Advertisement

अम्मा के हनुमान की बगावत से जूझती चिनम्मा

राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो सकता है
जयलल‌िता कको श्रद्धांजल‌ि देतीं शश‌िकला और साथ खड़े हैं पन्नीरसेल्वम

तमिलनाडु में 80 के दशक के अंत की बात है। इस दक्षिण भारतीय राज्य के लोकप्रिय नेता एम.जी. रामचंद्रन का निधन 1987 में हुआ और तब उनकी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कडग़म यानी अन्नाद्रमुक पर वर्चस्व की एक जंग छिडग़ई थी। इस जंग में एक ओर थीं एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन और दूसरी ओर एमजीआर की करीबी नेता जया जयललिता। विधायकों ने जानकी रामचंद्रन को नेता चुना और उन्होंने विधानसभा में अपना बहुमत साबित भी कर दिया मगर तबके प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने विधानसभा भंग कर दी और नए चुनाव हुए। अन्नाद्रमुक में फूट हुई और जयललिता ने अलग चुनाव लड़ा। जनता ने एमजीआर की उत्तराधिकारी जयललिता को मानते हुए उन्हें जीत दिला दी। जानकी रामचंद्रन हमेशा के लिए नेपथ्य में चली गईं।

तमिलनाडु एक बार फिर उसी मोड़ पर खड़ा है। जयललिता का निधन होने के बाद लगातार उनकी छाया बनकर रहीं शशिकला नटराजन पार्टी के विधायकों का पूरा समर्थन हासिल कर चुकी हैं। पार्टी के 131 विधायकों ने उन्हें मुख्‍यमंत्री बनाए जाने की मांग की है मगर इस बार विरोध में खड़े हैं जयललिता के हनुमान कहे जाने वाले ओ पन्नीरसेल्वम। जयललिता अपने जीवनकाल में जब भी संकट में आईं तो उन्होंने सिर्फ पन्नीरसेल्वम पर ही भरोसा किया। यहां तक कि दो बार संवैधानिक संकट आने पर उन्होंने पन्नीरसेल्वम को अपनी जगह मुख्‍यमंत्री बनवाया। मगर उनके निधन के बाद समीकरण बदल चुके हैं। दरअसल जयललिता के निधन के बाद भी वही मुख्‍यमंत्री बने मगर शशिकला नटराजन जो पार्टी कार्यकर्ताओं में चिनम्‍मा के नाम से प्रसिद्ध हैं अब खुद मुख्‍यमंत्री बनना चाहती हैं और पन्नीरसेल्वम ने आरोप लगाया है कि शशिकला ने जबरदस्ती उनसे मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा देने का पत्र साइन करवा लिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि जरूरत पडऩे पर वह इस्तीफा वापस लेकर विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। हालांकि नंबर उनके पक्ष में नहीं दिखते मगर इस पूरी राजनीति में केंद्र सरकार और प्रदेश के राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। अन्नाद्रमुक के लोकसभा में 37 सांसद हैं और राष्ट्रपति चुनाव में इनकी खास जरूरत भारतीय जनता पार्टी को पड़ेगी इसलिए पार्टी हर हाल में तमिलनाडु में अपनी समर्थक सरकार चाहती है। शशिकला के पति एम. नटराजन की कांग्रेस से बढ़ती नजदीकी ने केंद्र सरकार के रणनीतिकारों के कान खड़े कर दिए थे और ऐसे में वहां होने वाली किसी भी अस्थिरता का लाभ उठाने की भाजपा पूरी कोशिश करेगी।

उधर, अन्नाद्रमुक नेता एवं लोकसभा के डिप्टी स्पीकर एम थम्‍बीदुरई ने पन्नीरसेल्वम के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्हें मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख वी.के. शशिकला मुख्‍यमंत्री होंगी क्‍योंकि सभी विधायक उनके साथ हैं। अन्नाद्रमुक नेता ने कहा कि सभी विधायक एकजुट हैं। खुद शशिकला ने कहा है कि पार्टी पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने पन्नीरसेल्वम की बगावत के बाद उन्हें पार्टी के कोषाध्यक्ष पद से भी हटा दिया। शशिकला को जयललिता के निधन के बाद पार्टी का महासचिव चुना गया था जो कि पार्टी का सर्वोच्च पद है। शशिकला ने यह आरोप भी लगाया कि पन्नीरसेल्वम की बगावत के पीछे राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी द्रमुक का हाथ है।

हालांकि मुख्‍यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने कहा कि शशिकला के पास उन्हें कोषाध्यक्ष पद से हटाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी संस्थापक एम.जी रामचंद्रन द्वारा अन्नाद्रमुक के गठन के समय बनाए गए पार्टी के संविधान के अनुसार, महासचिव पद पर शशिकला की नियुक्ति को कानूनी मंजूरी तभी मिलेगी, जब सभी प्राथमिक सदस्य महासचिव का चयन करेंगे। इस तरह से चुने गए महासचिव के पास ही किसी अधिकारी को नियुक्‍त करने या हटाने का अधिकार होता है। मंगलवार 7 फरवरी की रात जब पन्नीरसेल्वम ने शशिकला के खिलाफ बगावत की तो आठ फरवरी को शशिकला ने जयललिता का निवास रहे पोएस गार्डन में समर्थक विधायकों की बैठक बुलाई। खास बात यह है कि इसमें पार्टी के 131 विधायकों ने हिस्सा लिया। राज्य विधानसभा में पार्टी के 134 विधायक हैं।

यह रिपोर्ट लिखे जाने तक इस घटनाफ्म में राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई थी। महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव के पास तमिलनाडु के राज्यपाल का अतिरिक्‍त प्रभार है और उन्होंने कहा है कि वह कब तमिलनाडु जाएंगे यह तय नहीं है। राज्यपाल इस मामले में इंतजार करो की नीति अपना रहे हैं। पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि जरूरत पडऩे पर वह अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं। ऐसा होने पर राज्यपाल को उन्हें सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहना पड़ेगा। राज्यपाल इसके लिए उन्हें अपने विवेक से समय दे सकते हैं और यह मोहलत चंद दिनों से लेकर कुछ हफ्तों की हो सकती है। शशिकला के खिलाफ आय से अधिक संपîिा के मामले में अगले कुछ दिनों में फैसला आने वाला है और यदि फैसला उनके खिलाफ आया तो तमिलनाडु की राजनीति और संकट में आ जाएगी।

Advertisement
Advertisement
Advertisement