे में भी जानकारी दी।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के पूर्व अध्यक्ष एवं पद्म भूषण से सम्मानित आरडी सिंह ने कहा, "खाद्य कीमतें आज बहुत बढ़ गई हैं। वहीं देश की आबादी भी काफी बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक अगले साल जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया में नंबर वन हो जाएगा। 2030 तक ढाई सौ करोड़ लोग यहां हो जाएंगे ऐसे में कई चुनौतियां सामने आएंगी लिहाजा तकनीकी और अनुसंधान के द्वारा इसके निराकरण पर और ज्यादा जोर देना होगा।
एडवांता इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीराम कौंडिनिया ने भी बढ़ती जनसंख्या और कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने आगे आने वाली चुनौतियों के बारे में कहा, "जलवायु परिवर्तन कोई भविष्य में चीज होने वाली चीज नहीं है। आज यह हमारे सर के ऊपर है। पिछले 10 हजार सालों में जितना खाना हम लोगों ने खाया है उससे दोगुना अगले 50 सालों में हम खाने वाले हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि खाना कहां से आएगा? कृषि से। लेकिन जलवायु परिवर्तन पैदावार के ऊपर भारी दबाव डालने वाला है। साथ ही नए कृषि पर नए कीड़ों का भी अटैक होने वाला है।"
उन्होंने सुझाव दिया कि जलवायु परिवर्तन के मुताबिक कृषि में बदलाव लाकर इन समस्याओं को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने उपभोग प्रणाली में बदलाव, केमिकल के कम इस्तेमाल और तकनीकी के ज्यादा प्रयोग का भी सुझाव दिया
नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल इंडिया के डायरेक्टर जनरल संदीप कुमार नायक ने कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कमतर करने के लिए सहकारिता पर जोर देने की बात कही। उन्होंने कहा, "अगर कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कमतर करना है तब हमारे दो स्तंभ युवा और महिलाओं के जरिए हमें काम करना होगा। कृषि में महिलाओं और युवाओं में उत्पादकता बढ़ाना है तो इसके लिए सहकारिता सबसे प्रभावशाली रास्ता है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में लगभग 94% किसान किसी न किसी सहकारी संस्था के सदस्य हैं। ऐसे में सहकारिता के जरिए ही कदम उठाना प्रभावकारी होगा।
बता दें कि आउटलुक एग्री समिट और स्वराज अवार्ड एक सालाना आयोजन है, हालांकि 2020 में कोविड-19 महामारी के अपने देश में दस्तक देने के बाद दो साल यह रुका रहा और इस तरह 2022 में यह चौथा आयोजन है।