भारत में आज भी आधी से ज्यादा आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है और इसी में रोजगार की अकूत संभावनाएं हैं। इसलिए आज, महामारी की आशंकाओं, जलवायु परिवर्तन जैसे संकटों के दौर में रोजगार और भोजन मुहैया कराने के लिए कृषि में नवोन्मेष सबसे जरूरी है। इस मायने में विभिन्न तकनीकी अनुसंधानों की बेहद दरकार है, ताकि कृषि को मुनाफे का सौदा बनाया जा सके और उसकी उत्पादकता बढ़ाई जा सके। नई दिल्ली में बुधवार 14 सितंबर को संपन्न हुए आउटलुक कृषि-टेक समिट और स्वराज अवार्ड, 2022 से यही संदेश जोरदार ढंग से उभरा।
समिट में कृषि क्षेत्र के नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और टेक्नोलॉजी के जानकारों और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनियों के अधिकारियों के पैनल डिस्कशन से कृषि क्षेत्र को विस्तार देने के लिए जरूरी नीतियों और टेक्नोलॉजी में नवोन्मेष और नए निवेश पर जोर दिया गया। हमारे देश में लगभग 80-85 फीसद जोत छोटी है या खेत के रकबे 1.5 एकड़ से कम के हैं। इसलिए भी मुफीद टेक्नोलॉजी की दरकार है, ताकि फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सके, उन्हें कीट-पतंगों से बचाया जा सके और उनकी पौष्टिकता में इजाफा किया जा सके। यह भी जरूरी है कि छोटी जोत के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनके खेत को बहु फसली बनाया जाए। यानी एक फसली जमीन में दो फसलें उगाई जा सकें और दो फसली जमीन से तीन फसलें ली जा सकें। फिर फसलों के विविधिकरण की भी दरकार है, ताकि जमीन की उर्वरा-शक्ति बनी रहे और बाजार के अनुरूप फसलें उगाई जा सकें। बाढ़ और सूखे, पानी के संकट, भूगर्भ जल स्तर लगातार घटते जाने के तमाम पानी के संकटों का समाधान तलाशने के लिए भी स्मार्ट टेक्नोलॉजी की जरूरत है, ताकि पानी को संचय कर रखा जा सके और उसकी बर्बादी कम की जा सके।
इसी वजह से इस साल के अउटलुक स्वराज अवार्ड में ऐसे ही नए अनुसंधान और नवोन्मेष के जरिए नई ईजाद करने वालों को पुरस्कृत किया गया, जिससे उनके प्रयोगों पर रोशनी पड़े और उनका व्यापक स्तर पर प्रयोग संभव हो सके। इसका मकसद स्मार्ट टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से खेती में नया आयाम जोडऩे वालों को तलाशना और उन्हें पहचान दिलानी है। इस बार अवार्ड तीन वर्गों में दिए गए: बेहतरीन नतीजे देने वाले कृषि विकास केंद्र, फार्मर्स प्रोड्यूशर आर्गेनाइजेशन और वैज्ञानिकों। हरेक के काम अपने आप में मिसाल हैं और अगर ऐसी मिसालों पर व्यापक अमल हुआ तो निश्चित रूप से हम बेहतर भविष्य की ओर बढेंग़े।
दरअसल 2017 में शुरू किए गए इस आयोजन का मकसद ही कृषि क्षेत्र के विकास और खेती-किसानी को संकट से उबारने के लिए एक ऐसा मंच मुहैया कराना रहा है, जिससे देश और समाज के जीवन में कुछ नयापन आए और नीति-निर्माताओं से लेकर विशेषज्ञों और कृषि उपकरण बनाने वाली कंपनियों के बीच संवाद कायम हो सके। संवाद ही हर क्षेत्र की रुकावटों को दूर करने के लिए जरूरी होता है और उसी से नई संभावनाओं के आकाश खुलते हैं। शुरुआत के बाद से आउटलुक एग्री समिट और स्वराज अवार्ड एक सालाना आयोजन है, अलबत्ता 2020 में कोविड-19 महामारी के अपने देश में दस्तक देने के बाद दो साल यह रुका रहा और इस तरह 2022 में यह चौथा आयोजन है। आउटलुक हमेशा ही जन सरोकारों से गहरे जुड़ा रहा है, इसलिए इस आयोजन से खेती-किसानी में प्रगति लाने की कोशिशें फलप्रद होती हैं तो इसकी सार्थकता और बढ़ जाती है।