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असम ही नहीं संपूर्ण पूर्वोत्तर में क्रांतिकारी बदलाव

विशेष साक्षात्कार
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवास

चकाचौंध से दूर सादगी से जीवन बिताने की इच्छा रखने वाले असम के मुख्‍यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का काफिला सडक़ से कब गुजर जाता है, किसी को पता नहीं चलता। उग्रवाद प्रभावित राज्य होने के बावजूद मुख्‍यमंत्री के लिए न तो सडक़ खाली कराई जाती है और न सायरन बजता है। वे यह कहते हुए प्रचार से बचते हैं कि उनका काम ही उनका प्रचार है। वे टीवी चैनलों को साक्षात्कार भी नहीं देते। आउटलुक हिंदी के लिए रविशंकर रवि से बड़ी मुश्किल से बातचीत के लिए तैयार हुए और यह पूरी बातचीत हिंदी में ही हुई। पेश हैं मुख्‍य अंश:

आप असम की माटी, पहचान और स्वाभिमान की रक्षा के नारे के साथ सत्ता में आए। उस दिशा में क्‍या काम किया?

मुख्‍यमंत्री बनने के पहले दिन से मैं राज्य का माहौल बदलने में लगा हूं। असम में सभी को इज्जत के साथ जीने का मौका तभी मिलेगा, जब राज्य में भ्रष्टाचार-मुक्‍त सक्षम शासन होगा। असमिया पहचान को खतरा संदिग्ध नागरिकों से है। प्रशासन की अक्षमता से है। भ्रष्ट लोग सीमा की सुरक्षा पर रहेंगे तो अवैध घुसपैठ नहीं रुकेगी और न ही राज्य में छिपे अवैध नागरिकों की पहचान संभव है। भ्रष्टाचार को रोके बिना शुद्ध राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) भी तैयार नहीं होगी। राज्य प्रशासन में भ्रष्टाचार की वजह से प्रतिबद्धता घटी थी। ऊपर से नीचे तक माहौल खराब था। किसी को जनता की चिंता नहीं थी। 'बेहतर शासन और भ्रष्टाचार-मुक्‍त प्रशासन’ के नारे के साथ मेरी सरकार की यात्रा आरंभ हुई है। पिछले 15 वर्षों के दौरान भ्रष्टाचार की वजह से सिर्फ सरकारी योजनाओं में बंदरबांट नहीं हुई है, बल्कि इसका बुरा प्रभाव समाज पर पड़ा है। प्रशासन को भ्रष्टाचार से मुक्‍त करने का अभियान मेरे कार्यालय से आरंभ हुआ है। इसे पंचायत स्तर तक ले जाएंगे। न खाएंगे और न ही किसी को खाने देंगे। मैने मुख्‍यमंत्री बनते ही स्पष्ट संदेश दिया कि अब भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा। भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हुई। कई अधिकारी जेल में हैं। हर तरफ कमीशन राज था। यह परंपरा बन गई थी। उसे मैने तोड़ दिया। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आ रही है। इन कार्रवाइयों से स्पष्ट संदेश चला गया कि अब गलत काम नहीं हो पाएंगे। राज्य में पांच लाख अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं। ये अलग-अलग वर्गों के लोग हैं। उनकी आदत सुधरते ही सरकार का काम दिखने लगेगा। तभी अवैध नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगेगी और पुलिस उग्रवादियों-अपराधियों के खिलाफ सख्‍ती बरतेगी। हम हर वर्ग का साथ लेने का प्रयास कर रहे हैं। हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है। अब इज्जत के साथ जीने का माहौल बनने लगा है।

पिछले सात माह में भाजपा सरकार ने क्‍या किया?

असम में कार्य संस्कृति बदल रही है। असम अब 'लैंड ऑफ लाहे-लाहे’ (धीरे-धीरे चलने वाला क्षेत्र) नहीं रहा। सरकारी कामकाज ने रफ्तार पकड़ी है। पिछले वित्तीय वर्ष में हमें सिर्फ पांच माह मिले। अगले वित्तीय वर्ष से सरकारी काम दिखने लगेगा। फिर भी जीएसटी पारित कराने वाला असम पहला राज्य बना। विमुद्रीकरण नीति लागू करने में असम पहला राज्य बना। नोटबंदी के बाद उत्पन्न स्थिति से निपटने में हमारी सरकार ने बैंकों के साथ मिलकर हालात को सामान्य बनाया। चाय बागानों में मजदूरों को नगद भुगतान होता था। सदियों से चल रही उस परंपरा को तोड़ा। डेढ़ माह के अंदर राज्य के करीब साढ़े छह लाख चाय मजदूरों का बैंक में खाता खोला गया। अब उनकी मजदूरी सीधे खाते में जा रही है। हमारा लक्ष्य सभी चाय मजदूरों का बैंक खाता खुलवाना है। बागानों में एटीएम खोले जा रहे हैं। यह काम आसान नहीं था।

असम को किस तरह का राज्य बनाना चाहते हैं?

हमारा लक्ष्य सिर्फ असम की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना नहीं, राज्य में एकात्म मानवतावाद लागू करना है ताकि राज्य की पूरी जनता स्वाभिमान के साथ जीए और लोग असम को आदर्श राज्य के रूप में पुकारें। मुझे राज्य की सेवा का मौका मिला है। बहुत लोगों की उम्‍मीद मुझसे  है। सत्ता भोग करने के लिए नहीं, लोगों की सेवा करने के लिए मिली है। मैं चाहता हूं कि लोग मेरे काम से मुझे याद करें।

अर्थव्यवस्था कैसे मजबूत होगी?

