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ऊर्जा और सुरक्षा की तलाश मोदी को ले गई मध्य एशिया

वैसे भारतीय प्रधानमंत्री की कजाखिस्तान यात्रा प्रोटोकॉल के विरूद्ध है क्योंकि मनमोहन सिंह की 2011 की कजाखिस्तान यात्रा के बाद अब कजाख राष्ट्रपति को भारत दौरे पर आना चाहिए था, लेकिन उम्मीद की जाती है है कि मोदी की कजाखिस्तान यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग के कई मुद्दों को गति प्रदान करने में मददगार साबित होगी।
ऊर्जा और सुरक्षा की तलाश मोदी को ले गई मध्य एशिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो पांचों मध्य एशियाई देशों की यात्रा एक साथ एक ही दौरे में पूरी करेंगे। मोदी की यात्रा उज़्बेकिस्तान से शुरू होगी जहां वह 6 जुलाई को पहुंचेंगे। उसके बाद 7 और 8 जुलाई को कजाखिस्तान में रहेंगे। तुर्कमेनिस्तान की मोदी की यात्रा 10 और 11 जुलाई की होगी। 11 और 12 जुलाई के बीच मोदी किर्गीस्तान में होंगे और फिर अंत में 12 और 13 जुलाई को ताजिकिस्तान में उनके विदेशी दौरे का अंत होगा। इन पांचों देशों में प्रधानमंत्री व्यापार और विनिवेश, आतंकवाद विरोधी नीतियों और ऊर्जा सुरक्षा/संरक्षण संबंधी मुद्दों पर अपने समकक्ष नेताओं से चर्चा करेंगे। उज्बेकिस्तान में मोदी भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञों से मिलेंगे और कजाखिस्तान में एक विश्वविद्यालय में भाषण देंगे। वैसे भारतीय प्रधानमंत्री की  कजाखिस्तान यात्रा प्रोटोकॉल के विरूद्ध है क्योंकि मनमोहन सिंह की 2011 की कजाखिस्तान यात्रा के बाद अब कजाख राष्ट्रपति को भारत दौरे पर आना चाहिए था। लेकिन उम्मीद की जाती है कि मोदी की कजाखिस्तान यात्रा दोनों देशों के बीच सहयोग के कई मुद्दों को गति प्रदान करने में मददगार साबित होगी। सन 2009 की असैन्य परमाणु संधि, कजा‌िखस्तान में यूरेनियम की संयुक्त खुदाई संबंधित समझौते, भारत की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले कैस्पियन सागर में तेल कुएं से खुदाई समझौता जैसे मुद्दों पर सबकी निगाह रहेगी। इसके अलावा भारत और कजाखस्तान कई अन्य मुद्दों पर अपनी संयुक्त सहमति का एलान करेगा, जिनमें खनन, खनिज और तेल एवं गैस से जुड़ीं परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजना के अंतर्गत लौह अयस्क, कोयला और पोटाश की खोज की जाएगी। हाल ही में दिल्ली में आयोजित बारहवें भारत-कजाखस्तान अंतर-सरकारी आयोग की बैठक में हिस्सा लेने आए कजाख ऊर्जा मंत्री ब्लादिमीर श्कोल्निक की भारत यात्रा को भी इसी परिपेक्ष्य में देखा जा सकता है। इस बैठक में लिए गए निर्णयों को भी अमली जामा पहनाने के लिए संयुक्त समझौतों पर हस्ताक्षर भी प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान संभावित है। भारत में कजाखिस्तान  के राजदूत बुलात सरसेनवाएव ने उम्मीद जताई है कि प्रधानमंत्री मोदी की अस्ताना यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा प्रदान करेगी और आगे बढ़ने में मदद करेगी। भारत में तुर्कमेनिस्तान के राजदूत परारवत दूर्दियेव ने हाल ही में कहा था कि टीएपीआई (तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत) पाइपलाइन में सुरक्षा के