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जानिए कैसे, आखिरी दम तक नक्सलियों से लोहा लेता रहा शेर मोहम्मद?

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुए माओवादी हमले के दोरान एक जवान ने जख्मी होकर भी नहीं मानी हार। अपने साथियों को बचाने के लिए बड़ी बहादुरी से लड़ता रहा।
जानिए कैसे, आखिरी दम तक नक्सलियों से लोहा लेता रहा शेर मोहम्मद?

जवान का नाम है शेर मोहम्मद। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहनेवाले शेर मोहम्मद के बारे में कहा जा रहा है कि सचमुच शेर की तरह है जो घायल होने के बाद भी मुकाबला करता रहा। शेर मोहम्मद सीआरपीएफ की उस टुकड़ी में थे जिस पर पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के नक्सलियों ने कल हमला किया था। जिसका शेर मोहम्मद ने जांबाजी के साथ उनका मुकाबला किया और अपने कई साथियों की जान भी बचाई। जानकारी के मुताबिक इस वक्त उनका इलाज रायपुर के अस्पताल में चल रहा है।

शेर मोहम्मद मीडिया से बातचीत में कहते हैं , "सबसे पहले नक्सलियों ने हमारी लोकेशन पता की। गाय-भैंस चराने वाले गांव वाले हमारी पार्टी के बगल से निकले और उसके 15 मिनट बाद ही फायरिंग शुरू हो गई। करीब साढ़े तीन घंटे तक फायरिंग चली।" वे आगे कहते हैं कि सीआरपीएफ के जवान पोजिशन लेकर बैठे थे। 150 मीटर दूर जंगल में नक्सली भी बैठे हुए थे। चारों तरफ घना जंगल है, जिसमें 10 फीट दूर देखना भी मुश्किल है। जब हम पर फायरिंग हुई, तो हमने नक्सलियों को भागते देखा। इसके बाद हमने भी जवाबी फायरिंग की। गांव वालों की पोशाक पहने लोग भी गोली चला रहे थे। महिलाएं भी गोलियां चला रही थीं। उनके पास एके-47, एसएलआर जैसे ऑटोमेटिक हथियार थे। ऐसे में हमारे सामने मुश्किल थी कि गांव वालों पर कैसे गोली चलाएं। हमने नक्सलियों पर निशाना लगाकर फायरिंग की।

बुलंदशहर में रहने वाले शेर मोहम्मद के परिजन जवान की सलामती के लिए दुआ कर लहे हैं। शेर मोहम्मद की माँ चाहती हैं कि मोहम्मद जल्दी से स्वस्थ होकर उनके बीच आएं। उनकी मां फरीदा कहती हैं कि, "मेरे बेटे ने 5 नक्सलियों को मारा। उस पर गर्व है। पूरा गांव उसके लिए दुआ मांग रहा है।"

 

 

 

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