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बाबूराम भट्टराई का इस्तीफा, नेपाल में संकट बढ़ा

पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई के इस्तीफे से माओवादी पार्टी में दो-फाड़ की आशंका तेज, भारत का सीमा पर दबाव बढ़ा, आपूर्ति रोकने से जरूरी चीजों का संकट
बाबूराम भट्टराई का इस्तीफा, नेपाल में संकट बढ़ा

नेपाल की राजनीति में फिर हलचल तेज हो गई है। देश के नए संविधान को लेकर मचे हंगामे के बीच पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम  भट्टराई ने यूनिफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूसीपीएन) माओवादी से सारे संबंध खत्म करने की घोषणा की। नेपाल की राजनीति में बड़े बदलावों की ओर संकेत देते हुए बाबूराम ने आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तक से इस्तीफा देने की घोषणा की।

बाबूराम नए संविधान में मधेशी और थारु जनजाति के हकों की अवहेलना से नाखुश थे और यह बात उन्होंने छिपाई भी नहीं थी। आज भी पार्टी छोड़ने के अपने निर्णय की घोषणा करते हुए यह बात दोहराई। बाबूराम भट्टराई का इस्तीफा ऐसा समय हुआ है जब नेपाल ने नया संविधान पारित किया है और इस संविधान के कुछ प्रावधानों के खिलाफ मधेशी और थारू जनजाति आंदोलनरत है। साथ ही इस संविधान से भारत भी नाखुश है। खासतौर से भारतीय नेतृत्व का वह हिस्सा जो नेपाल को हिंदू राष्ट्र के तौर पर देखना चाहता था। ऐसे में बाबूराम के इस्तीफे के गहरे मायने हो सकते हैं। नेपाल मामले से जुड़े कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इससे भारतीय पक्ष को नेपाल में दखल देने का और मौका मिलेगा।

नेपाल मामलों के विशेषज्ञ आनंद स्वरूप वर्मा का मानना है कि अगर ऐसे निर्णायक मोड़ पर पार्टी दोफाड़ होती है तो इससे भारतीय शासक वर्ग को बहुत राहत मिलेगी। इससे मधेशी या दूसरे सवालों को हल करने में कोई मदद नहीं मिलेगी।

गौरतलब है कि बाबूराम का मानना था कि तराई मधेश क्षेत्र में दो और प्रांत होने चाहिए थे, पूर्व में मधेशियों के लिए और पश्चिम में थारुओं के लिए। संविधान से बाबूराम इस कदर नाराज थे कि उन्होंने संविधान पारित होने के बाद होने वाले किसी भी जश्न में शामिल होने इनकार कर दिया था।

उधर, नेपाल के संविधान पारित होने के बाद से उसके भारत से रिश्ते भी तनावपूर्ण बताए जा रहे हैं। बिना किसी औपचारिक सूचना या घोषणा के भारत ने नेपाल सीमा पर जा रही सामग्री को रोक दिया है। सीमा पर ट्रकों की कतारें लगी हुई हैं। चूंकि नेपाल तेल तथा बाकी जरूरी चीजों के लिए भारत से आने वाली आपूर्ति पर निर्भर है, इसलिए वहां सकंट बढ़ता जा रहा है। नेपाल की पार्टियों ने मांग की है कि भारत को आपूर्ति पर रोक नहीं लगानी चाहिए लेकिन भारतीय पक्ष इसके पीछे नेपाल में आंदलनकारी दलों को जिम्मेदार ठहरा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि आपूर्ति में बाधा नेपाल की तरफ चल रहे विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की वजह से है। जबकि नेपाल सरकार का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा पर समान और तेल से लदे ट्रकों को पार नहीं होने दिया जा रहा है। 

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