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ओरलांडो के बहाने अमेरिका की बंदूक संस्कृति पर सवाल

अकेले अमेरिका में ही घृणा या नफरत फैल रही हो ऐसा नहीं है, बाकी देशों में भी ऐसा हो रहा है। हर तरफ असंतोष और आक्रोश के विस्फोट की घटनाएं हमारे सामने आ रही है। लेकिन अमेरिका में और खास तौर से इसके समाज में इस तरह की हिंसा की ठोस वजहें हैं जिन पर अक्सर या तो कम चर्चा होती है या बिल्कुल ही ध्यान नहीं दिया जाता। अमेरिका में इस तरह की हिंसा के पीछे बड़ी भूमिका हथियारों की, राइफलों की सहज उपलब्धता है।
ओरलांडो के बहाने अमेरिका की बंदूक संस्कृति पर सवाल

 हथियारों को रखने का चलन बेहद खतरनाक ढंग से फैला हुआ। ओरलैंडो में हुई दर्दनाक घटना के संदर्भ में बाकी तमाम विश्लेषणों के बीच चर्चा आम नागरिक तक हथियारों की मारक पहुंच पर होना जरूरी है। इसका कैसे इस्तेमाल अमेरिका में चल रही चुनावी प्रक्रिया और खासतौर से रिपब्लिकन पार्टी के उग्र उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प करेंगे, यह भी चिंता का विषय है।

फिलहाल, अमेरिका में हथियार लॉबी, खास तौर से राइफल बनाने वाली कंपनियों के दबदबे पर बात करनी बहुत जरूरी है। अमेरिका में इस लॉबी का राजनीतिक वर्चस्व लंबे समय से बना हुआ है। नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) राज्य स्तर के चुनावों से लेकर राष्ट्रपति चुनावों में अहम भूमिका निभाती है, जबर्दस्त फंडिंग करती है। पोलिटिक्ल एक्शन कमेटी (पीएसी) में इसका असर है। बंदूक नियंत्रण की तमाम मांगों को यह एक स्तर से आगे बढ़ने नहीं देती। यह लॉबी ऐसी तमाम हिंसक घटनाओं के बाद तर्क देती है कि जिन लोगों की हत्या हुई, उनके पास हथियार नहीं थे। यानी सबको हथियार रखने चाहिए, तभी उनकी सुरक्षा हो सकती है।

इस लॉबी का राजनीतिक कद कितना अधिक है उसे इस बात से समझा जा सकता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुत प्रगतिशील माने जाने वाले नेता बर्नी सैंडर्स भी इस मुद्दे पर कोई अलग रुख नहीं रखते हैं। वहां भी स्वर यही है कि हथियार खरीदना सबका मौलिक अधिकार होना चाहिए। जबकि हैंड गन और असॉल्ट गन पर प्रतिबंध लगाने का तर्क बहुत मजबूत है। लंबे समय से अमेरिका में इसकी मांग भी उठ रही है, लेकिन हर बार एनआरए इसे हरा देते हैं। अमेरिका के दक्षिणी राज्यों में हथियारों को लेकर पागलपन है। इस इलाके के बारे में एक चुटकुले की तरह एक सर्वे का उदाहरण दिया जाता है कि जब इन इलाकों में घरों में हथियारों की संख्या के बारे में एक सर्वेक्षण किया गया तो करीब 40 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें याद नहीं। यानी इतने हथियार हैं कि गिना ही नहीं। हर घर में पांच-छह राइफल्स आम सी बात है।

अमेरिका में हथियारबंद होकर घूमने की संस्कृति है। यहां कहा जाता है कि ड्राइविंग लाइसेंस को सहूलियत मानते है और हथियार रखने को मौलिक अधिकार। वहां प्रगतिशील कहते हैं कि राज्य के पास हथियार का एकाधिकार नहीं होना चाहिए इसलिए सब नागरिकों के पास हथियार होने चाहिए।

अब इस पर नियंत्रण लगाए बिना इस तरह की हत्याओं को रोकना मुश्किल है। अमेरिका में इस तरह की हत्याओं की दर यूरोप आदि देशों से कई गुना अधिक है। इतने बड़े पैमाने पर हथियारों, मारक हथियारों का बाजार रोकना वक्त की मांग है। वरना, यह पागलपन बढ़ता जाएगा। आज के दौर में इस पर काबू करना और ज्यादा जरूरी है। इस तरह की हिंसा का फायदा निश्चित तौर पर डोनाल्ड ट्रम्प को होगा। ट्रम्प ने अमेरिकी राजनीति में भूचाल ला दिया है। जिस मर्यादा और संयम को राजनीति में बरता जाता था, उसे सिरे से नकार दिया है। समाज में जो हिंसा और असंतोष बढ़ा है, उसकी अभिव्यक्ति ट्रम्प कर रहे हैं। उग्र, अशिष्ट, गरीब अमेरिकी जिसे वाइट ट्रैश कहते हैं ट्रम्प उसके हीरो बनकर उभरे हैं। ग्लोबलाइजेशन से मारे हुए, बेकार बैठे अमेरिकी नागरिकों में बढ़ रहे आक्रोश की वह अभिव्यक्त कर रहे हैं। ऐसे में इस हिंसक रैंबो संस्कृति का और उग्र होना खतरनाक होगा।    

( लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में समाज विज्ञानी है। भाषा सिंह से बातचीत पर आधारित)

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