असम की भौगोलिक स्थिति देश के अन्य हिस्से से अलग है। हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। हम अपने परिवेश के अनुकूल उद्योग लगाना चाहते हैं। असम को हर्बल स्टेट बनाना चाहते हैं और इसके लिए जैविक क्षेत्र में उद्योग लगाने वाले उद्यमियों को हर तरह की सहायता देने को तैयार हैं। मैं प्रदूषण मुक्‍त उद्योग का पक्षधर हूं। कोई उद्यमी यदि आगे आता है तो हम स्वागत करेंगे। पतंजलि मेगा फूड पार्क के लिए मैंने एक सप्ताह में भूमि उपलब्‍ध करा दी। वहां पर 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ जैविक जड़ी-बूटी तथा हल्दी उपजाने वाले किसानों को भी लाभ मिलेगा। इसके साथ ही नए उद्योग के लिए माहौल बना है। अब डाबर समेत कई कंपनियां उद्योग लगाने को इच्छुक हैं।  इस दिशा में सार्थक पहल हो चुकी है। मेरी सरकार आने के बाद से अब तक छह हजार करोड़ रुपये के औद्योगिक निवेश तय हो चुके हैं।

असम की शिकायत रही है कि केंद्र राज्य की उपेक्षा करता है, अब क्‍या स्थिति है?

केंद्र में भाजपा अगुआई वाली सरकार के आने के बाद असम के लिए केंद्र के द्वार खुले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद असम समेत संपूर्ण पूर्वोत्तर का विकास चाहते हैं। उन्होंने 'लुक नार्थ ईस्ट’ की जगह 'एक्‍ट नार्थ ईस्ट’ का नारा दिया। वे भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह पूर्वोत्तर के बारे में सोचते हैं और इस पिछड़े क्षेत्र का विकास करना चाहते हैं। पूर्वोत्तर के विकास के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हर पखवाड़े पूर्वोत्तर में दो केंद्रीय मंत्री आते हैं और योजनाओं की समीक्षा करते हैं। असम से राज्यसभा सांसद डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में दस साल रहने के बावजूद जो नहीं किया, मोदी जी ने आते ही 70 साल पुरानी मांग पूरी कर दी। रेल और सडक़ परिवहन के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम हो रहा है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अगले पांच वर्षों के लिए असम में एक लाख करोड़ रुपये सडक़ों पर खर्च करने की घोषणा की है। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने ब्रह्मपुत्र पर तीन नए रेल पुल बनाने की घोषणा की है। इन योजनाओं के पूरा होते ही परिवर्तन दिखने लगेगा।

राज्य सरकार ने अपने स्तर पर विकास की किन योजनाओं को आरंभ किया?

जब हमारी सरकार बनी तो कांग्रेस सरकार सत्रह हजार करोड़ का कर्ज भार छोडक़र गई थी। पहले तो उसका निपटारा किया। मार्च तक राज्य सरकार ने तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च के लिए जारी कर दिया है। 48 तटबंधों की मरम्‍मत का काम दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। सभी 126 विधानसभाओं में सडक़ मरम्‍मत का कार्य मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा। काम पूरी गति से जारी है। राज्य के कर वसूली राजस्व में 17 फीसदी का विकास हुआ है। उनके सात माह के कार्यकाल के दौरान उठाए कदमों से जनता उत्साहित है। लोगों मेें बेहतर सुशासन की उम्‍मीद जगी है। शिक्षा के क्षेत्र में मेरी सरकार ने उल्लेखनीय काम किया है। गरीब बच्चों के लिए कालेज में नि:शुल्क प्रवेश की व्यवस्था की गई है। इसका लाभ करीब पौने दो लाख विद्यार्थियों को मिला है।

तमाम दावों के बावजूद असमिया धरोहर एक सींग वाले गैंडे मारे जा रहे हैं?

एक सींग वाले गैंडे असम की धरोहर हैं। उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कई स्तर पर काम चल रहा है। काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क सरकारी भूमि पर अतिफ्मण एक बड़ी समस्या थी। उसे अतिफ्मण मुक्‍त कराया गया। इसके साथ ही राज्य के अन्य हिस्से से अतिफ्मण हटाया जा रहा है। श्रीमंत शंकर देव द्वारा स्थापित सत्र हमारी संस्कृति का केंद्र है। सत्र की भूमि से अतिफ्मण हटाया जा रहा है।

आपकी सरकार आने के बाद से अल्पसंख्‍यक डरे हुए हैं, ऐसा क्‍यों?

हमारी सरकार हर भारतीय नागरिक के साथ है। किसी के खिलाफ बदले की कार्रवाई के आरोप गलत हैं। लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। मेरी सरकार सभी समुदायों और भाषा-भाषियों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। मेरी कोशिश है कि सभी समुदायों और भाषा-भाषियों को सम्‍मान के साथ जीने का अधिकार मिले क्‍योंकि मुझे सत्ता तक पहुंचाने में सभी समुदायों का सहयोग और समर्थन मिला है।  

 

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