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मजदूरों के लिए खाद्यान्न लेने में राज्यों की दिलचस्पी कम, सिर्फ 25 फीसदी का उठाव
मजदूरों के लिए खाद्यान्न लेने में राज्यों की दिलचस्पी कम, सिर्फ 25 फीसदी का उठाव

मजदूरों के लिए खाद्यान्न लेने में राज्यों की दिलचस्पी कम, सिर्फ 25 फीसदी का उठाव

केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए मई-जून में खाद्यान्न का जो आवंटन किया है, उसे उठाने में राज्य बेहद कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत जो आवंटन हुआ है, उसमें से राज्य 79.81 फीसदी अनाज और 57.49 फीसदी दाल का उठाव कर चुके हैं। लेकिन प्रवासी मजदूरों के लिए कुल आवंटन का केवल 25.75 फीसदी अनाज ही राज्यों ने अभी तक उठाया है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज योजना के तहत केंद्र सरकार राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों को मई और जून के लिए आठ लाख टन खाद्यान्न (2.44 लाख टन गेहूं और 5.56 लाख टन चावल) का आवंटन कर चुकी है। इसमें से 27 मई तक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने केवल 2.06 लाख टन यानी 25.75 फीसदी खाद्यान्न उठाया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत, मई-जून के दौरान प्रत्येक प्रवासी मजदूर को प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किया जाना है। अभी तक केवल तीन राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों- अंडमान एवं निकोबार, आंध्र प्रदेश एवं लक्षद्वीप ने ही पूरे दो महीने का अनाज उठाया है।

राज्य अभी कर रहे हैं आकलन

आवंटन के बावजूद राज्य खाद्यान्न क्यों नहीं उठा रहे हैं, यह पूछने पर राजस्थान सरकार के अतिरिक्त खाद्य आयुक्त एवं उपभोक्ता मामलात विभाग के निदेशक सुरेश चन्‍द गुप्‍ता ने आउटलुक को बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत खाद्यान्न के उठाव से पहले सर्वे का कार्य किया जा रहा है। अभी खाद्यान्न को उठाकर रखेंगे कहां, इसलिए जैसे ही सर्वे का कार्य पूरा हो जाएगा, खाद्यान्न का उठाव शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सर्वे का कार्य 31 मई तक पूरा होने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश के खाद्य सिविल आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सयुंक्त संचालक हरेन्द्र सिंह ने बताया कि पीएमजीकेएवाई के तहत अनाज (गेहूं और चावल) का आवंटन अप्रैल और मई का लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन दालों का आवंटन अभी नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे नेफेड से दालें हमें मिल रही हैं, उसी के हिसाब से आवंटन भी किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि इस योजना के तहत अभी कुल कितना आवंटन हुआ है।

पीएमजीकेएवाई योजना के तहत 95.80 लाख टन खाद्यान्न उठाया

उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत केंद्र सरकार ने अप्रैल, मई और जून 2020 के लिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को 120.04 लाख टन खाद्यान्न (15.65 लाख टन गेहूं और 104.4 लाख टन चावल) का आवंटन किया है। इसमें से 27 मई तक, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने 95.80 लाख टन खाद्यान्न (15.6 लाख टन गेहूं और 83.38 लाख टन चावल) का उठाव किया है। उन्होंने बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश कुल आवंटन का 79.81 फीसदी अनाज उठा चुके है। पीएमजीकेएवाई योजना के तहत अप्रैल, मई और जून में प्रति माह, प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किया जा रहा है।

5.88 लाख टन दालों का आवंटन, 3.88 लाख टन का उठाव

उन्होंने बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लगभग 20 करोड़ परिवारों को तीन महीने तक एक किलो दाल प्रति परिवार, प्रति महीना फ्री में आवंटित की जा रही है। इसके तहत 24 मई तक केंद्र सरकार 5.88 लाख टन दालों का आवंटन कर चुकी है  तथा 4.44 लाख टन दालें राज्यों को भेजी भी जा चुकी हैं। इसमें से राज्य सरकारों ने 3.38 लाख टन का उठाव किया है। पीएमजीएवाई के तहत देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लाभार्थी परिवार को हर महीने पांच किलो गेहूं या चावल और प्रत्येक राशन कार्ड पर एक किलो दाल अप्रैल से जून तक देने का प्रावधान है।

एनजीओ व स्वयंसेवी संस्थाओं को 886 टन गेहूं - 7,778 टन चावल आवंटित

भारतीय खाद्य निगम के अनुसार राहत केन्द्र एवं लंगर चला रहे एनजीओ व स्वयंसेवी संस्थाओं को लॉकडाउन की अवधि के दौरान अब तक 21 रुपये प्रति किलो की दर से 886 टन गेहूं व 22 रुपये प्रति किलो की दर से 7,778 टन चावल दिया गया है। एफसीआई के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार ने बगैर ई-नीलामी के खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 11,800 टन चावल देने का अनुरोध किया है, लेकिन ओडिशा सरकार द्वारा अभी तक खाद्यान्न की कोई जरूरत नहीं बताई गई है।