मुद्दे को लेकर विलंब की कोई गुंजाइश नहीं हैं, क्योंकि सभी लाभार्थी देश इस परियोजना को जल्द शुरू करने के पक्ष में  हैं। यह 1078 माइल लंबी टीएपीआई पाइपलाइन करीब 9 करोड़ मानकीकृत घनमीटर (एमएमएससीएम) गैस क्षमता वाली होगी जिसमें भारत और पाकिस्तान की हिस्सेदारी 38 एमएमएससीएम गैस की होगी और बाकी बचे 14 एमएमएससीएम गैस अफगानिस्तान को मिलेगा। आस्खाबाद में मोदी पारंपरिक औषधि और योग केंद्र का उद्घाटन करेंगे। नई दिल्ली और आस्खाबाद के बीच कई और समझौतों पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिनमें यूरिया और पोटाश मुहैया कराने के तुर्कमेनिस्तान में खाद उद्योग की स्थापना और ट्रांसपोर्ट और ऊर्जा संबंधी समझौते शामिल है। किर्गीस्तान में प्रधानमंत्री ई-हेल्‍थ लिंक का उदघाटन करेंगे जो बिशकेक के एक अस्पताल को भारत के एक अस्पताल से जोड़कर दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य संबंधी समस्याआंे के समाधान ढूंढने की पहल होगी। ताजिकिस्तान में मोदी सुरक्षा, व्यापार और विनिवेश संबंधी मुद्दों पर राष्ट्रपति इमोमली रहमोन से बात करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की मध्य एशियाई देशों की यात्रा कई और मायनों में महत्वपूर्ण है। अनुमान लगाया जाता है कि मोदी द्विपक्षीय व्यापार समझौतों और ऊर्जा संरक्षण संबंधी समझौतों के अलावा इन देशों के नेताओं से आतंकवाद के मुद्दे पर वृहत चर्चा करेंगे। आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के फैलते दायरे को काबू में करने के मुद्दे चुनौतीपूर्ण होंगे, क्योंकि इन पांचों ‘स्तान’ देशों के नागरिकों के इस संगठन में सम्मिलित होने की खबर आए दिन सुनने और पढ़ने को मिलते हैं। द्विपक्षीय वार्तालापों में इस समस्या के समाधान को तलाशने की कोशिश एक अहम मुद्दा होगा। इसके अलावा अफगानिस्तान की चर्चा भी होगी जहां तालिबान का प्रभाव क्षेत्र दिनोंदिन बढ़ता नजर आ रहा है। ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्तालापों में सीमा संरक्षण का मामला भी उठेगा, क्यांेकि इन देशों की सीमाएं अफगानिस्तान से लगती हैं। भारत के इन देशों के साथ साझेदारी के नए आयाम ढूंढने के प्रयास में एक नई पहल होगी। मोदी रूसी शहर उका में 9-10 जुलाई को शंघाई सहयोगी संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगें। छह देशों (चीन, रूस, कजा‌िखस्तान, किर्गीस्तान, उजबेकिस्तान और ताजिकिस्तान) के संगठन एससीओ बैठक में भारत को स्थायी सदस्यता मिलने की संभावना है। पाकिस्तान और ईरान भी स्थायी सदस्यता की पंक्ति में हैं। भारत जो कि एससीओ की परिवेक्षक स्टेटस सन् 2005 से रखे हुए हैं, ने 2014 में स्थायी सदस्यता के लिए आवेदन किया था और कई मंत्री-स्तरीय सम्मेलनों/बैठकों में भाग भी ले चुका है।

मोदी रूस द्वारा आयोजित ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में बारह देशों के नेताओं से मिलेंगे। इन बारह देशों में एससीओ सदस्य और पर्यवेक्षक, यूरोपियन एकोनोमिक यूनियन (ईईयू) के सदस्य, अजरबेजान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं।

(लेखिका जेएनयू में प्राध्यापक हैं)

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