देश में खाद्यान्न भंडारण की क्षमता ज्यादा होने के बावजूद भी सालभर में फूडग्रेन नुकसान में करीब 96 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। फसल सीजन 2018-19 में 5,213 टन खाद्यान्न की बर्बादी हुई, जोकि इसके पिछले साल 2,663 टन से करीब 96 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान सबसे ज्यादा बिहार में खाद्यान्न की बर्बादी हुई है।
बर्बादी होने के कई कारण
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्रीय पूल में खाद्यान्न की भंडारण क्षमता, कुल खाद्यान्न स्टॉक से ज्यादा है। उन्होंने बताया कि खाद्यान्न खराब होने के कई कारण है। कई बार परिवहन के समय तथा कई बार मंडियों में खाद्यान्न की खरीद के समय बेमौसम बारिश आदि होने से खाद्यान्न खराब हो जाता है। फसल सीजन 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में खाद्यान्न की बर्बादी ज्यादा हुई है। उन्होंने बताया कि फसल सीजन 2018-19 में 5,213 टन खाद्यान्न का नुकसान हुआ है जबकि इसके पिछले साल 2,663 टन खाद्यान्न का नुकसान हुआ है। हालांकि इसके पिछले साल 2016-17 में 7,963 टन खाद्यान्न का नुकसान हुआ था। चालू फसल सीजन 2019-20 में 30 जून 2019 तक 103 टन खाद्यान्न का नुकसान हुआ है।
कुल भंडारण क्षमता के मुकाबले खाद्यान्न का स्टॉक कम
उन्होंने बताया कि केंद्रीय पूल में पहली जुलाई को खाद्यान्न का कुल स्टॉक 742.52 लाख टन है जबकि खाद्यान्न भंडारण क्षमता 862.45 लाख टन की है। इसमें 739.76 लाख टन भंडारण क्षमता के कवर्ड गोदाम है, जबकि 122.69 लाख टन के लिए कवर एवं प्लिंथ (कैप) की भंडारण क्षमता के गोदाम है। पहली जुलाई को केंद्रीय पूल में कुल खाद्यान्न के 742.52 लाख टन में 284.21 लाख टन चावल और 458.31 लाख टन गेहूं का स्टॉक है। पिछले साल पहली जुलाई को केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का कुल स्टॉक 650.53 लाख टन का स्टॉक था जिसमें 232.52 लाख टन चावल और 418.01 लाख टन गेहूं का स्टॉक था।
खाद्यान्न का उत्पादन अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में देश में खाद्यान्न का 28.33 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल रिकार्ड 28.50 करोड़ टन के रिकार्ड उत्पादन अनुमान से कम है। फसल सीजन 2018-19 में गेहूं का रिकार्ड 10.12 करोड़ टन और चावल का 11.56 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है।