देश में मसूर के कुल उत्पादन में 70 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की है, लेकिन इन सरकारी खरीद होने वाले राज्यों की लिस्ट में इनका नाम नहीं है। इसी तरह से चना उत्पादन में अग्रणी राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक भी चना की खरीद होने वाले राज्यों में शामिल नहीं हैं। इसलिए इन राज्यों के किसानों को सरकारी खरीद का लाभ नहीं मिल पायेगा।
केंद्र सरकार ने चालू रबी सीजन विपणन सीजन 2020-21 के लिए 1.71 लाख टन चना और 0.87 लाख टन मसूर की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद को मंजूरी है। चना और मसूर की खरीद प्रधानमंत्री अन्न्दाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) के तहत कुल उत्पादन के 25 फीसदी को मंजूरी दी है। इसके लिए सरकार ने 1,250 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है।
सरकारी खरीद के लिए नेफेड है नोडल एजेंसी
कृषि मंत्रालय के अनुसार पीएम आशा के तहत 13 राज्यों असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु, ओडिशा और पश्चिम बंगाल हैं। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चना और मसूर की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए नेफेड को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।
चना और मसूर के दाम समर्थन मूल्य से नीचे
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए चना का समर्थन मूल्य 4,875 रुपये और मसूर का 4,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। लॉकडाउन के कारण देशभर की मंडियां बंद है। कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में चना के भाव 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर के भाव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 4,400 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल हैं। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में चना का रिकार्ड 112.2 लाख टन और मसूर का 13.9 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है।