लगभग तीन दशकों से टिड्डियों के आतंक से परेशान पाकिस्तान के किसान इस समय सबसे ज्यादा संकट के दौर से गुजर रहे हैं। टिड्डियां किसानों की फसल को चौपट कर रही है जिस कारण फसल खेत से उनके घरों तक नहीं पहुंच पा रही है। इसी वजह से पाकिस्तान में आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारी बारिश और चक्रवात के साथ ही अभूतपूर्व प्रजनन से पिछले साल की शुरुआत में अरब प्रायद्वीप पर टिड्डियों की आबादी में भारी बढ़ोतरी हुई है, यानी इनकी संख्या में अप्रत्याशित तरीके से बढ़ी है। ईरान से लगी पाकिस्तान की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर रेगिस्तान से पाकिस्तान में अपना रास्ता बनाने के साथ ही टिड्डियों ने पूर्वी अफ्रीका से लेकर भारत में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
पाकिस्तान सरकार ने देशव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी है
यह संकट इतना बड़ा और गंभीर होता जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार ने देशव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील भी की है। अधिकारियों को डर है कि दक्षिणी सिंध प्रांत में आने वाले महीनों में कपास की फसल, जोकि एक नकदी फसल है, पर भी इसका प्रभाव होगा। पाकिस्तान सरकार द्वारा नुकसान का स्थानीय स्तर पर सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। सिंध चैंबर आफ एग्रीकल्चर का कहना है कि कराची के बंदरगाह के आसपास सभी फसलों को नष्ट कर दिया गया है। केंद्रीय पंजाब प्रांत के पिपली पहार गांव में टिड्डियों के उन्मूलन का प्रयास करने वाले कृषि अधिकारी शहबाज अख्तर ने बताया कि मैंने अपने करियर में इस तरह की घुसपैठ कभी नहीं देखी। उन्होंने बताया कि टिड्डियों के सफाये के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ कीटनाशक स्प्रे का काम एक अभियान के तहत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर सुबह ग्रामीण अपने खेतों से मृत कीटों को इकठ्ठा करते हैं, ताकि सरकारी इनाम पा सके।
कीटनाशक के छिड़काव के बाद फसल मानव उपयोग के लिए नहीं रह जाती
फय्याज अजीम ने बताया कि फेस मास्क और दस्ताने पहनकर हम दिन में दो बार फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं, लेकिन यह लेकिन यह प्रक्रिया काफी धीमी है और इसमें बहुत अधिक समय लगता है। जब तक टिड्डियां एक क्षेत्र में मार दी जाती हैं तब तक वे अक्सर अगले क्षेत्र को नष्ट कर देती हैं। अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कीटनाशक का छिड़काव भी काफी खतरनाक है, क्योंकि छिड़काव के बाद फसल मानव उपयोग के लिए नहीं रह जाती है, इसलिए बची हुई फसल को भी छोड़ना पड़ता है। कुछ किसानों को अपने खेतों में छिड़काव के इंतजार में कई बार हताश और निराश होना पड़ता है तथा किसानों को टिड्डियों को भगाने के लिए तेज आवाज करने को कहा जाता है।
टिड्डियों के बचाव के लिए चीनी विशेषज्ञों की टीम आई है पाकिस्तान
खाद्य सुरक्षा मंत्रालय के प्रमुख मुहम्मद हाशिम पोपलजई ने एएफपी को बताया कि संकट का सर्वेक्षण करने के लिए चीनी विशेषज्ञों की एक टीम पाकिस्तान पहुंची है। बीजिंग से आए अधिकारियों द्वारा हवाई छिड़काव भी किया जा सकता है जोकि कीट नियंत्रण का बहुत तेज और अधिक कुशल तरीका है, साथ ही पाकिस्तान, चीन से कीटनाशकों का आयात भी कर सकता है। इससे पहले, खबर आई थी कि टिड्डियों के खात्मे के लिए, चीन हजारों बतख पाकिस्तान भेजने की योजना बना रहा था। पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि ऐसी किसी योजना पर विचार नहीं किया जा रहा है।
पाकिस्तान की जीडीपी में कृषि का 20 फीसदी का योगदान
पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में कृषि का 20 फीसदी का योगदान है, लेकिन सूखे और घटते जल आपूर्ति के कारण इस क्षेत्र में पाकिस्तान पहले ही वर्षों से संघर्ष कर रहा है। अपनी गाय के साथ गेहूं के एक खेत के कोने में बैठकर, राफिया बीबी अपने आस-पास कीटनाशकों का छिड़काव देखती हैं। टिड्डियों ने पहले ही उनकी कैनोला, सूरजमुखी, मिर्च और तंबाकू की फसलों को नष्ट कर दिया है, जिसे उन्होंने सरकार से 45,000 रुपये कर्ज लेकर लगाया था। टिड्डियों द्वारा फसल चौपट कर देने से उनके पास कर्ज चुकाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि अब मैं क्या कर सकती हूं?
एजेंसी इनपुट