Home एग्रीकल्चर एग्री ट्रेड सरकार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने पर कर रही विचार - खाद्य सचिव
सरकार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने पर कर रही विचार - खाद्य सचिव
सरकार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने पर कर रही विचार - खाद्य सचिव

सरकार चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य बढ़ाने पर कर रही विचार - खाद्य सचिव

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि गन्ना किसानों के लगभग 22 हजार करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान करने में मदद करने के लिए केंद्र सरकार चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) को 31 रुपये प्रति किलो से बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों से किसानों को पर्याप्त मात्रा में गन्ना बकाया की शीघ्र अदायगी सुनिश्चित होगी। पांडे ने संवाददाताओं से कहा कि हमें इस मामले पर राज्य सरकारों से विचार प्राप्त हुए हैं। यहां तक कि नीति अयोग ने भी बढ़ोतरी की सिफारिश की है। हम इस मामले पर गौर कर रहे हैं। हम किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाएंगे। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य कितना बढ़ाया जाएगा।

नीति अयोग द्वारा गठित टास्क फोर्स ने दो रुपये प्रति किलो बढ़ोतरी की सिफारिश की

गन्ना और चीनी उद्योग पर नीति अयोग द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने दो रुपये प्रति किलो की एकमुश्त वृद्धि की सिफारिश की है। वृद्धि की संभावना इसलिए भी है क्योंकि कृषि लागत और मूल्य आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 285 रुपये तय करने की सिफारिश की है। पिछले साल, सरकार ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य में दो रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी कर 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो कर दिया था। चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य एफआरपी आदि को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।

गन्ना किसानों का मिलों पर अभी भी करीब 22,000 करोड़ रुपये बकाया है

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों को पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान किसानों से खरीदे गए गन्ने के लिए कुल 72,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। इसमें से अधिक राशि का भुगतान किया जा चुका है और बकाया राशि के रूप में लगभग 22,000 करोड़ रुपये अभी भी चीनी मिलों पर बचे हैं। बकाया में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एफआरपी, और राज्यों द्वारा निर्धारित राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) के आधार पर किया जाने वाला भुगतान शामिल है। 22,000 करोड़ रुपये के बकाया में से, लगभग 17,683 करोड़ रुपये एफआरपी दर पर आधारित है, जबकि शेष एसएपी दरों पर आधारित है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चीनी मिलों ने चालू पेराई सीजन 2019-20 में अब तक 270 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो पिछले पेराई सीजन के 331 लाख टन से कम है।