हरियाणा सरकार द्वारा फतेहाबाद के किसान जीवन सैनी की बीटी बैंगन की फसल को नष्ट करने से हुए नुकसान की भरपाई के लिए महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब के संगठनों ने मदद देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के सेतकारी संगठन ने इसके लिए 50 हजार रुपये मदद देने की घोषण की है, जबकि 50 हजार रुपये की मदद किसान समन्यव समिति करेगी। इसके साथ ही किसान संगठनों ने बीटी बैंगन की बुआई हरियाणा के फतेहाबाद के रतिया से शुरू करने की घोषणा की।
हरियाणा के कृषि एवं बागवानी अधिकारियों ने किसान जीवन सैनी के खेत में लगी बैंगन की फसल यह कहकर नष्ट करा दी कि यह प्रतिबंधित आनुवंशिक बीज से तैयार की गई है। इसे नष्ट करने की सिफारिश नेशनल ब्यूरो फॉर प्लांट जैनेटिक रिसोर्स ने की थी।
जीएम फसलें किसानों के साथ ही देश की आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण
महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के प्रमुख अजीत नारडे ने आउटलुक को बताया कि हरियाणा में किसान बड़े पैमाने पर जीएम बैंगन की खेती कर रहे हैं, लेकिन जीवन सैनी एक गरीब किसान था, इसलिए उस पर कार्यवाही की गई। उन्होंने बताया कि बीटी बैंगन की फसल नष्ट कर देने से किसान को आर्थिक नुकसान हुआ है, इसकी भरपाई के लिए शेतकारी संगठन ने जीवन सैनी को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि जीएम फसलें न केवल किसानों के लिए बल्कि भारत की आर्थिक समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। महाराष्ट्र में किसान हर्बिसाइड-टोलरेंट बीटी (एचटीबीटी) कपास की बुवाई कर रहे हैं तथा उम्मीद है कि चालू खरीफ में राज्य में कपास की कुल बुवाई में 25 फीसदी एचटीबीटी कपास की होने का अनुमान है।
हिसार में सड़क किनारे बिक रही हैं जीएम बैंगन की पौघ
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेशाध्यक्ष गुणी प्रकाश ने बताया कि हिसार में सड़कों के किनारे बैंगन के पौधे बेचे जा रहे हैं, किसान जीवन सैनी ने इन्हें खरीदा तो उसे पता नहीं था कि यह पौध प्रतिबंधित है। उन्होंने बताया कि हिसार के फतेहाबाद और डबवाली के अनेक किसान इसकी खेती कर रहे हैं लेकिन जीवन सैनी को ही निशाना बनाया गया। उन्होंने बताया कि किसान समन्यव समिति, किसान जीवन सैनी को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 50 हजार रुपये की सहायता देगी। उन्होंने बताया कि गांव रंगड़ी खेड़ा में किसान अमर सिंह की पांच एकड़ में लगी बैंगन की फसल को बागवानी विभाग ने बगैर जांच कराए ही नष्ट कर दिया। इसके खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही गई तो बागवानी विभाग ने किसान अमर सिंह को पांच लाख रुपये का मुआवजा दे दिया।
संगठनों ने किया बीटी बैंगन की फसल लगाने का निर्णय
उन्होंने बताया कि कीटनाशक कंपनियों के साथ ही कुछ संगठन हैं जोकि नहीं चाहते कि किसानों की आय बढ़े, इसीलिए लगातार बीटी बैंगन के साथ ही एचटीबीटी कपास की खेती का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एचटीबीटी कपास और बीटी बैंगन उन्नत तकनीक है, इसलिए किसानों को इनके इस्तेमाल की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि किसानों की आय बढ़ सके। उन्होंने बताया कि किसान समन्यव समिति और शेतकारी संगठन ने देशभर में प्रतिबंधित बीटी कपास व बीटी बैंगन की फसल लगाने का निर्णय लिया है। प्रतिबंधित बीटी बैंगन की फसल लगाने की शुरुआत हरियाणा के रतिया से ही की जाएगी।
साल 2010 में बीटी बैंगन के उत्पादन पर लगाई थी रोक
प्रतिबंधित फसलें लगाए जाने से हरियाणा सरकार व बागवानी विभाग भी हरकत में आ गया है। विभाग का कहना है कि इन फसलों के लगाए जाने की अनुमति नहीं है, किसानों द्वारा की जा रही इनकी बुआई अवैध है। देश में साल 2010 से बीटी बैंगन के उत्पादन पर रोक लगी हुई है, उसके बाद भी यह गैर कानूनी तरीके से उगाया जा रहा है।