राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में टिड्डियों पहुंच गई हैं, जिससे फसलों के नुकसान की आशंका बढ़ गई है। वहीं प्रशासन द्वारा मुनादी कराकर किसानों को आपदा के प्रकोप से निपटने के लिए सर्तक किया जा रहा है।
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, टिड्डी के झुंड राजस्थान से होता हुआ नीमच, मंदसौर, आगर मालवा व झाबुआ तक पहुंच गया है। टिड्डियों का कारवां कई किलोमीटर लंबा है। ये खेतों में उतरकर फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है। आगर मालवा जिले के कृषि विभाग के उपसंचालक आरपी कनेरिया ने कहा है कि टिड्डी के झुंड लगभग 15 किलोमीटर तक छाए हुए हैं, इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे सतर्क रहें। जैसे ही टिड्डियों का कोई झुंड पास आता है तो वे शोर करें, झुंड भाग जाएगा।
प्रभावित गांव में मुनादी कराकर किसानों को सतर्क किया जा रहा है
जिन जिलों में टिड्डियों के झुंड के आने का खतरा है, वहां के किसानों को मुनादी कराने के साथ सतर्क किया जा रहा है। उनसे कहा गया है कि टिड्डियों को भगाने के लिए ध्वनि-विस्तार यंत्र, जैसे- मांदल, ढोलक, डीजे, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर आवाज करना, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि स्थानीय स्तर पर तैयार रखें, सामूहिक प्रयास से ध्वनि-विस्तारक यंत्र का उपयोग करें। ऐसा करने से टिड्डी झुंड नीचे नहीं आकर, फसल या वनस्पति पर न बैठते हुए आगे चला जाएगा।
टिड्डियों का आगमन सुबह और शाम को होता है, उसी समय रासायनिक दवाओं का छिड़काव करें
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि टिड्डियों का आगमन शाम को लगभग छह से आठ बजे के बीच होता है तथा सुबह साढ़े सात बजे तक दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करने लगता है। ऐसी स्थिति में टिड्डी का प्रकोप होने पर तत्काल बचाव के लिए उसी रात की सुबह तीन बजे से लेकर साढ़े सात बजे तक रासायनिक दवाओं का छिड़काव कर टिड्डी झुंड पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बताया गया है कि टिड्डी झुंड खेतों या पेड़ों, हरियाली में बैठते हैं एवं पूर्ण फसलों को नष्ट करता है। इस आपदा पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अनुविभाग स्तर एवं जिला स्तर व राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं।
आईएएनएस एजेंसी इनपुट